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क्या है ज्योतिष शास्त्र? जानिए इसके प्रकार

मानव स्वभाव होता है कि उसे अपने आज से ज्यादा कल की परवाह होती है। हर व्यक्ति अपना कल सुरक्षित करना चाहता है।

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Gitesh Dwivedi

Apr 21, 2016

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इंदौर। मानव स्वभाव होता है कि उसे अपने आज से ज्यादा कल की परवाह होती है। हर व्यक्ति अपना कल सुरक्षित करना चाहता है। इसके लिए वह अपने भविष्य को जानना चाहता है और ज्योतिष के पास जाता है। ज्योतिष अपनी गणनाओं के आधार पर भविष्य की घोषणा कर सकता है। कई लोगों के मन में प्रश्न उठता है कि आखिर ज्योतिष शास्त्र है क्या।

ज्योतिष कोई चमत्कार नहीं है। यह एक ऐसा शास्त्र या विद्या है जिससे मनुष्य आकाशीय-चमत्कारों से परिचित होता है। ज्योतिष न केवल मनुष्य को निजी जीवन के बारे में बल्कि सूर्योदय, सूर्यास्त, चन्द्र-सूर्य ग्रहण, ग्रहों की स्थिति, ग्रहों की युति और मौसम के बारे में सही-सही व महत्वपूर्ण जानकारी दे सकता है। इसलिए ज्योतिष विद्या का बड़ा महत्व है।

भारत में ज्योतिष की कई पद्धतियां प्रचलित हैं-

कुंडली ज्योतिष-
कुंडली ज्योतिष के तीन भाग होते हैं- सिद्धांत ज्योतिष, संहिता ज्योतिष और होरा शास्त्र। इस विद्या में व्यक्ति के जन्म के समय में आकाश में जो ग्रह, तारा या नक्षत्र जहाँ था उस पर आधारित कुंडली बनाई जाती है। बारह राशियों पर आधारित नौ ग्रह और 27 नक्षत्रों का अध्ययन कर जातक का भविष्य बताया जाता है।

नक्षत्र ज्योतिष-
नक्षत्र ज्योतिष वैदिक काल से प्रचलित है। ब्रह्माण में 27 नक्षत्र है, जो व्यक्ति जिस नक्षत्र में जन्म लेता है उसके उस नक्षत्र के अनुसार उसका भविष्य बताया जाता था।

हस्तरेखा ज्योतिष-
इस विद्या में हाथों की रेखाओं को देखकर भविष्य बताया जाता है। हाथों की आड़ी-तिरछी और सीधी रेखाओं के अलावा, हाथों के चक्र, द्वीप, क्रास आदि का अध्ययन कर व्यक्ति का भूत और भविष्य बताया जाता है। यह बहुत ही प्राचीन विद्या है और भारत के सभी राज्यों में प्रचलित है।

वैदिक ज्योतिष-
वैदिक ज्योतिष में राशि चक्र, नवग्रह, जन्म राशि के आधार पर गणना की जाती है। मूलत: नक्षत्रों की गणना और गति को आधार बनाया जाता है। मान्यता अनुसार वेदों का ज्योतिष खगोलीय गणना तथा काल को विभक्त करने के लिए था।

लाल किताब की विद्या-
इसे ज्योतिष के परंपरागत सिद्धांत से हटकर 'व्यावहारिक ज्ञान' माना जाता है। यह बहुत ही कठिन विद्या है। इसके अच्छे जानकार बगैर कुंडली को देखे उपाय बताकर समस्या का समाधान कर सकते हैं। इस विद्या के सिद्धांत को एकत्र कर सर्वप्रथम इस पर एक पुस्तक प्रकाशित की थी जिसका नाम था 'लाल किताब के फरमान'।
सामुद्रिक विद्या-
यह भारत की सबसे प्राचीन विद्या है। इसके अंतर्गत व्यक्ति के चेहरे, नाक-नक्श और माथे की रेखा सहित संपूर्ण शरीर की बनावट का अध्ययन कर व्यक्ति के चरित्र और भविष्य को बताया जाता है।

नंदी नाड़ी ज्योतिष-
यह मूल रूप से दक्षिण भारत में प्रचलित विद्या है जिसमें ताड़पत्र के द्वारा भविष्य बताया जाता है। इस विद्या के जन्मदाता भगवान शंकर के गण नंदी हैं इसी कारण इसे नंदी नाड़ी ज्योतिष कहा जाता है।

अँगूठा शास्त्र-
यह विद्या भी दक्षिण भारत में प्रचलित है। इसके अनुसार अँगूठे की छाप लेकर उस पर उभरी रेखाओं का अध्ययन कर जातक का भविष्य बताया जाता है।

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अंक ज्योतिष-
अंक शास्त्र भविष्य कथन विज्ञान का एक प्रकार है जिसमे अंको के विश्लेषण द्वारा भविष्य बताया जाता जाता है। अंक शास्त्र के अनुसार लोगो के व्यक्तित्व और भविष्य के बारे में उनसे संबधित संख्या का विश्लेषण कर बहुत कुछ बताया जा सकता है। इस विद्या में जन्मांक के आधार पर बताया जाता है कि किसी व्यक्ति का व्यवहार और भविष्य कैसा होगा। वर्तमान में यह विद्या बहुत प्रचलित है।

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टैरो कार्ड-
टैरो कार्ड में ताश की तरह पत्ते होते हैं। जब भी कोई व्यक्ति अपना भविष्य या भाग्य जानने के लिए टैरो कार्ड के जानकार के पास जाता है तो वह जानकार एक कार्ड निकालकर उसमें लिखा उसका भविष्य बताता है। हालाँकि टैरो एक्सपर्ट मनोविज्ञान को आधार बनाकर व्यक्ति का चरित्र और भविष्य बताते हैं। अब इसमें कितनी सच्चाई होती है यह कहना मुश्किल है। फिर भी यह वर्तमान में बहुत चलन में हैं।

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