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65 की उम्र पार कर चुके शिक्षाविद नहीं बनेंगे कुलपति

राजभवन ने निर्धारित की कुलपति बनने के लिए उम्र सीमा, पहले नियम बनता तो डीएवीवी की दौड़ से बाहर हो जाते धाकड़

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Shruti Agrawal

Jun 23, 2016

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(फाइल फोटो)

अभिषेक वर्मा@इंदौर। प्रदेश की यूनिवर्सिटी में कुलपति बनने की दावेदारी का सपना देखने वालों के लिए राजभवन ने एक बड़ा फैसला लिया है। यूनिवर्सिटी का कुलपति बनने के लिए सिर्फ वे ही शिक्षाविद दावेदारी कर सकते है जिन्होंने 65 की उम्र पार नहीं की है। ये नियम कुछ महीने पहले लागू किया जाता तो देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो.नरेंद्र धाकड़ कुर्सी के लिए दावेदारी भी नहीं कर पाते।

देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी के कुलपति चयन के लिए राजभवन ने 27 अगस्त को विज्ञापन जारी किया था। निर्धारित शर्तों में उम्र सीमा का कोई उल्लेख नहीं होने से देशभर के कई सेवानिवृत्त प्रोफेसरों ने भी कुलपति पद के लिए आवेदन किए। 65 साल की उम्र करने वाले चर्चित चेहरों में पूर्व अतिरिक्त संचालक प्रो.नरेंद्र धाकड़ व जीएसीसी के पूर्व प्राचार्य प्रो.एसएल गर्ग के नाम शामिल थे।

तीन बार कुलपति चयन की पैनल भंग होने के बाद राजभवन ने प्रो.धाकड़ के नाम पर मुहर लगाई है। देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी के कुलपति चयन की प्रक्रिया शुरू होने के बाद 16 सितंबर 2015 को मेडिकल यूनिवर्सिटी (जबलपुर), 3 फरवरी 2016 को अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी यूनिवर्सिटी (भोपाल) और 20 मई 2016 को राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला यूनिवर्सिटी (ग्वालियर) के कुलपति चयन की प्रक्रिया चल रही है। इन यूनिवर्सिटी में कुलपति बनने के लिए अधिकतम उम्र सीमा 65 साल निर्धारित कर दी गई।

सागर यूनिवर्सिटी से हुई थी शुरुआत
प्रदेश की यूनिवर्सिटी का कुलपति बनने के लिए पहले भी अधिकतम उम्रसीमा 65 साल ही निर्धारित थी। लेकिन, सागर यूनिवर्सिटी के कुलपति चयन की प्रक्रिया के दौरान पहली बार यह बंधन खत्म किया गया। इसके बाद सतना यूनिवर्सिटी के कुलपति चयन के समय अधिकतम उम्रसीमा 70 वर्ष निर्धारित हुई। इसी नियम से देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी के लिए भी चयन प्रक्रिया शुरू कराई गई थी। अधिकतम उम्र 65 का बंधन होने से सरकारी कॉलेजों या यूनिवर्सिटी से सेवानिवृत्त हो चुके कोई भी शिक्षक दावेदारी नहीं कर सकेंगे।

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