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इंदौर फिर नंबर वन : यहां दुनिया का अकेला ऐसा ट्रेंचिंग ग्राउंड जहां आप खा सकते हैं खाना

इंदौर फिर नंबर वन : यहां दुनिया का अकेला ऐसा ट्रेंचिंग ग्राउंड जहां आप खा सकते हैं खाना

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इंदौर

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Hussain Ali

Mar 06, 2019

indore

इंदौर फिर नंबर वन : यहां दुनिया का अकेला ऐसा ट्रेंचिंग ग्राउंड जहां आप खा सकते हैं खाना

इंदौर. स्वच्छता सर्वेक्षण में इंदौर फिर अव्वल आया है। इंदौर को नंबर वन लाने में 7000 सफाईकर्मियों की मेहनत और शहरवासियों का जज्बा है। इंदौर देश-दुनिया का पहला शहर है, जहां अब न तो कचरे के ढेर हैं न ही ट्रेचिंग ग्राउंड। देवगुराडिय़ा पर 100 एकड़ में सालभर पहले तक कचरे के पहाड़ दिखते थे। अब वहां खाना खा सकते हैं। सालभर पहले इसे खत्म करने के लिए काम शुरू किया गया था। नगर निगम ने बायोरेमिडाइजेशन पद्धति से बायोकल्चर (जीवाणु) की मदद से कचरा खत्म किया। जीवाणुओं के द्वारा खत्म करने के बाद कचरे में मौजूद प्लास्टिक, कपड़े, पत्थर और मिट्टी अलग-अलग हो जाते हैं। बगैर इस्तेमाल योग्य सामान को डंप कर दिया गया। जबकि शेष रिसाइकल कर लिया जाता है।

100 एकड़ में फैले कचरे को फिल्टर किया गया
1000 पौधे यहां लगाए जा चुके हैं।

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कचरा सिर्फ कचरा नहीं बना कमाई का जरिया

इंदौर ऐसा पहला शहर है जो कचरे से पैसा कमाना शुरू कर चुका है। ट्रेचिंग ग्राउंड में मौजूद 250 मीट्रिक टन सूखे कचरे से सीमेंट फैक्ट्री, पाइप के रॉ मटेरियल बना रहे हैं। प्लांट गुजरात की एक कंपनी के सुपुर्द किया गया है। कंपनी ने सूखे कचरे को प्रोसेस करने के लिए ऑटोमेटिक प्लांट लगाया है। प्लांट की क्षमता लगभग 500 मीट्रिक टन है। प्लांट को चलाने के एवज में नगर निगम को कंपनी प्रति वर्ष 1.40 करोड़ रुपए भी दे रही है। कचरे को समाप्त करने के साथ ही उससे पैसा बनाने वाली नगर निगम पहली नगरीय निकाय है।
500 मीट्रिक टन कचरे से बना रहे रॉ मटेरियल
1.40 करोड़ रुपए सालाना की हो रही आमदनी

एक दिन में 150 किमी क्षेत्र साफ करने वाली मशीनें

निगम ने कचरे को समाप्त करने के साथ ही सफाई व्यवस्था को भी अपग्रेड किया है। पहले से निल्क फिस्क, एल्जिन मशीनें चल रही थी। अब खाड़ी देशों से मशीन लाए हैं। निगम ने अपने बेड़े में इस साल और भी आधुनिक मशीनों को जोड़ा है। इसमें खाड़ी देशों से लाई गई ब्राडसन मशीन भी शामिल है। ये मशीन तेजी से धूल उठाती है। पुरानी मशीन एक दिन में 40 किमी तक साफ कर पाती थी, जबकि नई मशीन से 150 किमी का हिस्सा रोज साफ किया जा रहा है। अरब देशों में आने वाले रेत के तूफानों के बाद सफाई में इसी मशीन का इस्तेमाल होता है।
53 करोड सालाना मशीनों पर खर्चा
150 किमी क्षेत्र में रोज कर रही हैं सफाई