हिंदू मान्यता के हिसाब से नए वर्ष की शुरुआत गुड़ी पड़वा से होती है। दो दशक पहले राजबाड़ा पर नगर निगम की पहल पर सामूहिक सूर्य अघ्र्य देने की परिपाटी शुरू हुई थी जो भी बदस्तूर जारी है। यहां पर लोक संस्कृति मंच और संस्कार भारती के साथ नगर निगम कार्यक्रम करती है। इसके अलावा बड़ा गणपति, चाणक्यपुरी चौराहा और तिलक नगर में भी आयोजन होता है जिनको लेकर बवाल मचा हुआ है। अंदर ही अंदर नए पार्षदों में निगम अफसरों के प्रति खासी नाराजगी है।
बताया जा रहा है कि कुछ पार्षदों ने गुड़ी पड़वा को लेकर अपने-अपने चौराहों पर कार्यक्रम करने के लिए नगर निगम के अफसरों से संपर्क किया था। स्वीकृति मिल जाती तो करीब एक दर्जन स्थान पर कार्यक्रम होते। तब निगम के आला अफसरों ने अनुमति देने से इनकार कर दिया, क्योंकि टेंट से लेकर लाइट और साउंड तक की सारी व्यवस्था निगम को ही जुटानी होती है। आयोजक सिर्फ दुल्हा रहता है जिसके कहने पर भीड़ यानी बारात आ जाती है।
बड़ा गणपति पर पार्षद रहे टीनू जैन, चाणक्यपुरी पर एमआईसी सदस्य रहे बलराम वर्मा और तिलक नगर क्षेत्र में सभापति रहे अजयसिंह नरुका के आयोजन की निगम ने व्यवस्था जुटाई। यहां तक कि बिजली की लाइन भी नगर निगम अपने पोल या बगीचे से लेकर देती है। एक जगह तो नगर निगम के नाम का उल्लेख तक मंच या अन्य जगह पर नहीं था। सारा श्रेय पुराने पार्षद ले गए जिस पर नए पार्षदों को आपत्ति थी। जब मौजूदा पार्षद हम हैं तो पूर्व के कहने पर अनुमति कैसे दे दी गई और हमें इनकार क्यों किया गया? उनकी बात भी तर्क संगत है, लेकिन कार्यक्रमों की अनुमति नगर निगम की सबसे आला अफसर ने दी जिसके चलते कोई भी अफसर मुंह खोलने के लिए तैयार नहीं है। वे सभी बचाव करने में जुटे हुए हैं।
एमआइसी में भी उठा मुद्दा
गौरतलब है कि मंगलवार को एमआइसी की बैठक थी। उसमें सदस्य निरंजनसिंह चौहान व जीतू यादव ने जमकर घेराबंदी की थी। उस दौरान उन्होंने ये मुद्दा भी उठाया था। सभी अफसर सकते में आ गए थे, लेकिन बाद में महापौर पुष्य मित्र भार्गव ने ये बोलकर ठंडा कर दिया कि आयुक्त प्रतिभा पाल मेडम ने स्वीकृति दी थी। अगले साल इन बातों का ध्यान रखा जाएगा।