शुद्ध हवा के लिए चिकित्सा पेशेवरों के साथ हुई कार्यशाला में सामने आए तथ्य
इंदौर. वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए इंदौर नगर निगम द्वारा चलाए जा रहे क्लीन एयर कैटेल्सिट प्रोजेक्ट के तहत रविवार को इंदौर के चिकित्सा पेशेवर, स्वास्थ्यकर्मी, सरकारी स्वास्थ्य अधिकारी, स्वास्थ्य शोधकर्ताओं के साथ नगर निगम के अधिकारियों की एक कार्यशाला हुई। इस कार्यशाला के दौरान तथ्य सामने आया कि वायु प्रदूषण के कारण सबसे ज्यादा असर छोटे बच्चों पर पड़ता है। मध्यमवर्गीय और निम्न वर्ग के छोटे बच्चे जो कि खुले में खेलते रहते हैं। हवा में फैले प्रदूषण से वे ग्रसित होते रहते हैं और धीरे-धीरे उनके शरीर में इस प्रदूषण के कारण अपव्यय जमा होते रहते हैं और लंबे समय बाद वे इसका असर दिखाते हैं जिससे बच्चों को कई तरह की बीमारियां घेर लेती हैं।ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में बेहतर स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए स्वच्छ वायु संबंधी समाधान विषय पर आयोजित इस कार्यशाला में सीएसी विशेषज्ञ डॉ. विजेंद्र इंगोले ने बताया कि इंदौर में यातायात, उद्योग, और विभिन्न तरह का कचरा जलाना वायु प्रदूषण के तीन बहुत बड़े कारण हैं। इनसे होने वाले प्रदूषण को कम करने की बेहद ज्यादा जरूरत है। बच्चे, गर्भवती महिलाएं, बुर्जुग और पहले से ह्दृय रोग और फेफडों की बीमारी से पीडित लोगों को इसको लेकर सबसे ज्यादा जोखिम रहता है। इसी तरह से क्लीन एयर कैटलिस्ट कंसोर्शियम की एंवायरमेंटल हेल्थ एक्सपर्ट सुमी मेहता ने आम लोगों के वायु प्रदूषण के संपर्क में आने की प्रक्रिया और प्रभाव पर प्रकाश डाला। साथ ही उन्होंने चिकित्सकिय पेशेवरों को इस दौरान बताया कि वे किस तरह से मरीजों को वायु प्रदूषण का सामना करने से रोक सकते हैं। और उनके स्वास्थ्य पर पडऩे वाले असर को कम कर सकते हैं। इस दौरान स्वास्थ्य विभाग की ओर से कार्यशाला में शामिल हुए जिला मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. बीएस सेतिया और नगर निगम के अधीक्षण यंत्री महेश शर्मा ने भी उन्हें आश्वासन दिया कि वायु प्रदूषण को रोकने में पूरा विभाग सहयोग करेंगे। क्लीन एयर कैटेल्सिट प्रोजेक्ट के भारत प्रमुख कौशिक हजारिका ने इंदौर में वायु गुणवत्ता को सुधारने के लिए किए जा रहे कामों के बारे में सभी को जानकारी दी। साथ ही उन्होंने बताया कि समय पर इंदौर में इस पर काम करने के कारण इस पर असर तो पड़ेगा, लेकिन अकेले इंदौर में ही इस काम के करने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। इसके लिए अन्य शहरों को भी मिलकर काम करना होगा, क्योंकि इंदौर में जो काम होगा, जिससे इसके प्रभाव को कम किया जा सके।