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भाजपा में वार्डों का बंटवारा… बनाएगी शक्ति केंद्र

मंडल पदाधिकारियों को सौंपी जाएगी जिम्मेदारी, नई रणनीति पर इंदौर भाजपा कर रही काम, हर जवाबदार नेता को मिलेगा काम  

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भाजपा में वार्डों का बंटवारा... बनाएगी शक्ति केंद्र

भाजपा में वार्डों का बंटवारा... बनाएगी शक्ति केंद्र

इंदौर। संगठनात्मक कसावट के लिए भाजपा नित नए प्रयोग करती रही है। वार्ड संरचना से नीचे जाकर अब शक्ति केंद्र पर फोकस किया जा रहा है, जो पांच से सात बूथों को मिलाकर बनाया जाएगा। प्रत्येक बूथ पर मंडल से लेकर नगर के पदाधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी जाएगी ताकि विधानसभा चुनाव तक वे उस पर मजबूत पकड़ बना सकें।

भाजपा का फॉर्मूला है कि हर कार्यकर्ता को काम और हर काम के लिए कार्यकर्ता होना चाहिए। जिम्मेदारी रहने पर कार्यकर्ता हमेशा सक्रिय रहता है। ये भी सच्चाई है कि मंडल से लेकर नगर तक थोकबंद पदाधिकारी हैं, लेकिन उनके पास कोई काम नहीं है, जबकि मोर्चा-प्रकोष्ठों की बात अलग ही है। ऐसे में अब पार्टी ने नई रणनीति पर काम शुरू कर दिया है, जिसका असर विधानसभा चुनाव में भी देखने को मिलेगा।

अब तक पार्टी की सबसे मजबूत इकाई मंडल को माना जाता रहा है, उसके बाद वार्डो की बारी आती है, जिसकी संरचना सरकारी गतिविधियों के अनुरूप है। अब पार्टी शक्ति केंद्र बनाने जा रही है, जिसमें पांच से सात बूथ को लिया जाएगा। भौगोलिक संरचना के हिसाब से शक्ति केंद्र का निर्माण किया जाएगा, जो कि वार्ड से बाहर भी नहीं जाएंगे। जैसे एक वार्ड में 25 बूथ हैं तो पांच शक्ति केंद्र हो जाएंगे। उनके बनने के बाद में उसका एक प्रभारी बनाया जाएगा।

ये नियुक्ति मंडल से नगर के पदाधिकारियों की होगी। उनके अलावा पार्षद रहे व मंडल में रहे लोगों के साथ नगर के पदाधिकारियों को भी जिम्मेदारी दी जा सकती है। शक्ति केंद्र का प्रभारी सीधे वार्ड और मंडल से समन्वय के साथ में नगर को भी रिपोर्ट करेगा। इसको लेकर वार्डों में खाका खींचा जा रहा है। सूची तैयार होने के बाद में नगर की तरफ से सभी प्रभारियों की नियुक्तियां कर दी जाएंगी।

400 नेताओं को दिया काम
इंदौर में 85 वार्ड हैं, जिसमें करीब 400 शक्ति केंद्र बनाए जाएंगे। उस हिसाब से 400 नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। ये नाम विधानसभा से ही निकालने का प्रयास किया जाएगा। इसके पीछे की एक बड़ी वजह ये भी है कि प्रभारी को ज्यादा दूर आना-जाना नहीं पड़ेगा। पास में होने पर बैठक से लेकर प्रवास तक में आसानी हो जाएगी, लेकिन ये भी ङ्क्षचता की जा रही है कि एक वार्ड से नेता को दूसरे में जरूर भेजा जाए ताकि विवाद की स्थिति या खींचतान जैसी नौबत न आए।