18 दिसंबर 2025,

गुरुवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

अब जिले में एंटीबायोटिक दवाइयों से मिलेगा छुटकारा, पंचकर्म से सुधरेगी सेहत

जिले में 50 बिस्तरीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय बनेगा मंडलेश्वर में, स्वीकृति मिली, टेंडर प्रक्रिया जारी

2 min read
Google source verification
Now the district will get rid of antibiotics, Panchakarma will improve

Now the district will get rid of antibiotics, Panchakarma will improve

खरगोन. जिले में लोगों को अब बीमारियों से लडऩे के लिए एंटीबायोटिक दवाइयों पर ही आश्रित नहीं रहना पड़ेगा। जटिल रोगों का इलाज अब पंचकर्म, योगा और आयुर्वेदिक दवाइयों से भी हो सकेगा। जिले के मंडलेश्वर में 50 बिस्तरीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय को प्रशासनिक स्वीकृति मिल चुकी है। करीब 10 करोड़ की लागत से बनने वाला यह अस्पताल फिलहाल टेंडर प्रक्रिया के चलते अटका है। इसका निर्माण होते ही मरीजों को बढ़ी राहत मिलेगी। वर्तमान में जिला मुख्यालय पर 30 बिस्तरीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय संचालित हो रहा है। हाल ही में मोहम्मदपुरा, चंदनपुरी और भोगांवा-सिपानी में औषधालय की शुरुआत हो गई है।
जिला आयूष अधिकारी डॉ. वासुदेव आसलकर ने बताया मंडलेश्वर में बनने वाले 50 बिस्तरीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय के लिए कसरावद रोड पर जमीन का आवंटन मिला है। करीब दस करोड़ की लागत से बनने वाला यह चिकित्सालय पीआईयू तैयार करेगी। फिलहाल टेंडर प्रक्रिया जारी है। जल्दी ही इसके निर्माण को गति मिलेगी। डॉ. आसलकर ने बताया मरीजों को जटिल समस्याओं के निदान को लेकर अन्य शहरों की दौड़ नहीं लगानी पड़ेगी। यहां पंचकर्म, योग क्रियाओं के जरिए बीमारियों को दूर किया जाएगा।
यह सुविधाएं होगी औषधालय केंद्रों पर

मोहम्मदपुरा, चंदनपुरी और भोगांवा-सिपानी में हेल्थ एंड वैलनेस केंद्रों पर मरीजों की समस्या योग क्रियाओं से दूर करेंगे। ट्रीटमेंट के लिए हर्बल गार्डन बनाया है। जहां 16 तरह के औषधीय पौधे लगाए जाएंगे। जिले में कुल 8 आयुष हेल्थ एंड वैलनेस केंद्र स्वीकृत हैं। फिलहाल तीन की शुरुआत की है। यहां पैथोलॉजी में शुगर व हिमोग्लोबिन सहित आदि जांचें होगी।
जानें, क्या हैं पंचकर्म क्रिया
पंचकर्म आयुर्वेद का एक प्रमुख शुद्धिकरण उपचार है। पंचकर्म का अर्थ पांच विभिन्न चिकित्साओं का संमिश्रण है। इस प्रक्रिया का प्रयोग शरीर को बीमारियों एवं कुपोषण द्वारा छोड़े गए विषैले पदार्थों से निर्मल करने के लिए होता है। आयुर्वेद कहता है कि असंतुलित दोष अपशिष्ट पदार्थ उत्पन्न करता है जिसे अम कहा जाता है। यह दुर्गंधयुक्त, चिपचिपा, हानिकारक पदार्थ होता है जिसे शरीर से यथासंभव संपूर्ण रूप से निकालना आवश्यक है। अम के निर्माण को रोकने के लिए आयुर्वेदिक साहित्य व्यक्ति को उचित आहार देने के साथ उपयुक्त जीवन शैली, आदतें व व्यायाम पर रखने, तथा पंचकर्म जैसे एक उचित निर्मलीकरण कार्यक्रम को लागू करने की सलाह देते हैं।
16 तरह की औषधीय पौधे
इन केंद्रों बाहर हर्बल गार्डन भी बनाया जाएगा। इसमें 16 तरह की औषधीय पौधे लगाएं जाएंगे। इनमें आंवला, नीम, असगंध, बला, भूंई आवला, ब्राही, गिलोय, हल्दी, कुमारी, शतावर, सौंठ, तुलसी, अरंडी, निर्गुंड, अडूसा व सहजन शामिल है। डॉ. आसलकर ने बताया इन औषधीय पौैधों वाले हर्बल गार्डन का उद्देश्य नागरिकों में आयुर्वेद के प्रति जन जागरूकता लाना है। उन्हें बताना है कि आयुर्वेद लोगों के जीवन में कितना उपयोगी है।