मूक बधिराें का यह ओलिंपिक ब्राजील में मई में आयोजित किया जाएगा। राज की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। पहलवानी करने के लिए उन्हें पौष्टिक भोजन चाहिए पर अच्छे खानपान के लिए पर्याप्त पैसा ही नहीं है। अन्य सुविधाएं भी नाममात्र की ही हैं। उनके माता—पिता नहीं हैं और ऐसे में बड़ा भाई ऋषभ ही जिम्मेदारी उठा रहे हैं.
ऋषभ बिजली कंपनी में आठ हजार रुपए महीने की नौकरी करते हैं और इसी में राज की खुराक का इंतजाम कर रहें हैं। इसी तरह राज के कोच गोमती व्यायामशाला के गुरु प्रहलाद ठाकुर भी उनकी मदद कर रहे हैं। उन्होंने राज को खुराक पूरी करने के लिए बादाम और घी दिया है। राज का छोटा भाई अमन भी बोल-सुन नहीं पाता। ये दोनों कमाई करने के लिए रोड किनारे ठेला लगाकर सब्जी और भूसा बेचते थे लेकिन निगमकर्मी उनका ठेला उठाकर ले गए।
भाई ऋषभ बताते हैं कि 12 साल की उम्र में राज ने हॉकी खेलना शुरू किया। बाद में अखाड़े जाने लगा। हरियाणा, पंजाब सहित कई राज्यों में कुश्ती में अनेक पदक जीते हैं। हम लोगों की आर्थिक हालत अच्छी नहीं है। मेरी सेलरी मात्र आठ हजार रुपए ही है जिसमें घर चलाना कठिन है पर राज की कुश्ती में कोई कोर कसर नहीं रखना चाहता। घी बुलाता हूं लेकिन केवल राज के लिए।