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वीर दुर्गादास राठौड़ के जीवन और इतिहास से युवा पीढ़ी को प्रेरणा लेनी चाहिए

राजस्थान पत्रिका एवं राजस्थान राजपूत समाज संघ के संयुुक्त तत्वावधान में वीर दुर्गादास राठौड़ की 386 वीं जयंती पर संगोष्ठी

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वीर दुर्गादास राठौड़ की 386 वीं जयंती के अवसर पर दुर्गादास राठौड़ की तस्वीर के समक्ष पुष्प अर्पित करते राजपूत समाज के लोग।

वीर दुर्गादास राठौड़ की 386 वीं जयंती के अवसर पर दुर्गादास राठौड़ की तस्वीर के समक्ष पुष्प अर्पित करते राजपूत समाज के लोग।

वीर दुर्गादास राठौड़ स्वामीभक्ति व मातृभूमि को संरक्षित करने का इतिहास में सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है। उनकी त्याग, तपस्या व स्वामीभक्ति आज की पीढी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने अनगिनत दु:ख व कष्ट सह कर विषम परिस्थितियों में स्वामीभक्ति का परिचय दिया। उनके साहस और समर्पण को याद करने के लिए हर वर्ष हम वीर दुर्गादास जयंती मनाते हैं। वीर दुर्गादास राठौड़ की 386 वीं जयंती के अवसर पर आयोजित संगोष्ठी में वक्ताओं ने यह बात कही। राजस्थान पत्रिका एवं राजस्थान राजपूत समाज संघ हुब्बल्ली के संयुुक्त तत्वावधान में यहां उल्लागड्डी ओणी स्थित महावीर प्लाजा में आयोजित संगोष्ठी में वक्ताओं ने कहा कि वीर दुर्गादास राठौड़ के शौर्य, स्वामिभक्ति किए गए त्याग व संघर्ष को हमेशा याद रखा जाएगा। राजस्थान राजपूत समाज संघ के पदाधिकारियों ने कहा कि देश व धर्म के लिए सर्वस्व बलिदान करने वालों को ही समाज मान-सम्मान देते हुए श्रद्धा से याद करता है। ऐसे ही वीर दुर्गादास राठौड़ हुए हैं। जिन्होंने मारवाड़ राज्य की रक्षा के लिए संपूर्ण जीवन लगा दिया। उनके इसी त्याग व समर्पण के लिए उन्हें संपूर्ण भारत में राष्ट्र वीर के रूप में याद किया जाता है। वीर दुर्गादास राठौड़ के योगदान को याद किया गया।

संस्कारों से जुड़े रहें
राजस्थान राजपूत समाज संघ हुब्बल्ली के अध्यक्ष पर्बतसिंह खींची वरिया ने कहा, युवा वीर दुर्गादास राठौड़ के बताए मार्ग पर चलें। हमारे पुरखे शौर्य एवं पराक्रम के पर्याय रहे है। हमें उनसे सीखने की जरूरत है। आज के समय में हमें संस्कारों से जुड़कर अपने समाज और देश को आगे बढ़ाना है। हमारे पूर्वजों ने कष्ट कहते हुए भी कभी समाज का मान कम नहीं होने दिया। इस धरा की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान कर दिया। ऐसे महापुरुषों से हमें प्रेरणा लेने की जरूरत है। राठौड़ की स्वामिभक्ति, वीरता एवं बलिदान सदैव याद किए जाएंगे। वीर पुरुषों के पदचिन्हों का अनुसरण करके ही हम अपने जीवन को कामयाब कर सकते हैं।

पराक्रमी यौद्धा थे राठौड़
राजस्थान राजपूत समाज संघ हुब्बल्ली के सह सचिव रिड़मलसिंह सोलंकी सिवाना ने कहा, वीर दुर्गादास राठौड़ स्वामिभक्त एवं राष्ट्रभक्त थे। वीर दुर्गादास ने देशभक्ति के लिए कुर्बानी दी। दुर्गादास राठौड़ पराक्रमी योद्धा थे। वीर दुर्गादास का जन्म 13 अगस्त 1638 में मारवाड़ राज्य के सालवा गांव में हुआ। माता नेतकुंवर पिता आसकरण की ही तरह उनमें भी बाल्यकाल से ही वीरता व अदम्य साहस भरा था।

हिंदू एकता पर दिया बल
राजस्थान राजपूत समाज संघ के सदस्य चौरा निवासी पर्बतसिंह चौहान ने कहा, वीर दुर्गादास राठौड़ हमारे आदर्श हैं। उनका योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता। ऐसे महापुरुषों को सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि हम उनके बताए मार्ग पर चलें। भारत भूमि में हमेशा से वीरों की कमी नहीं रही है। राजपूतों की बहादुरी के किस्से पूरे राजस्थान की आन-बान-शान हैं। इन्हीं वीरों में से दुर्गादास राठौड़ भी थे, जिन्होंने औरंगजेब की नाक में दम दिया। उन्होंने न सिर्फ मुगलों को कई बार धूल चटाई, बल्कि मेवाड़ और मारवाड़ में संधि करवा कर हिंदू एकता पर भी बल दिया।

समाज को मिलती हैं नई दिशा
राजस्थान राजपूत समाज संघ के सदस्य जालमसिंह देवड़ा सवराटा ने कहा, वीर शिरोमणि दुर्गादास राठौड़ प्रत्येक व्यक्ति के लिए आस्था के प्रतीक है। वीर दुर्गादास जैसे वीरों का स्मरण समय-समय पर करते रहने से समाज को नई दिशा मिलती है। हमें उनके जीवन की घटनाओं को बताकर उनके जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए। किसी भी ताकत से भयभीत नहीं होने वाले वीर दुर्गादास राठौड़ का स्मरण करना ही उनके प्रति सच्ची सद्भावना है।

पूजा-अर्चना के साथ समारोह की शुरुआत
इस मौके पर राजस्थान राजपूत समाज संघ के श्रवणसिंह देवड़ा खेड़ा, हरिसिंह राठौड़ लेदरमेर, हेमसिंह महेचा नौसर, विक्रमसिंह परमार दादाल, खुमानसिंह भायल पादरड़ी कलां, रविन्द्रसिंह राठौड़ हरढाणी, मुकेश परमार सांडन समेत समाज के अन्य लोगों ने भी अपने विचार रखे तथा वीर दुर्गादास राठौड़ के बताए मार्ग पर चलने का संकल्प दोहराया। प्रारम्भ में राजस्थान पत्रिका हुब्बल्ली के संपादकीय प्रभारी अशोकसिंह राजपुरोहित ने वीर दुर्गादास राठौड की जीवनी के बारे में प्रकाश डाला। वीर दुर्गादास राठौड़ की तस्वीर के समक्ष पूजा-अर्चना के साथ समारोह की शुरुआत की गई।