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PATRIKA STING VIDEO : 200 रुपए की लालच में हजारों रेल यात्रियों की सुरक्षा से खिलवाड़ कर रहे एसी अटेंडर

पत्रिका एक्सपोज ने रेलवे में हो रहे इस धंधे का स्टिंग कर खुलासा किया है।

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इंदौर

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Hussain Ali

Aug 09, 2019

indore

PATRIKA STING VIDEO : 200 रुपए की लालच में हजारों रेल यात्रियों की सुरक्षा से खिलवाड़ कर रहे एसी अटेंडर

भूपेन्द्र सिंह @ इंदौर. ट्रेन के एसी कोच में तैनात अटेंडर ऊपरी कमाई के लालच में सामान से भरा पार्सल ट्रेन में रखकर एक शहर से दूसरे शहर ले जाने का काम कर रहे हैं। किसी से भी पैसा लेकर ट्रेन में अटेंडर पार्सल रख लेते हंै। बिना जांचे-परखे पार्सल भेजे जा रहे हैं। चंद रुपयों की खातिर सुरक्षा तो दांव पर लग ही रही है वहीं अवैध सामान का परिवहन भी हो रहा है। एसी कोच के अटेंडर पार्सल पहुंचाने के लिए बगैर पूरी जानकारी के सामान की जिम्मेदारी ले लेते हैं। पत्रिका एक्सपोज ने रेलवे में हो रहे इस धंधे का स्टिंग कर खुलासा किया है।

पत्रिका एक्सपोज रिपोर्टर ने मालवा एक्सप्रेस में एक पार्सल रखकर पूरा नाटकीय ढंग से खुलासा किया है। मालवा एक्सप्रेस के एसी कोच बी-३ के अटेंडर धीरज ने २०० रुपए लेकर भोपाल पहुंचाने के लिए पार्सल ले लिया। इतना ही नहीं यूपी, दिल्ली, पंजाब और जम्मू जैसे राज्यों में भी पार्सल पहुंचाने का दावा कर मोबाइल नंबर भी दिया। इस काम में अमूमन सभी ट्रेनों में तैनात अधिकांश अटेंडर लगे हुए हैं। मालवा एक्सप्रेस के अन्य अटेंडरों और जोधपुर ट्रेन के अटेंडरों ने भी पार्सल ले जाना का दावा किया है।

पार्सल में प्रतिबंधित दवाएं भी भेज दी जाए तो पता नहीं चले

अटेंडरों का मूल काम एसी कोच में यात्रियों की सहायता करना होता है। चादर, तकिये, कंबल समेत नेपकीन जैसी चीजें उपलब्ध करवाने के लिए अटेंडरों की तैनाती की जाती है। लेकिन अपने मूल काम को दरकिनार कर अंटेडर कोरियर की सुविधा दे रहे हैं। अटेंडरों को जब पार्सल दिया जाता है तो ये पार्सल देने और लेने वाले दोनो व्यक्तियों की पहचान से कोई मतलब नहीं रखते हैं। पार्सल में क्या है इससे भी इनका कोई वास्ता नहीं होता है। अंटेडर पैसा लेकर पार्सल ट्रेन में रख लेते हैं। एेसे में अगर कोई ड्रग्स, नशीले पदार्थ, हथियार, प्रतिबंधित चीजें भी भेज दें तो ये लोग एक जगह से दूसरी जगह पहुंचा देंगे। रिपोर्टर ने अपने पार्सल में पुरानी दवाई और इलेक्ट्रॉनिक आयटम रख अटेंडर को दिए तो बिना सवाल किए पैसा लेकर भोपाल के ट्रेन में पार्सल रख लिया गया। जिस ट्रेन में पार्सल रखा गया वो ट्रेन जम्मू जैसे संवेदनशील राज्य तक जाती है।

अधिकारियों की नाक के नीचे धंधा

एेसा भी नहीं है कि अटेंडरों की मनमानी की जानकारी अधिकारियों को नहीं है। प्लेटफॉर्म पर खुलेआम पार्सल के परिवहन का सौदा होता है लेकिन इससे टीसी, पुलिस और स्टेशन एरिया मैनेजर तक अनभिज्ञ बने हुए है। लापरवाही किसी भी दिन भारी पड़ सकती है। समय रहते इस धंधे पर रोक लगाना जरूरी है।

स्टिंग : 1
कटरा तक पहुंचा दूंगा पार्सल

(प्लेटफॉर्म नंबर 4 पर खड़ी मालवा एक्सप्रेस के एसी कोच के नंबर बी-3 के सामने पार्सल लेकर रिपोर्टर पहुंचा तो अटेंडर धीरज आया)
अटेंडर : पार्सल भेजना है क्या
रिपोर्टर : हां
अटेंडर : कहां भेजना है
रिपोर्टर : भोपाल
(अटेंडर ने थैली में से पार्सल निकालकर देखा)
अटेंडर : ठीक है। मेरा नंबर लिख लो
रिपोर्टर : क्या नाम आपका
अटेंडर : धीरज।
रिपोर्टर : भोपाल में जिसको देना है उसका नाम और नंबर लिखा है पार्सल पर, कब पहुंचेगी भोपाल।
अटेंडर : आज शाम 5.30बजे।
रिपोर्टर : कितने पैसे लगेंगे।
अटेंडर : दौ सौ रुपए लगेंगे।
रिपोर्टर : दौ सौ तो ज्यादा है, सौ रुपए ले लो।
अटेंडर : जो रेट है वो ही ले रहे हैं। ज्यादा थोड़ी है, ज्यादा दूर पहुंचाते तो ५०० से कम नहीं लगते।
रिपोर्टर : आगे कहां तक पहुंचा देते हो।
अटेंडर : कही भी आगरा, दिल्ली, कटरा तक, नंबर सेव कर लेना मेरा।
रिपोर्टर : आप खुद ही जाओगे न लेकर।
अटेंडर : हां।
रिपोर्टर : बी 3 में हो ना।
अटेंडर : हां।

स्टिंग : 2

इसी तरह अन्य दिन इसी ट्रेन के दूसरे अटेंडर से रिपोर्टर ने पार्सल भेजने की बात कही
रिपोर्टर : पार्सल भेजना है भोपाल।
अटेंडर : कहां है पार्सल लाओ, ले जाएंगे।
रिपोर्टर : बाहर रखा है।
अटेंडर : ले आओ।
रिपोर्टर : कितने पैसे लोगे।
अटेंडर : लेकर आओ फिर बताउंगा।
रिपोर्टर : बता दो पहले।
अटेंडर : जो देना हो दे देना।
रिपोर्टर : ठीक है।
अटेंडर : पार्सल लेकर सीधे अंदर आ जाना कोई देख न लें।
(इसी तरह जोधपुर ट्रेन का अटेंडर कोटा पार्सल पहुंचाने के लिए तैयार हो गया)