
वनीला की बेल पर उम्मीदों का पहला फूल।
बारहमासी लता, सुगंध से भरपूर फसल
वनीला एक बारहमासी, फूलों वाली लता है, जो पेड़ों पर चढ़कर विकसित होती है। इसकी लता 10 से 12 मीटर तक लंबी होती है और पेड़ों की डालियों पर फैलती है। इसकी तीन प्रमुख जातियों में प्लानीफोलिया सर्वाधिक लोकप्रिय है, जिसे व्यावसायिक दृष्टि से सबसे अधिक उगाया जाता है। इसकी खुशबू लंबे समय तक बनी रहती है और यही इसे अंतरराष्ट्रीय बाजार में खास बनाती है। वनीला के फूल हरे-पीले रंग के होते हैं और गुच्छों में खिलते हैं। ये फूल अत्यंत सुगंधित होते हैं और प्राकृतिक रूप से ओस व नमी वाले वातावरण में बेहतर फलते-फूलते हैं। यही कारण है कि चिकमगलूरु का नम व वर्षा प्रधान मौसम वनीला खेती के लिए अनुकूल माना जाता है।
फली से निकलती है असली खुशबू
वनीला की फली बेलनाकार, त्रिकोणीय होती है, जिसकी लंबाई 12 से 21 सेंटीमीटर तक होती है। प्रारंभ में यह हल्के हरे रंग की होती है, लेकिन जब यह पूरी तरह पककर सूखती है और गहरा रंग धारण करती है, तभी इसमें विशिष्ट खुशबू और फ्लेवर विकसित होता है। यही फली अंतरराष्ट्रीय बाजार में ऊंचे दामों पर बिकती है।
खाद्य उद्योग से लेकर उद्योगों तक उपयोग
वनीला का उपयोग खाद्य उद्योग, डेयरी उत्पादों, बेकरी, मिठाइयों, आइसक्रीम, केक, चॉकलेट और यहां तक कि शराब निर्माण में भी किया जाता है। यह खाद्य पदार्थों को मुलायम, स्वादिष्ट और सुगंधित बनाता है। एक वनीला फली से लगभग 600 ग्राम चॉकलेट तैयार की जा सकती है। इसके अलावा वनीला का उपयोग इंजन ऑयल में झाग रोकने और जिंक प्लेटिंग में चमक लाने जैसे औद्योगिक कार्यों में भी किया जाता है।
Published on:
30 Dec 2025 06:39 pm
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