
मुनि गीतार्थ शेखर विजय
मुनि ने कहा कि अगर परिवार, संस्कार और स्वास्थ्य की रक्षा करनी है, तो धर्म की ओर लौटना होगा। मोबाइल को सीमित कर, जीवन में साधना, संयम और सत्संग को स्थान देना जरूरी है। मुनि गीतार्थ शेखर विजय का संदेश स्पष्ट है कि मोबाइल को नियंत्रण में रखें, धर्म और संस्कारों को जीवन में स्थान दें, तभी परिवार और समाज स्वस्थ दिशा में आगे बढ़ सकता है।
प्रश्न: युवा धर्म से दूर क्यों होते जा रहे हैं?
मुनि: आज का युवा देर रात तक मोबाइल पर लगा रहता है और सुबह देर से उठता है। उसकी दिनचर्या अव्यवस्थित हो गई है। इसका असर उसके जीवन और धर्म से जुड़ाव पर पड़ा है।
प्रश्न: बच्चों को मोबाइल कब देना चाहिए?
मुनि: 17 वर्ष की उम्र के बाद ही, वो भी आवश्यकता पडऩे पर। मोबाइल का दुरुपयोग ज्यादा हो रहा है। इसकी जगह धर्मग्रंथ पढऩे की प्रेरणा दी जानी चाहिए।
प्रश्न: चातुर्मास में बच्चों के लिए क्या आयोजन होंगे?
मुनि: हर शनिवार-रविवार को 6 से 20 वर्ष तक के बच्चों के लिए शिविर होंगे, जिसमें पूजा, धर्म-शिक्षा, व्यवहार और पारिवारिक मूल्यों की शिक्षा दी जाएगी।
प्रश्न: इस बार चातुर्मास में क्या विशेष होगा?
मुनि: 28 जुलाई से 29 अगस्त तक शत्रुंजय तप होगा। बच्चों के लिए 72 बियासणे भी कराए जाएंगे। हर किसी को इसमें जुडऩा चाहिए।
प्रश्न: परिवार टूटने की मुख्य वजह क्या है?
मुनि: सहनशीलता की कमी। लोग छोटी बातों में झगड़ जाते हैं, रिश्तों को निभाने का धैर्य कम हो गया है।
प्रश्न: संयुक्त परिवार के टूटने का क्या असर है?
मुनि: संयुक्त परिवार में सहयोग, प्रेम और सुरक्षा होती है। एकल परिवार में ये भाव कमजोर पड़ जाते हैं।
प्रश्न: कम उम्र में बीमारियों का कारण क्या है?
मुनि: खान-पान बिगड़ गया है। बाहर का खाना, जंक फूड और असात्विक भोजन बीमारियों को न्योता दे रहे हैं।
प्रश्न: दिखावे की बढ़ती प्रवृत्ति पर आपकी राय?
मुनि: दिखावा नहीं करना चाहिए। वही धन अगर जरूरतमंदों की मदद में लगाया जाए तो उसका पुण्य भी मिलेगा और समाज भी उठेगा।
प्रश्न: क्या आज के संस्कार कमजोर हो गए हैं?
मुनि: संस्कार तो गर्भ से ही शुरू हो जाते हैं, लेकिन आज मोबाइल, गुस्सा और भागदौड़ की जिंदगी ने बच्चों पर बुरा असर डाला है।
Updated on:
05 Jul 2025 02:48 pm
Published on:
05 Jul 2025 02:44 pm
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