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योजनाओं में जमीनें अटकाने पर आईडीए व शासन को हाईकोर्ट की फटकार

कहा, सरकार खेल रही अपने अधिकारों के साथ

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Ida Indore

IDA Indore

Indore News: IDA Indore.

उच्च न्यायलय ने प्राधिकरण की योजना में फंसी जमीनों को लेकर लगी 43 याचिकाओं की सुनवाई करते हुए इंदौर विकास प्राधिकरण और प्रमुख सचिव (आवास एवं विकास) को फटकार लगाते हुए कहा कि राज्य शासन और प्राधिकरण अपनी योजनाओं को लेकर ढुलमुल रवैया अपना रहा है और अपने अधिकारों से खेल रहा है। कई योजनाओं में तो भूअर्जन की कार्यवाही तीन दशक से पूर्ण नहीं की जा सकी, जिसके कारण किसान न तो भूमि का उपयोग कर पा रहा, न ही प्राधिकरण उसकी भूमि का मुआवजा दे रहा है।
उच्च न्यायालय के न्यायाधीश रोहित आर्य ने इन याचिकाओं की सुनवाई के दौरान कहा कि प्राधिकरण बस योजना घोषित कर चुपचाप बैठ जाता है, जो समाज के लिए ठीक नहीं है। सिर्फ शपथ पत्र देकर प्रमुख सचिव संजय दुबे इतिश्री नहीं कर सकते। 29 जुलाई को दिए शपथपत्र के पैरा-9 में दिए गए बयान से मुंह मोड़ लिया और इसे छोड़ दिया है। इसके बाद शासन की ओर से पैरवी कर रहे अतिरिक्त महाधिवक्ता ने न्यायालय से 15 दिवस का समय मांगते हुए कहा कि राज्य शासन अटकी योजनओं के संबंध में एक और शपथ पत्र देगा, जिसमें अटकी योजनाओं के लिए एक पुख्ता प्लान भी प्रेषित किया जाएगा। न्यायालय ने शासन को फटकार लगाते हुए यह भी कहा कि शासन अपने ही अधीनस्थ प्राधिकरण के साथ गैरजिम्मेदाराना रवैया अपना रहा है और प्राधिकरण द्वारा अटकी योजनाओं के सम्बन्ध में भेजे संकल्प पर कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है।

टीएंडसीपी एक्ट के बदलाव से चाही राहत
जब अतिरिक्त महाधिवक्ता आरएस छाबड़ा ने नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम में धारा-56 में किए गए बदलाव का सहारा लेते हुए दलील दी कि वर्ष 2016 में सरकार बदलाव कर चुकी है और उसके फलस्वरूप योजना का क्रियान्वयन भले ही दो साल में शुरू न हुआ हो तो भी योजना स्वत: निरस्त नहीं मानी जा सकती। इस पर याचिकाकर्ता की तरफ से पैरवी कर रहे अभिभाषक वीर कुमार जैन ने दलील दी कि बदलाव का फायदा इस प्रकरण में नहीं लिया जा सकता और जो बदलाव किए गए हैं, वे शासन द्वारा शक्तियों की धोखाधड़ी की श्रेणी में आते हैं।

कांग्रेस ही पलटी अपने रवैये से
ध्यान देने वाली बात यह भी है कि वर्ष 2016 में जब तत्कालीन सरकार ने अधिनियम में जो बदलाव किए थे, वे भी किसान आंदोलन के प्रमुख कारणों में से एक था। किसानों ने बदलाव वापस लेने की मांग उठाई थी, तब तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ऐलान किया था कि किसान विरोधी बदलाव वापस लिए जाएंगे। कांग्रेस ने भी विधानसभा में बदलावों का पुरजोर विरोध किया था, लेकिन सत्ता में आते ही कांग्रेस भी अब इन्हीं बदलावों का सहारा ले रही है। युवा किसान संघ ने इन सभी बदलावों के विरुद्ध हाईकोर्ट जबलपुर में याचिका लगा रखी है।

शासन नहीं ले रहा फैसला
ज्ञात रहे प्राधिकरण वर्ष 2018 में संकल्प पारित कर शासन को भेज चुका है, जिसमें प्राधिकरण की विभिन्न योजनाओं को क्रियान्वित करने के लिए शासन से लगभग चार हजार करोड़ की राशि मांगी थी। इस पर शासन को फैसला लेना है कि या तो वो प्राधिकरण को राशि उपलब्ध करवाए या फिर सभी योजनाओं को निरस्त कर दे।