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अकाल की राख से उगी समृद्धि: मारवाड़ के हाथों में वनीला की वैश्विक पहचान

मारवाड़ में पड़े छप्पनिया अकाल की त्रासदी से जूझते हुए कई मारवाड़ी परिवार रोजगार और जीवन की तलाश में सैकड़ों कोस पैदल चलकर कर्नाटक के सर्वाधिक वर्षा वाले क्षेत्र चिकमगलूरु पहुंचे। कठिन परिस्थितियों में बसे इन परिवारों ने यहां ऐसी खेती को अपनाया, जिसने न केवल उनकी तकदीर बदली बल्कि उन्हें आर्थिक रूप से समृद्ध भी बना दिया। यह खेती थी वनीला, जो आज विश्व में केसर के बाद दूसरा सबसे महंगा फ्लेवर माना जाता है। वनीला की खेती से जहां ये मारवाड़ी परिवार मालामाल हुए, वहीं उन्होंने चिकमगलूरु क्षेत्र के अन्य किसानों को भी इस उन्नत खेती का प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बनने का रास्ता दिखाया। कभी आर्थिक तंगी के कारण मारवाड़ छोडऩे को मजबूर ये परिवार आज क्षेत्र के धनाढ्य और प्रगतिशील किसानों में गिने जाते हैं। पाली जिले के खेरवा गांव (रामसिंह गुड़ा) से चिकमगलूरु आकर बसे कमल कुमार जैन आज वनीला उत्पादन के क्षेत्र में एक सफल और उन्नतशील किसान के रूप में पहचान बना चुके हैं। वे बड़े पैमाने पर वनीला का उत्पादन कर रहे हैं और इसकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारी मांग है।

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वनीला की बेल पर उम्मीदों का पहला फूल।

वनीला की बेल पर उम्मीदों का पहला फूल।

बारहमासी लता, सुगंध से भरपूर फसल
वनीला एक बारहमासी, फूलों वाली लता है, जो पेड़ों पर चढ़कर विकसित होती है। इसकी लता 10 से 12 मीटर तक लंबी होती है और पेड़ों की डालियों पर फैलती है। इसकी तीन प्रमुख जातियों में प्लानीफोलिया सर्वाधिक लोकप्रिय है, जिसे व्यावसायिक दृष्टि से सबसे अधिक उगाया जाता है। इसकी खुशबू लंबे समय तक बनी रहती है और यही इसे अंतरराष्ट्रीय बाजार में खास बनाती है। वनीला के फूल हरे-पीले रंग के होते हैं और गुच्छों में खिलते हैं। ये फूल अत्यंत सुगंधित होते हैं और प्राकृतिक रूप से ओस व नमी वाले वातावरण में बेहतर फलते-फूलते हैं। यही कारण है कि चिकमगलूरु का नम व वर्षा प्रधान मौसम वनीला खेती के लिए अनुकूल माना जाता है।

फली से निकलती है असली खुशबू
वनीला की फली बेलनाकार, त्रिकोणीय होती है, जिसकी लंबाई 12 से 21 सेंटीमीटर तक होती है। प्रारंभ में यह हल्के हरे रंग की होती है, लेकिन जब यह पूरी तरह पककर सूखती है और गहरा रंग धारण करती है, तभी इसमें विशिष्ट खुशबू और फ्लेवर विकसित होता है। यही फली अंतरराष्ट्रीय बाजार में ऊंचे दामों पर बिकती है।

खाद्य उद्योग से लेकर उद्योगों तक उपयोग
वनीला का उपयोग खाद्य उद्योग, डेयरी उत्पादों, बेकरी, मिठाइयों, आइसक्रीम, केक, चॉकलेट और यहां तक कि शराब निर्माण में भी किया जाता है। यह खाद्य पदार्थों को मुलायम, स्वादिष्ट और सुगंधित बनाता है। एक वनीला फली से लगभग 600 ग्राम चॉकलेट तैयार की जा सकती है। इसके अलावा वनीला का उपयोग इंजन ऑयल में झाग रोकने और जिंक प्लेटिंग में चमक लाने जैसे औद्योगिक कार्यों में भी किया जाता है।