इन बच्चों को संभालना बेहद कठिन काम है क्योंकि समय के साथ उनका दिमाग विकसित ही नहीं हो पाया। कई बच्चे को कुछ भी नहीं समझ पाते पर फिर भी दीपक फडणवीस जरा भी नहीं झल्लाते।
इंदौर। इन बच्चों को संभालना बेहद कठिन काम है क्योंकि समय के साथ उनका दिमाग विकसित ही नहीं हो पाया। कई बच्चे को कुछ भी नहीं समझ पाते पर फिर भी दीपक फडणवीस जरा भी नहीं झल्लाते। उन्होंने ऐसे अनेक बच्चों की देखभाल की जिम्मेदारी ली है। इसके लिए अपना अच्छा भला कैरियर तक कुर्बान कर दिया।
आसरा नि:शक्तजन वेलफेयर सोसाइटी में दीपक फडणवीस ऐसे बच्चों की सेवा कर रहे हैं जो मानसिक रूप से दिव्यांग हैं। यहां 30 बच्चे हैं जिनमें से केवल 20 बच्चों के सरकार पैसा देती है। 10 बच्चों की पूरी जिम्मेदारी वे और उनके साथ उठा रहे हैं। उनकी देखभाल से इन बच्चों का भविष्य संवर भी रहा है। कई बच्चे अब कंपटीशन में भाग ले रहे हैं और कई ट्रॉफी या मेडल भी जीत चुके हैं।
दीपक करीब 15 साल पहले ऐसे बच्चों से जुड़े और इनके लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। सन 2013 में दिव्यांग बच्चों की सेवा के लिए संस्थान रजिस्टर्ड करवा लिया। 4 साल सरकार ने सुध ली तो कुछ बच्चों को आर्थिक सहायता दी जाने लगी।
आसरा में रह रहे सभी दिव्यांग अब 18 वर्ष से ज्यादा के हो चुके हैं पर उनका दिमाग अभी भी पूरी तरह बच्चों जैसा ही है। इन सभी को अपने पैरों पर खड़ा करने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए बाकायदा प्रशिक्षण दिया जाता है। कुछ बच्चे तो इतने कुशल हो गए हैं दुकानों पर छोटा मोटा काम भी करने लगे हैं।
ऐसे बच्चों की देखभाल के साथ उन्हें सम्मान, स्वाभिमान के साथ जिंदगी जीने के लिए काबिल बनाने का संकल्प लिया - दीपक ने ऐसे बच्चों की देखभाल के साथ उन्हें सम्मान, स्वाभिमान के साथ जिंदगी जीने के लिए काबिल बनाने का संकल्प लिया है। इसके लिए उन्होंने अपनी नौकरी तक छोड़ दी है।