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Indore News: IDA Indore,
इंदौर विकास प्राधिकरण जमीनों का कितना ज्यादा भूखा है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जो योजना हाईकोर्ट के आदेश पर खत्म हो चुकी है, उसे अब भी कागजों पर चला रहा है। आईडीए अफसरों की इस करतूत के कारण एक सहकारी संस्था के सदस्य लंबे समय से घर की उम्मीद में टकटकी लगाए बैठे हैं। आईडीए संस्था को न तो सही और स्पष्ट जवाब दे रहा और न ही जमीन छोड़ रहा।
आईडीए ने यूं तो जमीन के जादूगरों से मिलकर बड़े-बड़े घोटाले किए, लेकिन जब मामला जनता से जुड़ा हो तो कुंडली मारकर बैठ जाता है।
ऐसा ही यह मामला एमआर-9 पर स्थिति कालिंदी हाउसिंग सोसाइटी का है। इस संस्था की जमीन आईडीए अटकाकर बैठा हुआ है। इस जमीन को उस योजना 53 का हिस्सा बताया जा रहा है, जिसका अब अस्तित्व ही नहीं है। यानी योजना है नहीं और आईडीए उस योजना के नाम पर जमीन हथियाने की साजिश में लगा हुआ है। आईडीए अफसरों की हठधर्मिता के कारण संस्था के सदस्यों को भूखंड पाने की राह तकते 28 साल हो चुके हैं। संस्था की तरफ से लगातार आईडीए से लेकर मुख्यमंत्री तक गुहार लगाई गई कि योजना खत्म हो चुकी है, इसलिए या तो उन्हें एनओसी दें या नई योजना लागू हुई हो तो उसके अनुसार भूअर्जन कर यहां विकास कार्य करवाकर संस्था के सदस्यों को भूखंड आवंटित किए जाएं। पर उनकी कहीं सुनवाई नहीं हो रही है।
योजना की वर्तमान स्थिति को लेकर आईडीए लगातार गलत और भ्रमित करने वाली जानकारी दे रहा है। हाल ही में ५ जुलाई को योजना की स्थिति जानने के लिए संस्था की तरफ से आईडीए को पत्र दिया गया, जिसका जवाब देते हुए आईडीए ने एक बार फिर योजना 53 को जिंदा बता दिया।
कहां है योजना 53..?
दरअसल आईडीए भूअर्जन अधिकारी की तरफ से जवाब दिया गया कि ग्राम खजराना के 10 खसरा नंबरों की कुल ९.३६३ हेक्टेयर जमीन रघुवंशी हाउसिंग सोसाइटी और आईडीए के बीच की अनुबंधित जमीनें होकर योजना 53 से मुक्त नहीं हैं। इसके जवाब में संस्था ने आईडीए से फिर से पूछा है कि योजना 53 है कहां, इसका खुलासा किया जाए, इसका जवाब आईडीए नहीं दे पा रहा है।
खुद ही कहा योजना नहीं है...
संस्था की तरफ से यह प्रश्न उठाने के बाद विधायक महेंद्र हार्डिया ने भी विधानसभा में सवाल लगाया था। तारांकित प्रश्न 1612 में विधायक ने सवाल किया था कि मारुति मंदिर के नाम से दर्ज योजना 53 में शामिल ग्राम खजराना की खसरा नंबर 532 की 1.333 हेक्टेयर जमीन पर प्लॉट आवंटित कर दिए गए हैं। इसका जवाब आईडीए की तरफ से बनकर गया, जिसमें बताया गया कि उक्त जमीन हाई कोर्ट में लगी दो योजनाओं में आए आदेश के बाद योजना से मुक्त कर दी गई हैं। इसलिए प्रश्न इस कार्यालय से संबंधित नहीं है।
हाईकोर्ट में दो बार हारा आईडीए
हाईकोर्ट में योजना को लेकर दो बार आईडीए की हार हुई है। योजना 53 को खत्म करने संबंधी आदेश न केवल हाईकोर्ट की सिंगल बेंच से है, बल्कि जब आईडीए ने इसके खिलाफ डबल बेंच में अपील की तो वहां से भी यही आदेश दिया गया कि योजना को खत्म किया जाए और इसकी जगह नहीं योजना लाई जा सकती है।
वर्सन...
आईडीए ने जो जवाब दिया है, वह सही है। क्योंकि संस्था आईडीए के साथ योजना समाप्त होने के पहले ही अनुबंध कर चुकी है। इसलिए संस्था की जमीन योजना से मुक्त नहीं मानी जाएगी।
- विवेक श्रोत्रिय, सीईओ आईडीए
Published on:
26 Sept 2019 11:41 am
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