9 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

मूंग और सोयाबीन की फसलों के लिए कीट और रोग खतरा बने हुए, करीब तीस फीसदी फसलें नष्ट

किसान कृषि विभाग और धारवाड़ स्थित कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों से अपनी फसलों की सुरक्षा और उपज में होने वाले नुकसान को रोकने के लिए सहायता की गुहार लगा रहे हैं। जिन खेतों में फसलें लगभग 25 से 30 दिन पुरानी हैं, वहां बगीचे के घोंघे सक्रिय रूप से पौधों को खा रहे हैं।

less than 1 minute read
Google source verification
कृषि कर्ज वितरण में किसानों की बढ़ी भागीदारी! 64 हजार किसानों ने लिया 258 करोड़ का ऋण(photo-patrika)

कृषि कर्ज वितरण में किसानों की बढ़ी भागीदारी! 64 हजार किसानों ने लिया 258 करोड़ का ऋण(photo-patrika)

किसानों को डर है कि अगर इन पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो उनकी 30 फीसदी से ज्यादा उपज नष्ट हो सकती है। एक किसान ने कहा, घोंघे सुबह के समय मूंग और उड़द की फसलों को खा जाते हैं और दोपहर में सोयाबीन और मूंगफली पर हमला कर देते हैं। ये हजारों की संख्या में दिखाई देते हैं। इन्हें नियंत्रित करना लगभग असंभव है। कृषि विभाग के एक अधिकारी ने पुष्टि की कि धारवाड़ तालुका में, खासकर मूंग और उड़द के खेतों में, घोंघे का प्रकोप व्यापक है। उन्होंने कहा, इन घोंघों को नियंत्रित करने का एकमात्र प्रभावी तरीका कीटनाशकों का समय पर और उचित उपयोग है। हमारा विभाग प्रभावित गांवों में किसानों को नियंत्रण उपायों के बारे में शिक्षित कर रहा है।

अन्य फसलें उगाई
धारवाड़ जिले के किसान, जो समय पर मानसून की बारिश से खरीफ की बुवाई के लिए आशान्वित थे, अब कीटों और बीमारियों के प्रकोप के कारण अपनी फसलों के लिए खतरे से जूझ रहे हैं। घोंघा एक गंभीर खतरा बनकर उभरा है, जो खड़ी फसलों को नुकसान पहुंचा रहा है और किसानों में व्यापक चिंता का विषय है। यदवाड़, उप्पिनबेटगेरी, गराग, तिम्मापुर, अम्मिनाभावी और आसपास के कई गांवों में इस संक्रमण की सूचना मिली है, जहां किसानों ने मूंग, उड़द, सोयाबीन और अन्य फसलें उगाई हैं।