
जानें क्यों सैराट से कम पसंद की जा रही जाह्नवी की धडक़
इंदौर. फिल्म धडक़ में ईशान खट्टर और जाह्नवी कपूर की लव केमिस्ट्री यंगस्टर्स काफी पसंद कर रहे है।निर्देशक शशांक खेतान ने भले ही सैराट की ब्लॉकबस्टर बनाई हो लेकिन फिल्म कुछ हद तक अलग है। फिल्म की कहानी सैराट के जैसे ही है लेकिन इसका एंड थोड़ा अलग हटकर है। फिल्म का पहला भाग थोड़ा धीमा है लेकिन इंटरवल के बाद कहानी तेज रफ्तार में आगे बढ़ती नजर आती है। डायरेक्टर ने उदयपुर और कोलकाता को बड़ी खूबसरती के साथ कमरे में कैद किया है। जाह्नवी और ईशान के साथ-साथ आशुतोष राणा और फिल्म में ईशान खट्टर के दोस्त बने कलाकारों ने बहुत बढिय़ा काम किया है। जाह्नवी कपूर की यह पहली फिल्म है जिसमें कई ऐसी जगह हैं जहां उनका अभिनय देखकर श्रीदेवी की याद आ जाएगी
पहले के शो के बाद जब पत्रिका ने दर्शकों से जानना चाहा तो लोगों ने अपने व्यूज शेयर किए। दर्शकों ने बताया कि उन्हें फिल्म का फस्र्ट हाफ बेहद ही पसंद आया पर क्लामेक्स ने उन्हें डरा दिया। उन्हें उम्मीद नहीं थी कि ऐसा क्लामेक्स देखने को मिलेगा। दर्शकों को सैराट के मुकाबले धडक़ फिल्म कुछ कम लगी। वहीं गल्र्स को जाह्नवी कपूर का डेसअप काफी प्रभावित किया है। फिल्म को ज्यादातर दर्शको ने काफी सराहा है तो वहीँ कुछ का कहना है फिल्म की तुलना सैराट से की जाएं। तो सैराट में अभिनय और कहानी ज्यादा बेहतर है। ईशान और जाह्नवी की एक्टिंग भी कुछ ख़ास कमाल नहीं कर पायी है। इस फिल्म से पहले दिन 7 से 10 करोड़ के कलेक्शन की उम्मीद की जा रही है लेकिन फिल्म बॉक्स ऑफिस पर अपना जादू चला पाती है या नहीं ये तो वक़्त ही बताएगा।
ये रही कहानी
ये कहानी है कॉलेज फस्र्ट ईयर में पढ़ रहे एक ऐसे प्रेमी जोड़े की जो अपने प्यार को अपने परिवार और समाज से ऊंचा समझते हैं। मधुकर बागला (ईशान खट्टर) और पार्थवी (जाह्नवी कपूर) उदयपुर के एक ही कॉलेज में पढ़ते हैं। पार्थवी उदयपुर के एक बड़े घराने से तालुल्क रखती हैं और उनके पिता (आशुतोष राणा) आने वाले चुनाव में अपनी जीत की तैयारी में लगे होते हैं। वहीं मधुकर उदयपुर के एक छोटे लेक साइड रेस्तरां के मालिक का बेटा है। वह एक छोटे से घर में अपने माता-पिता और दो दोस्तों के साथ रहता है। दोनों दोस्त मधु के पिता के रेस्तरां में हाथ बटाते हैं। धडक़ की शुरुआती कहानी बिल्कुल वैसी है जैसे की किसी साधारण सी लव स्टोरी की होती है। बड़े अमीर घर की बेटी और सामान्य घर का लडक़ा दोनों एक दूसरे के प्यार में कुछ ऐसे पड़ जाते हैं कि उन्हें कोई नजर नहीं आता। कहानी की शुरुआत में ही दिखाया गया है कि मधु पार्थवी के प्यार में एकतरफा पागल है। वह अपने सपने में भी पार्थवी को ही देख रहा है।
सपने से बाहर आते ही उसके दोस्त उसे याद दिलाते हैं कि उसे खाने पीने की एक प्रतियोगिता में हिस्सा लेना है जहां जीतने वाले को पार्थवी खुद अपने हाथों से पुरस्कार देगी। बस और क्या था पार्थवी का नाम सुनते ही मधुकर के पूरे शरीर में करेंट दौडऩे लगता है और वह इस लालच में प्रतियोगिता जीत भी जाता है। इसके बाद ही शुरू होती है दोनों की सिंपल सी लव। यह दोनों अलग जाति से हैं, इनकी आर्थिक स्थिति अलग है लेकिन फिर भी यह दोनों प्यार करते हैं और यही इस मासूम प्यार की गलती है। शुरुआत के कुछ रंगीन पलों के बाद पार्थवी के पिता अपनी बेटी को मधु के साथ देख लेते हैं और उन्हें पुलिस में अरेस्ट करा देते हैं। अपने प्यार के लिए मधु और पार्थवी कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं और करते भी हैं। लेकिन आखिर में इन्हें प्यार मिलता तो मिलता है पर शुरु होती है जिंदगी की सच्ची जंग। फिर भी प्यार जीतता है और दोनों को एक बेटा हो जाता है। एक दिन पार्थवी के पिता को उनके बारे में पता चलता है और उसके बाद क्या होता है यह देखने के लिए आपको सिनेमाघरों तक जाना होगा।
Updated on:
20 Jul 2018 05:45 pm
Published on:
20 Jul 2018 04:50 pm
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