
Indore Road Accident में भाई को खोने के बाद फूट-फूट कर रोती बहन। बोली- होनी चाहिए कड़ी कार्रवाई। (फोटो: पत्रिका)
Indore Accident Case: मेडिकैप्स यूनिवर्सिटी की ओवरलोड तेज रफ्तार बस ने बुधवार शाम अंतिम चौराहे पर दो परिवारों की खुशियां उजाड़ दी। लापरवाह ड्राइवर घायलों की मदद करने की जगह मौके से भाग गया। 24 घंटे बाद भी मेडिकैप्स प्रबंधन की ओर से कोई भी दिवंगत के परिवार तक नहीं पहुंचा। स्कूल और कॉलेज की बसों से हादसे लगातार हो रहे हैं।
सवाल उठता है कि इन पर लगाम क्यों नहीं लग रही है? जवाब बहुत सीधा है कि अफसरों की बेलगाम लापरवाही इसके लिए जिम्मेदार है। जब भी ऐसे हादसे होते हैं तो सख्ती के दावे कुछ दिन किए जाते हैं, लेकिन कभी एक्शन नहीं लिया गया। कभी-कभार आरटीओ की टीम जांच करने सड़क पर उतरती है तो महज चालान बनाने की रस्म अदा की जाती है। उधर, पुलिस ने मेडिकैप्स की बस को तकनीकी जांच में शामिल किया है। एक्सपर्ट बस की जांच करेंगे।
5 जनवरी 2018 को बायपास पर डीपीएस की बच्चों से भरी बस डिवाइडर फांदकर विपरीत दिशा से आ रहे ट्रक से टकरा गई थी। हादसे में 4 मासूमों सहित 5 लोगों की जान गई थी।इंदौर की इस घटना के बाद पालकों ने वाहनों की व्यवस्था सुधारने के लिए काफी संघर्ष किया। आरटीओ व पुलिस ने गाइडलाइन तय की। कुछ समय सख्ती के बाद ढर्रा फिर बिगड़ गया। मार्च 2022 को भी गांधी नगर में स्कूल बस ने दोपहिया वाहन सवारों को टक्कर मार दी थी। इसमें पिता, पुत्र व पुत्री की मौत हो गई थी। इसके बाद भी हादसों का लंबा सिलसिला है।
आदर्श ने बताया कि भैया एकांश मुझसे 7 साल बड़े थे। वे हमारे घर की बैक बोन थे। उनकी दो साल की बेटी है। भाभी नेहा का बुरा हाल है। हमारा सब कुछ खत्म हो गया। मेडिकैप्स प्रबंधन से अब तक कोई मिलने तक नहीं आया। उन्हें यहां आना चाहिए। देखना चाहिए कि हमारे परिवार का कितना बड़ा नुकसान हुआ है। ये लोग पॉवरफुल हैं। डर है कि समय के साथ सब रफा-दफा कर देंगे। प्रबंधन को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वे अपने ड्राइवर का लाइसेंस और वेरिफिकेशन करें। पुलिस को भी सख्त से सख्त कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि सबक मिले।
एक्सीडेंट में इंजीनियर एकांश पंड्या (32) निवासी सीताराम पार्क कॉलोनी की मौत हुई। पिता, मां, बहन, भाई का रो-रोकर बुरा हाल है। परिवार को इस एक्सीडेंट ने जीवनभर का दर्द दे दिया। भाई ने नम आंखों से कहा कि बड़ा भाई परिवार की बैक बोन था। अब हमें कौन संभालेगा। रोते हुए बहन बोली कि जिसका इंसान जाता है, उस पर क्या बीतती है, किसी को क्या मालूम? मेडिकैह्रश्वस प्रबंधन पर केस दर्ज होना चाहिए।
एकांश का गुरुवार को जिला हॉस्पिटल में पोस्टमॉर्टम हुआ। परिजन बेटे का शव देख बदहवास हो गए। रोते हुए परिजन, रिश्तेदार ने अंतिम संस्कार किया। पिता सुशील, मां सुनीता, बहन आयुषी और भाई आदर्श ने लापरवाह मेडिकैप्स यूनिवर्सिटी प्रबंधन को जमकर कोसा। बहन आयुषी रोते हुए कहने लगी कि मेरे भाई का एक्सीडेंट हुआ। मैं मां के साथ मौके पर पहुंची। कोई उसकी मदद के लिए आगे नहीं आया। किसी तरह एक ऑटो वाले को रोका। भाई को बहुत लगी थी। उसके सिर को मैंने अपनी गोद में रखा। एक-एक कर चार हॉस्पिटल पहुंची, लेकिन कोई उसे देखने तक को तैयार नहीं हुआ।
अंत में जिला हॉस्पिटल लेकर गई। वहां डॉक्टर ने उसे देखा, लेकिन कोई प्रयास नहीं किया। भाई का सिर मेरी गोद में रखा था। अब आंखें बंद करने पर मेरा भाई मुझे उसी हालत में दिखता है। अब हमें जीवनभर इसी दर्द के साथ जीना होगा। दोषियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
मेडिकैप्स बस हादसे (Medicaps Bus Accidents) के बाद लोग पूछ रहे हैं कि क्या शिक्षा लॉबी नियम कायदों से ऊपर उठ चुकी है? डीपीएस बस हादसे के बाद जिम्मेदार कार्रवाई से आजाद हैं। जोन-1 के एडिशनल डीसीपी आलोक कुमार शर्मा ताजा बस हादसे को लेकर कहते हैं कि मेडिकैह्रश्वस की बस के चालक जीवन ङ्क्षसह पर धारा 106,125 ए, 281, 324 (4) बीएनएस के तहत केस दर्ज किया है। जांच में सामने आया है कि लापरवाही की वजह से एक्सीडेंट हुआ है। जो भी जिम्मेदार होगा, उस पर कार्रवाई करेंगे।
Published on:
22 Aug 2025 09:42 am
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