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आईटी हबः प्रदेश को न राजस्व मिला न रोजगार

टीसीएस-इन्फोसिस की वादाखिलाफी, 23000 की जगह 6600 को ही काम, साल 2012 में प्राइम लोकेशन पर जमीन ली, पांच साल बाद 2017 में शुरू किया काम।

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इंदौर. कोरोना की त्रासदी के बाद आइटी-सॉफ्टवेयर में कुशल बेरोजगार युवाओं को पीड़ा पिछले दिनों मुख्यमंत्री के बयान में नजर आई। धन्यवाद इंदौर कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि कॉर्पोरेट कपनियों ने युवाओं से छल किया। टीसीएस और इन्फोसिस को हो ले लें। इन्होंने रोजगार का वादा कर इंदौर में सुपर कॉरिडोर पर जमीनें तो खूब ले लीं। लेकिन 8 साल बाद भी वादा नहीं निभाया। इनसे कारण पूछना चाहिए। मुख्यमंत्री की यह चिंता जायज है, क्योंकि इन कंपनियों ने वर्ष 2017 में काम शुरू किया था।

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विकास आयुक्त, विशेष आर्थिक क्षेत्र के कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, दोनों कंपनियों ने 5 साल में सिंर्फ 4,119 प्रोफेशनल्स को सीधे तौर पर नौकरी दी, जबकि 2,489 को अप्रत्यक्ष रोजगार दिया, जबकि इन कंपनियों ने 23 हज़ार युवाओं को रोजगार देने का वादा किया था। दोनों कंपनियों ने 2012 थे इंदौर को आइटी सिटी बनाये का सपना दिखाया था। इन कंपनियों के लीडर्स ने इंदौर के सुपर कॉरिडोर को आईटी कॉरिडोर के तोर पर चमकाने की बात कही, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।

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राजस्व में भी अधिक लाभ नहीं मिला
विशेष आर्थिक प्रक्षेत्र में स्थापित कंपनियों की सेज आयुक्त द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक टीसीएस ने वित्तीय जर्ष 2018-19 में काम शुरू किया। इन्फोसिस ने काम तो 2016-17 में शुरू कर दिया, लेकिन अभी तक्त पहले चरण की क्षमता भी स्थापित नहीं की। इस साल टीसीएस ने 542 करोड़ रुपए का निर्यात किया, जबकि इन्फोसिस ने 70.17 करोड़ रुपए का कारोबार किया। यानी राजस्व और रोजगार दोनों मामलों में सरकार को अपेक्षित लाभ उहीं मिला है।

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20 लाख रुपए एकड़ में दी जमीन, शर्त भी रखी थी
दोनों कम्पनियों को 20 लाख रुपए एकड़ में जमीन दी गई थी। शर्त थी कि कंपनियां प्रति एकड 100 इंजीनियरों को अनिवार्य रूप से रोजगार उपलब्ध कराएंगी। इसमें भी 50 प्रतिशत प्रदेश के होंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अभी भी जो युवा काम कर रहे हैं, वे मध्यप्रदेश के बाहर के है।

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