
Contract teacher class one and two khargone mp
खरगोन. सरकारी स्कूलों में बच्चों को शिक्षा की तामिल देने के लिए जहां शिक्षकों का टोटा है। वहीं कुछ ऐसे युवा है, जिन्होंने शिक्षक भर्ती परीक्षा पास की और लेकिन तीन साल से शिक्षक बनने का सपना पूरा नहीं हुआ। जिला मुख्यालय से लेकर प्रदेश की राजधानी भोपाल तक अलग-अलग प्रदर्शनों के माध्यम से आवाज शासन-प्रशासन तक पहुंचा चुके हैं।
परंतु कही भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। दरअसल, फरवरी 2019 में शिक्षक भर्ती परीक्षा हुई थी। इसमें जिले से 280 और प्रदेश में 30 हजार से अधिक अभ्यर्थियों का चयन हुआ है। जिन्हें प्राइवेट स्कूल में भी काम देने को तैयार नहीं। ऐसी स्थिति में इन्हें अपना तथा परिवार का पेट भरने के लिए दिहाड़ी मजदूरी करना पड़ रही है। डिग्री होल्डर युवा गन्ने की दुकान, बैलदारी और खेतों में मजदूरी कर रहे हैं। इन्हें अब अपने भविष्य की चिंता सता रही है।
पिछले एक साल से काम-धंधा नहीं मिलने से इनके पास मजदूरी के अलावा कोई विकल्प नहीं है। इस संबंध में सोमवार को मनावर के विधायक डॉ. हीरालाल अलावा सहित नौ विधायकों ने विधानसभा में प्रश्न लगाकर सरकार से सवाल पूछा प्रदेश में शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया कब पूर्ण होगी। जवाब में शिक्षा मंत्री इंदरसिंह परमार ने भर्ती का आश्वासन तो दिया।
गन्ने का रस बेच हो रहा गुजारा
सनावद निवासी भूतेशचंद्र ने भी वर्ग एक की भर्ती परीक्षा पास की है। सालभर से बेरोजगार है और ऐसी हालत में परिवार का पेट भरने के लिए बासवां के पास इंदौर-इच्छापुर हाइवे पर गन्ने का ठेला लगाकर ज्यूस बेच रहे है। भूतेश चयनित शिक्षक संघ के प्रदेश संयोजक भी है। परिवार में बीवी और बच्चें है और उनके भरण-पोषण की जिम्मेदारी है। सोचा था पढ़-लिख कर अच्छी सरकारी नौकरी मिल जाएगी। दिन-रात मेहनत कर परीक्षा पास की। अब सरकार भर्ती नहीं कर रही।
भुट्टे और केले की दुकान
उमेश बिरले और सूर्यकांत निवाड़े सनावद को परीक्षा पास करने के बाद जब नौकरी नहीं मिली तो लॉक डाउन के बाद से यह भुट्टे और केले का ठेला लगा रहे हैं। इनका कहना है हमारे जैसे कई शिक्षक और दक्षता रखने वाले अभ्यर्थी आज मजबूर होकर छोटा-मोटा काम कर रहे हंै। सूर्यकांत आज भी एक अच्छी नौकरी की तलाश कर रहे हैं।
प्रदेश में तीसरी रैंक, अब कर रहे बेलदारी
बंजारी के रहने वाले बाबूलाल मंडलोई की एज्युकेशन फिजिक्स विषय से मास्टर डिग्री और बीएड है। शिक्षक भर्ती परीक्षा में प्रदेश में थर्ड रैंक रही। मंडलोई की दु:खभरी कहानी है कि उनका परिवार बेहद गरीब है। घर खर्च चलाने के लिए जब कोई काम-धंधा नहीं मिला तो बेलदारी करने लगे।
Updated on:
02 Mar 2021 06:50 pm
Published on:
02 Mar 2021 05:16 pm
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