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शिशु का वजन 0.65 किलो, डॉक्टर भी रह गए हैरान

23 वें हफ्ते में जन्म, महज 650 ग्राम वजन, 3 माह इलाज के बाद बची जान

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इंदौर. शहर के निजी अस्पताल में प्रीमैच्योर बेबी का अनोखा मामला सामने आया है। समय से 16 हफ्ते महज 650 ग्राम वजन के साथ जन्मा बच्चा तीन माह तक चले इलाज के बाद सामान्य अवस्था में अपने घर पहुंचा। रेहान बंसल का मामला चिकित्सा जगत में चमत्कार की तरह देखा जा रहा है।

बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. आभा जैन और महिला व प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. आशा बक्शी ने बताया, रेहान की मां प्रियंका बंसल को 23 सप्ताह का गर्भ था। उन्हें हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत होने से बच्चे की विकास में बाधा आ रही थी। हाई रिस्क प्रेगनेंसी केस में डॉक्टरों ने समय से 16 हफ्ते पहले डिलेवरी कराई। इसके बाद प्रमुख चुनौती बच्चे की जान बचाना थी। इसके लिए नवजात शिशु विशेषज्ञ डॉ. आभा के साथ डॉ. अनुराग जैन और डॉ. सुनील पुरस्वानी की टीम ने इलाज शुरू किया। बच्चे को 3 महीने तक गहन चिकित्सा इकाई में रखा गया। जन्म के वक्त रेहान महज 650 ग्राम का था, जबकि सामान्य वजन 2.7 किलो से 4.1 किलो रहता है। ऐसे में उसे इंफेक्शन से बचाना, उठाना, फीडिंग कराना, कपड़े पहनाना आदि भी एक चुनौती भरा काम था। डॉ. आभा ने बताया, दुनिया में इस तरह के महज 40 फीसदी प्री मेच्योर बच्चों ही जीवित रह पाते हैं। अपने कॅरियर में इस तरह का यह पहला केस देखा है। वर्तमान में बच्चे का वजन 2.6 किलो है। शुक्रवार को आखिरकार बच्चे को छुट्टी दे दी गई।बच्चे को सकुशल घर ले जाने की खुशी माता-पिता के चेहरे पर साफ दिख रही थी।

देश में सबसे कम वजन की बच्ची हुई 375 ग्राम की
देश में सबसे कम वजन का रिकार्ड हैदराबाद की चेरी के नाम है। गत वर्ष चेरी का जन्म २५वें सप्ताह में हुआ था। सामान्य तौर पर बच्चा मां के गर्भ में 37 से 42 सप्ताह तक रहता है। विश्व की बात करें तो जापान में गत वर्ष 258 ग्राम के बच्चे का जन्म 24 सप्ताह व पांच दिन में हुआ था।