एसोसिएशन के सदस्यों ने मंत्री का सम्मान किए जाने के बाद उनसे हुई चर्चा में कहा कि बड़ी कंपनियों ने दवा की गुणवत्ता पर सवाल उठाकर छोटे कारोबारियों का बिजनेस प्रभावित किया, जबकि अधिकतर बड़ी कंपनियां लघु उद्योग से ही माल तैयार करा रही हैं। समारोह में शहर कांग्रेस व दवा बाजार एसोसिएशन के अध्यक्ष विनय बाकलीवाल का भी सम्मान किया गया। इस दौरान फूड एंड ड्रग विभाग के डिप्टी डायरेक्टर शोभित कोष्टा, प्रदेश लायसेंसिंग अथॉरिटी के रजनीश चौधरी, राजीव अग्रवाल, ड्रग इंस्पेक्टर धर्मेश बिगोनिया मौजूद थे।
राजस्थान में सिर्फ 20 लाख टर्नओवर की शर्त तो मप्र में 10 करोड़ की क्यों व्यापारी डॉ. दर्शन कटारिया व अन्य ने बताया, कि डब्ल्यूएचओ जीएमपी की अव्यवहारिक शर्त उद्योग को उठने ही नहीं दे रही। इसमें 10 करोड़ टर्न ओवर की सीमा सबसे बड़ी रुकावट बन रही है। मप्र की क्रय नीति में शामिल लघु इकाइयों को 10 से 15 फीसदी प्राइज प्रेफरेंस देने के नियम का पालन नहीं कर व्यापारियों की कमर तोड़ दी गई। मप्र में टर्न ओवर लिमिट 10 करोड़ है, जबकि राजस्थान में 20 लाख, गुजरात में 75 लाख, तमिलनाडु में दो करोड़, छत्तीसगढ़ में यह सीमा 50 लाख रुपए है।
फार्मा क्लस्टर की मांग एसोसिएशन के अध्यक्ष हिमांशु शाह और सचिव अमित चावला ने कहा, दवा कॉरपोरेशन का गठन 5 साल पहले हुआ, लेकिन डीएचएस के माध्यम से हुई खरीदी का करीब 25 करोड़ रुपए का भुगतान अब तक राज्य सरकार ने नहीं किया। इंदौर में लघु दवा उद्योग क्लस्टर खोलने की मांग भी की गई। इस दौरान हनीष अजमेरा, रतन पांडे, पूर्व विधायक रामलाल मालवीय, श्याम होलानी आदी मौजूद थे।
‘पहचान लौटाऊंगा’ मंत्री सिलावट ने उद्योग की इस स्थिति को दु:खद बताया। उन्होंने व्यापारियों व अधिकारियों के साथ 20 जून के बाद भोपाल में बैठक कर इस संबंध में चर्चा करने की बात कही। उन्होंने कहा, मेरी पूरी कोशिश रहेगी कि तीन दशक पहले की तरह व्यापार को सुचारू बनाने के लिए नियमों की खामियों व बाधाओं को दूर कर सकूं। इसके लिए मुख्यमंत्री कमलनाथ से भी चर्चा करने का आश्वसन दिया।