होलकर शासन से लेकर अब तक हजारों संपत्तियां हैं लीज पर
इंदौर. नगर निगम की हजारों संपत्तियां लीज पर हैं, लेकिन सात साल से उनका नवीनीकरण नहीं हो पा रहा है। अब तो निगम में लीज के आवेदन लेना ही बंद हो गए हैं। होलकर शासन काल से लेकर बाद तक यह संपत्तियां लीज पर दी गई हैं। निगम के पास संपत्तियों के दस्तावेज नहीं हैं, इसलिए लीज के सभी मामले होल्ड कर दिए गए हैं। लोग परेशान हैं और नगर निगम का करीब 200 करोड़ का राजस्व फाइलों में बंद हो गया है।
1943 का मामला, अफसर नहीं ले रहे फैसला
स्नेहलतागंज निवासी अनुराग सिंह मकान की लीज नवीनीकरण के लिए निगम के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन अधिकारी आवेदन लेने को ही तैयार नहीं हैं। यहीं के प्रकाश शर्मा की लीज का मामला 2016 से उलझा है। राजबाड़ा इलाके की एक पुरानी संपत्ति की लीज वर्ष 1943 में खत्म हो गई। होलकर शासन काल में संपत्ति लीज पर दी गई थी, लेकिन निगम के रिकॉर्ड में दस्तावेज ही नहीं हैं। लीजधारक दस्तावेज देकर लीज नामांतरण कराना चाहते हैं, लेकिन निगम अधिकारी काम नहीं कर रहे हैं। संपत्ति बेशकीमती हो गई है, इसलिए अफसरों को लग रहा है कि बिना दस्तावेज लीज बढ़ा दी तो पद के दुरुपयोग के मामले में उलझ सकते हैं।
4888 संपत्तियां लीज पर
शहर में भूमि व अन्य संपत्तियां महाराजा ऑफ होलकर स्टेट, इंदौर सुधार न्यास तथा नगर निगम द्वारा समय-समय पर लीज पर आवंटित की गईं। निगम के सभी मार्केट की दुकानें भी लीज पर हैं। 4888 संपत्तियों के लीज मामले अटके हुए हैं। वर्ष 2016 से 2023 तक आए हजारोंं आवेदन में से 20 प्रतिशत का निराकरण हुआ। अब तो आवेदन भी जमा नहीं किए जा रहे हैं। संपत्तियों की लीज नवीनीकरण, नामांतरण, फ्री होल्ड करने के मामले सात साल से होल्ड पर हैं। लीज मामलों में निगम शुल्क लेता है। निराकरण नहीं होने से करीब 200 करोड़ का राजस्व भी फाइलों में बंद है।
दर वृद्धि का भी है प्रस्ताव
नगर निगम ने लीज की दर वृद्धि का भी प्रस्ताव बनाया है। शासन से इसकी अनुमति का इंतजार है। अनुमति मिलने के बाद इसे एमआइसी में रखा जाएगा।
लीज शर्तों का हो रहा उल्लंघन
लीज मामलों की समीक्षा की है। कई पुराने मामले लंबित हैं। दस्तावेज उपलब्ध नहीं हैं। लीज शर्तों का भी उल्लंघन हो रहा है। ऐसे मामलों में प्रावधान भी साफ नहीं हैं, इसलिए अफसर अपनी टीप देकर फैसला नहीं करना चाह रहे हैं। शासन से मार्गदर्शन मांगा है।
हर्षिका सिंह, निगमायुक्त