कास बात ये है कि, महिला की कोई ट्रेवल हिस्ट्री नहीं है। बावजूद इसके मंकी पॉक्स के लक्षण उसमें दिखाई दे रहे हैं। फिलहाल, स्वास्थ्य विभाग किसी तरह का रिस्क लेने के मूड में नहीं है, इसलिए महिला को आइसोलेशन में रखकर उसपर नजर रखी जा रही है।
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निजी क्लीनिक में दिखाने गई थी महिला
आपको बता दें कि, महिला की तबीयत बिगड़ने के बाद वो अपना इलाज निजी क्लीनिक में कराने पहुंची थी। महिला को सर्दी-खांसी और बदन दर्द के साथ शरीर पर लाल चकत्ते हो रहे थे। उपचार में जुटे डॉक्टर को महिला में मंकी पॉक्स के लक्षण मेहसूस हुए। इसके बाद डॉक्टर ने इसकी जानकारी स्वास्थ्य विभाग को दी। एहतियात के तौर पर विभाग ने महिला को फिलहाल होम आइसोलेट करके रखा है।
क्या है मंकी पॉक्स?
मंकी पॉक्स वायरस एक मानव चेचक के समान एक दुर्लभ वायरस है। 1958 में यह पहली बार शोध के लिए रखे गए बंदरों में सामने आया था। इस वायरस का पहला मामला 1970 में मिला। मुख्य रूप से मध्य और पश्चिम अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय वर्षावन क्षेत्रों का रोग है। लेकिन, इन दिनों संक्रमण के मामले विस्व के अलग अलग देशों में सामने आने से दुनियाभर में देहशत का माहौल है।
जानिए मंकी पॉक्स का लक्षण
-बार-बार तेज बुखार आना।
-पीठ और मांसपेशियों में दर्द।
-त्वचा पर दानें और चकते पड़ना।
-खुजली की समस्या होना।
-शरीर में सामान्य रूप से सुस्ती आना।
-मंकीपाक्स वायरस की शुरुआत चेहरे से होती है।
-संक्रमण आमतौर पर 14 से 21 दिन तक रहता है।
-चेहरे से लेकर बाजुओं, पैरों और शरीर के अन्य हिस्सों पर रैशेस होना।
-गला खराब होना और बार-बार खांसी आना।
कैसे फैलता है संक्रमण
-मंकी पॉक्स एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। ऐसे में लोगों को शारीरिक संपर्क से बचाव रखना चाहिए।
-संक्रमित व्यक्ति या किसी व्यक्ति में मंकी पॉक्स के लक्षण हैं, तो उसे तुरंत डाक्टर से संपर्क करना चाहिए।
-संक्रमित व्यक्ति को इलाज पूरा होने तक खुद को आइसोलेट रखना चाहिए।
-मंकी पॉक्स वायरस त्वचा, आंख, नाक या मुंह के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है।
-यह संक्रमित जानवर के काटने से, या उसके खून, शरीर के तरल पदार्थ, या फर को छूने से भी हो सकता है।
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