इस कीड़े को अलग-अलग देशों में अलग-अलग नाम से जाना जाता है। नेपाल और चीन में इसे ‘यार्सागुम्बा’ कहते हैं। जबकि भारत में इसे ‘कीड़ा जड़ी’ कहा जाता है। इस कीड़े का वैज्ञानिक नाम ‘ओफियोकोर्डिसेप्स साइनेसिस’ है जबकि अंग्रेजी में इसे ‘कैटरपिलर फंगस’ कहते हैं ‘यार्सागुम्बा’ हिमालयी क्षेत्रों में तीन से पांच हजार मीटर की ऊंचाई पर पाया जाता है। इसे इसे ‘हिमालयन वियाग्रा’ के नाम से भी जाना जाता है।
दरअसल इस कीड़े का उपयोग वियाग्रा की तरह होता है। इसके अलावा इसका उपयोग सांस और गुर्दे की बीमारी के इलाज में भी किया जाता है। इतना ही नहीं इसका उपयोग रोग प्रतिरक्षक क्षमता को बढ़ाने में भी करते हैं। यही वजह है कि इसकी कीमत इतनी ज्यादा है। एक कीड़ा लगभग 1000 रुपये का मिलता है। वहीं अगर किलो के हिसाब से देखें तो यह 10 लाख रुपये प्रति किलो तक बिकता है। इसे दुनिया का सबसे महंगा कीड़ा कहा जाता है।
यार्सागुम्बा हिमालयी क्षेत्रों में ही मिलता है। यह जब पैदा होता है तो इसके अंदर रस मौजूद होता है। ये दिसंबर से फरवरी के महीने में पैदा होता है और मई-जून आते-आते ये मर जाते हैं। मरने के बाद ये कीड़े जंगलों में पौधों के बीच बिखरे पड़े रहते हैं।
इन्हें इकट्ठा करने के बाद सूखाकर इसका पाउडर तैयार किया जाता है। इसकी सबसे बड़ी ख़ासियत ये है कि इसके कोई साइड इफेक्ट नहीं है लेकिन दिल की बीमारी से पीड़ित लोगों के लिए ये जानलेवा साबित हो सकती है। बता दें यह कीड़ा भारत में प्रतिबंधित है।