अविभाजित दक्षिण कन्नड़ जिले में मछली पकडऩे की सुविधा प्रदान करने वाले कई बंदरगाह हैं परन्तु कहीं भी तैरता (फ्लोटिंग) पुल नहीं है। मेंगलूरु के होगेबाजार में प्रस्तावित फ्लोटिंग पुल का काम अभी तक शुरू नहीं हुआ है वहीं उडुपी जिले के प्रस्ताव को अभी मंजूरी नहीं मिली है। फ्लोटिंग पुल से मछुआरों को अधिक सुविधा होगी परन्तु फ्लोटिंग पुल सिर्फ मछली पकड़ने के मकसद से नहीं बनाया जा रहा है। इसे पर्यटन विकास के लिए पूरक तौर पर बनाया जाएगा।
मछली पकड़ने के साथ-साथ पर्यटन के विकास के लिए होंगे सहायक
उडुपी. अविभाजित दक्षिण कन्नड़ जिले में मछली पकडऩे की सुविधा प्रदान करने वाले कई बंदरगाह हैं परन्तु कहीं भी तैरता (फ्लोटिंग) पुल नहीं है। मेंगलूरु के होगेबाजार में प्रस्तावित फ्लोटिंग पुल का काम अभी तक शुरू नहीं हुआ है वहीं उडुपी जिले के प्रस्ताव को अभी मंजूरी नहीं मिली है। फ्लोटिंग पुल से मछुआरों को अधिक सुविधा होगी परन्तु फ्लोटिंग पुल सिर्फ मछली पकड़ने के मकसद से नहीं बनाया जा रहा है। इसे पर्यटन विकास के लिए पूरक तौर पर बनाया जाएगा।
मत्स्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि मल्पे, मेंगलूरु, गंगोल्ली आदि बड़े बंदरगाहों में अच्छी तरह से सुसज्जित पुल हैं। इसके चलते विस्तार कार्य के दौरान ही फ्लोटिंग पुल का निर्माण संभव है। छोटे बंदरगाह क्षेत्रों में फ्लोटिंग पुल के निर्माण से देशी नौका से मछली पकडऩे में काफी फायदा होगा।
केंद्र सरकार की सागर माला योजना के तहत दक्षिण जिले के गुरुपुर नदी में नावों एवं अन्य कश्तियों के ठहराव (पर्यटन प्रयोजन) के लिए 44.61 करोड़ रुपए की लागत से 11 तैरते पुलों का निर्माण किया जाएगा।
जप्पिनमोगरु हले कड़ (रास्ता), कसबा बेंगरे कड़, मेंगलूरु तालुक नॉर्थ साइड सैंडबार, बंदरगाह कड़, पुराना बंदरगाह, सुल्तान बत्तेरी, सैंडपिट बेंगरे, जप्पिनमोगरु राष्ट्रीय राजमार्ग पुल, कुलूरु पुल के समीप, बंगरकुलूरु और तन्निरुबावी चर्च के पास बर्थिंग सुविधाएं प्रदान करने समेत 11 स्थानों पर तैरते पुलों का निर्माण किया जाएगा।
पांच स्थानों के लिए प्रस्ताव सौंपा
मत्स्य पालन विभाग ने पर्यटन विभाग के साथ मिलकर उडुपी जिले के हंगारकट्टे, मरवंते, गंगोल्ली और मल्पे सहित पांच स्थानों पर तैरते पुल के निर्माण के लिए सरकार को प्रस्ताव सौंपा था परन्तु अभी तक सरकार से कोई मंजूरी नहीं मिली है। सागरमाला योजना के तहत यह कार्य होगा, इसलिए केंद्र सरकार ही अनुदान देगी।
मछली खाली करने में होगी सुविधा
विभाग के अधिकारियों का कहना है कि समुद्र के उतार-चढ़ाव के दौरान बंदरगाह क्षेत्र में भी पानी का उतार-चढ़ाव होता रहता है। पानी घटने पर पुल ऊंचा दिखाई देता है। इस दौरान छोटी नावों से मछलियां खाली करना मुश्किल हो जाता है। पानी कम होने पर भी मछली खाली करने में सुविधा के लिए तैरते पुल का निर्माण किया जाता है।
ये होता है तैरता पुल
मछली पकड़ने वाली नौकाओं को समायोजित करने के लिए सभी बंदरगाहों पर पुल का निर्माण किया जाता है। मछुआरों की ओर से नाव से बंदरगाह के नीलामी यार्ड तक लाई गई मछलियों को ले जाने या नीलामी के बाद मछली को नाव से सीधे बाजार तक पहुंचाने के लिए निर्मित नाव का स्टॉप ही तैरता पुल है।
मछुआरों को होगा फायदा
हमने उडुपी जिले से चार-पांच स्थानों पर तैरते पुल के लिए प्रस्ताव सौंपा है। अभी तक कोई मंजूरी नहीं मिली है। दक्षिण कन्नड़ जिले के होगे बाजार में तैरते पुल के निर्माण को मंजूरी मिली है। काम शुरू होना अभी बाकी है। तैरते पुल से मछुआरों को फायदा होगा।
- टी. अंजनादेवी दिलीप, उप निदेशक, मत्स्य पालन विभाग, उडुपी, दक्षिण कन्नड़ जिला