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पटवारी के हाथ में था डेथ सर्टिफिकेट, युवक बोला- साहब मैं जिंदा हूं, बड़े घोटाले की खुली पोल

यहां एक युवक को कोरोना से मृत बताकर उसके नाम पर सरकारी मुआवजा वसूलने की तैयारी की जा रही थी।

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पटवारी के हाथ में था डेथ सर्टिफिकेट, युवक बोला- साहब मैं जिंदा हूं, बड़े घोटाले की खुली पोल

इंदौर. मध्य प्रदेश की आर्थिक नगरी इंदौर में कोरोना से मौत पर मिलने वाले मुआवजे में बड़े घोटाले का संकेत मिल रहे हैं। इस अजब घोटाले के संकेत ऐसे मिलते हैं कि, यहां एक युवक को कोरोना से मृत बताकर उसके नाम पर सरकारी मुआवजा वसूलने की तैयारी की जा रही थी। लेकिन, ऐन वक्त पर कलेक्टर के ऑफिस वही शख्स पहुंच गया, जिसकी कोरोना से मौत के एवज में मुआवजा वसूलने की तैयारी की जा रही थी। कलेक्ट्रेट पहुंचे युवक ने यहां पहुंचकर कहा कि, 'साहब मैं ज़िंदा हूं।'


आपको बता दें कि, इंदौर में एक जीवित युवक को कोरोना से मृत बताकर उसका मृत्यु प्रमाण पत्र भी जमा कर दिया गया। क्योंकि, सरकार द्वारा कोरोना से जान गवाने वाले व्यक्ति की मौत पर उनके परिजन को मुआवजा देने का ऐलान किया गया है। ऐसे में युवक के नाम के डेथ सर्टिफिकेट के साथ मुआवजा राशि के लिए आवेदन किया गया। इस होने वाले घोटाले का खुलासा तब हुआ जब वेरिफिकेशन के लिए पटवारी ने संबंधित व्यक्ति को फो किया। जिसे मृत बताया जा रहा था, उसके बेटे से पटवारी की बात हुई, जिसने कहा कि, उसके पिता जिंदा हैं। इसपर पटवारी के होश उड़ गए। फिलहाल, मामला सामने आने के बाद जिला प्रशासन जांच में जुट गया है।

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जानकीलाल जिंदा हैं

शहर के सांवेर क्षेत्र में रहने वाले जानकीलाल को कोरोना से मृत बताकर उनके नाम से मुआवज वसूलने का आवेदन किया गया था। लेकिन, उनके बेटे अभिषेक के पैरों तले उस समय खिसक गई, जब उन्हें पता चला कि जानकीलाल को मृत बताकर सरकार से मुआवजा राशि लेने का आवेदन किया गया है, अभिषेक के पास इंदौर कलेक्टर कार्यालय से पटवारी ने मौत की पुष्टि करने के लिए फोन किया। इस दौरान पटवारी द्वारा कहा गया कि, उनके पिता की कोविड से मौत हुई है, जिसके चलते राज्य सरकार द्वारा उन्हें दिए जाने वाली आवेदन राशि स्वीकृत कर दी गई है। संबंधित राशि उनके खाते में जमा करनी है तो तत्काल ही वो संबंधित दस्तावेज लेकर कार्यालय पहुंचे।


जिंदा का बन गया मृत्यु प्रमाण पत्र

पटवारी का फोन सुनकर जानकीलाल का बेटा अभिषेक भागा-भागा कलेक्टर कार्यालय पहुंचा. वहां सच में उनके पिता की मृत्य का सर्टिफिकेट देकर अनुग्रह राशि के लिए आवेदन दिया गया था। आवेदन में अभिषेक के पिता जानकीलाल की कोविड रिपोर्ट के साथ ही नगर निगम की ओर से जारी मृत्यु प्रमाण पत्र भी लगाया गया था। इतना ही नहीं अभिषेक का आधार कार्ड, बैंक पासबुक भी इस आवेदन के साथ जमा थे। जैसे ही, साजिश के बारे में पता चला तो खुद जानकीलाल कलेक्टर कार्यालय पहुंचे और बताया कि, वो तो जिंदा हैं। फिलहाल, अपर कलेक्टर पवन जैन ने मामले की जांच का आदेश दिया हैं। साथ ही, कार्यालय के सीसीटीवी फुटेज भी खंगाले जा रहे हैं, ताकि जाना जा सके कि, दस्तावेज जमा करने कौन आया था।

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