
महिला के नहीं था गर्भाशय, फिर भी दिया बच्चे को जन्म, जानें कैसे
नई दिल्ली: चार बार अबॉर्शन ओर दो अजन्में बच्चे खोने के बाद गुजरात की मिनाक्षी ने बच्चे को जन्म देने का सपना छोड़ दिया था, लेकिन डाॅक्टरों की बदौलत 27 साल की मिनाक्षी का ये सपना पूरा हो सका। बता दें कि यूट्रस ट्रांसप्लांट कराने वाले मीनाक्षी एशिया की पहली महिला हैं और बच्चे का जन्म बेहद खास है। डॉक्टरों की मानें तो इस टेक्निक का सफल होना मेडिकल पेशे के लिए मील का पत्थर साबित होगा।
खराब हो गया था मीनाक्षी का यूट्र्रस, नामुमकिन था मां बनना
दरअसल, लगातार खराब प्रेग्नेंसी की वजह से मीनाक्षी का यूट्र्रस खत्म हो गया था। उसका मां बनना नामुमकिन था, लेकिन मिनाक्षी की मां ने अपना यूट्रस बेटी को दे दिया जिसके बाद यूट्रस ट्रांस्पलांट किया गया। भारत सहित एशिया में यह पहली बार है जब गर्भाशय ट्रांसप्लांट के जरिए किसी महिला ने बच्चे को जन्म दिया है। गैलेक्सी केयर लेप्रोकोपी हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ. शैलेष पुनतांबेकर ने बताया कि 12 डॉक्टर्स की टीम ने 8 घंटे में लेप्रोस्कोपिक टेक्निक की मदद से यह सर्जरी की है।
स्वीडन में पहली बार की गइर् थी एेसी सर्जरी
डॉ. शैलेष के मुताबिक, यूट्रस ट्रांसप्लांट उन सभी महिलाओं के लिए वरदान है जोकि इस तरह की समस्या से जूझ रही हैं या फिर बच्चे को जन्म दे पाने में असमर्थ हैं। बता दें गर्भ प्रत्यारोपण के प्रयास पहले भी किये जा चुके हैं, लेकिन सबसे पहले स्वीडन के डॉक्टर्स को यह सफलता हाथ लगी। 2012 में पहली बार डाॅक्टर ने यूट्रस ट्रांसप्लांट कर कारनामा कर दिखाया था। इसके बाद 36 साल की महिला ने बच्चे को जन्म दिया था। फिलहाल, मां और बच्चा दोनों की हालत ठीक बताइ्र जा रही है। मीनाक्षी आैर उसकी मां दोनों काफी खुश हैं। मीनाक्षी तो मां बनने की उम्मीद लगभग छोड़ चुकी थी, लेकिन उसकी मां की वजह से उसका ये सपना पूरा हो सका।
Published on:
09 Aug 2018 03:41 pm
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