पेट्रोल पंपों के शौचालयों का इस्तेमाल ग्राहक मुफ्त में नहीं करते, बल्कि इसके लिए तय शुल्क पंप मालिक वसूलते हैं।
इंदौर. पेट्रोल पंपों के आवंटन में शौचालय और पीने के पानी की व्यवस्था करना जरूरी है, लेकिन ज्यादातर पेट्रोल पंपों पर इस नियम का पालन नहीं हो रहा है। हालांकि प्रावधान ये हैं कि इन नियमों का पालन ना करने वाले पंपों का लाइसेंस निरस्त किया जा सकता है। इससे बचने के लिए पंपों पर नाम के लिए बना तो दिए जाते हैं, लेकिन वे या तो उपयोग के लायक नहीं होते या ग्राहकों की पहुंच और नजरों से दूर होते हैं।
केंद्र सरकार के अलावा राज्य शासन ने भी पेट्रोल पंपों पर हवा, पानी और टॉयलेट की सुविधा देना अनिवार्य किया है। इस नियम का पालन ज्यादातर पंपों पर नहीं हो रहा है। कहने को या दिखाने को हर पंप पर हवा भरने की मशीन, पानी की व्यवस्था और टॉयलेट्स बना दिए जाते हैं, लेकिन अधिकांश या तो बंद होते हैं या इस्तेमाल के लायक नहीं होते। इन सुविधाओं का स्तर जांचने के लिए ना तो तेल कंपनियों के अधिकारी और ना ही खाद्य विभाग के अधिकारी जाते हैं। सवाल यह है कि शहर के पेट्रोल पंपों पर टॉयलेट की सुविधा अनिवार्य करने के लिए नगर निगम ने आदेश जारी कर दिया, मगर अन्य सुविधाओं को लेकर जांच कौन करेगा?
कहीं नहीं नजर आए
इंदौर के कुछ पेट्रोल पंपों पर इस सुविधा को लेकर स्कैन किया गया तो ज्यादातर पंपों पर तो टायलेट्स नजर नहीं आए। ना ही ऐसा कोई बोर्ड लगे मिले, जिससे ग्राहकों को पता चल सके कि यह सुविधा पंप पर दी जा रही है और टायलेट्स किस तरफ हैं। टायलेट्स ऐसे स्थानों पर थे, जो केवल पंपकर्मियों के इस्तेमाल के काम में आ रहे हैं।
निगम ने इसलिए निकाली अधिसूचना
स्वच्छता मुहिम के तहत पंपों पर टॉयलेट्स जैसी मूल सुविधा देने के लिए नगर निगम को अधिसूचना जारी करना पड़ी। निगम सीमा में बने सभी पेट्रोल पंपों पर महिला और पुरुषों के लिए अलग शौचालयों का होना अनिवार्य हो गया है। पानी की व्यवस्था भी होना चाहिए। जानकारी देने के लिए साइन बोर्ड लगा होना चाहिए, जिसमें तीर के निशान से दर्शाया जाएगा कि शौचालय कहां है।
पंप मालिक वसूलते हैं मेंटेनेंस चार्ज
पेट्रोल पंपों के शौचालयों का इस्तेमाल ग्राहक मुफ्त में नहीं करते, बल्कि इसके लिए तय शुल्क पंप मालिक वसूलते हैं। हर बार पेट्रोल या डीजल भरवाने पर हर ग्राहक से चार से छह पैसे तक शौचालय सुविधा के लिए देना होता है। इसके बाद भी पंप मालिक इनका संधारण और प्रबंधन नहीं करते और ग्राहकों को यह सुविधा पूरी तरह से नहीं मिल पा रही है।
हाईवे पर खुले में शौच
स्वच्छ भारत मिशन के तहत खुले में शौच से मुक्त करने की मुहिम चल रही है, लेकिन हाईवे या मुख्य सडक़ों पर पेट्रोल पंपों पर शौचालयों की कमी से खुले में ही जाना पड़ता है। जहां हैं, वहां भी पंपकर्मियों के इस्तेमाल के लिए हैं। सफर के दौरान लघुशंका के इधर-उधर जाना पड़ता। हाईवे पर तो कई बार हादसे भी होते हैं।
सार्वजनिक शौचालयों की होगी निगरानी
51 लाख रुपए खर्च कर नगर निगम हर जगह बनाएगा केयर टेकर रूम
नगर निगम के सार्वजनिक शौचालयों में अब साफ-सफाई की व्यवस्था चाक-चौबंद होगी और यहां आने-जाने वालों की भी निगरानी होगी। निगम इन शौचालयों में केयर-टेकर रूम बनवाने जा रहा है। इसके लिए करीब ५१ लाख रुपए खर्च किए जाएंगे।
स्वच्छ भारत मिशन कार्यक्रम २०१८ में अब नगर निगम सार्वजनिक शौचालयों की व्यवस्थाओं को सुधार रहा है। इनका जीर्णोद्धार और रंग-रोगन तो करवाया ही जा रहा है, साथ ही साफ-सफाई, पानी और अन्य व्यवस्थाएं बेहतर हो सकें, इसके लिए यहां केयर टेकर रूम भी बनाए जाएंगे। इन्हें संचालित करने वाले संधारण तो करेंगे ही साथ ही टायलेट्स में आने-जाने वालों की नियमित इंट्री भी करेंगे। इसके लिए शहर के ऐसे सभी शौचालयों को चिन्हित किया जा रहा है, जहां केयर टेकर रूम बनवाने के लिए स्थान मिल सकता है। निगम का कहना है कि करीब एक साल में यह काम पूरा होगा।
लगेंगे पेवर्स ब्लॉक, नहीं होगी गंदगी
निगम के जरिए संचालित होने वाले करीब 80 पुराने शौचालयों के आसपास गंदगी रोकने के लिए पेवर ब्लॉक भी लगवाए जाएंगे। स्वच्छ भारत अभियान के तहत नए बनवाए गए शौचालयों की तर्ज पर इनका जीर्णोद्धार किया जा रहा है। इसके लिए करीब एक महीने का समय तय किया गया है और पौन सात लाख रुपए के करीब खर्च किए जाएंगे।