
एक चूहे ने खोला इंसान के भूख का राज, रिसर्च में आई ऐसी बात जिसे जान उड़ जाएंगे होश
नई दिल्ली। भूख उस समय अनुभव होती है, जब खाना खाने की इच्छा होती है। खाने के बिना हम अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमें भूख क्यों लगती है? हाइपोथैलेमस के रहस्यमय हिस्से में स्थित न्यूरॉन के एक सहायक जोड़ा भूख व शरीर के वजन को नियमित करने में मुख्य भूमिका निभाता है। इस शोध के निष्कर्षो का प्रकाशन एक पत्रिका में किया गया है। इसमें आहार लेने का नियमन करने वाली एक पहले अज्ञात रही तंत्रिका तंत्र की जानकारी दी गई है और यह चूहों में भूख लगने के बदलावों को समझने के लिए एक नया दृष्टिकोण पेश करती है।
चीन के शंघाई जिआओ तोंग विश्वविद्यालय के जिंगजिंग सन सहित दूसरे शोधकर्ताओं के अनुसार, हाइपोथैलेमस के क्षेत्र के कार्य की जानकारी को न्यूक्लियस ट्यूबरेलिस लेटेरेलिस (एनटीएल) कहा जाता है, एनटीएल की जानकारी दुर्लभ है। वैज्ञानिक अभी भी इसे अच्छे से समझने की कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि मरीजों के दिमाग के इस क्षेत्र में नुकसान से उनकी भूख लगने की क्षमता घट जाती है और शरीर के वजन में तेजी से कमी होती है।
भूख लगने व शरीर के वजन में नियमन में एनटीएल की भूमिका के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए शोधकर्ताओं ने एनटीएल में सोमटोस्टेटिन (एसएसटी) न्यूरॉन के चूहों में व्यवहार का अध्ययन किया। शोधकर्ताओं ने पाया कि एसएसटी न्यूरॉन्स भूख (रात भर भूखा रहने के बाद) व भूख हार्मोन ग्रेलिन दोनों के कारण सक्रिय होते हैं। बता दें कि, भूख की अनुभूति हाइपोथैल्मस से शुरु होती है जब यह हार्मोन छोड़ता है। यह हार्मोन यकृत के अभिग्राहक पर प्रतिक्रिया करती है। हालांकि एक सामान्य वयक्ति बिना भोजन के कई सप्ताहों तक जिंदा रह सकता है। भूख की अनुभूति भोजन के कुछ घंटों बाद शुरू हो जाती है और व्यक्ति असहज महसूस करने लगता है। भूख शब्द का इस्तेमाल व्यक्ति के सामाजिक स्तर को बताने के लिए किया जाता है।
Published on:
07 Jul 2018 11:34 am
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