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‘बालाजी’ को ठेका देना चाहते थे अफसर

आइडीए : गंभीर शिकायत से मचा बवाल, अध्यक्ष ने दिखाया सख्त रुख, किसी भी कीमत पर नहीं होगा गलत फैसला- कमल नाथ के ओएसडी रहे कक्कड़ की भागीदारी वाली कंपनी के पास था वर्षों से सिक्युरिटी का ठेका

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'बालाजी' को ठेका देना चाहते थे अफसर

'बालाजी' को ठेका देना चाहते थे अफसर

मोहित पांचाल. इंदौर
पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ के ओएसडी रहे प्रवीण कक्कड़ की भागीदारी वाली थर्ड आइ के पास वर्षों से इंदौर विकास प्राधिकरण में सिक्युरिटी का ठेका था। कुछ दिनों पहले नए ठेके को लेकर टेंडर बुलाया था, जिसमें कुछ अफसर बालाजी सिक्युरिटी को ठेका देने की तैयारी कर रहे थे। गंभीर शिकायत अध्यक्ष जयपाल सिंह चावड़ा के पास पहुंची, जिसको देख उन्होंने सख्त रुख अख्तियार कर दिया। साफ कर दिया कि मेरे रहते गलत काम नहीं होगा, फिर क्या था अफसरों की मंशा पर पानी फिर गया।


विकास प्राधिकरण ने 28 जून 2022 को सिक्युरिटी को लेकर टेंडर जारी किया था। उसमें नौ सुरक्षा एजेंसियों ने भाग लिया था। जांच की तो तीन एजेंसियां तकनीकी कारणों से बाहर हो गईं। बची छह की फाइनेंशल बिड खोली गई। टेंडर में प्राधिकरण ने एक शर्त रखी थी। वह यह कि जिस भी एजेंसी का टर्नओवर ज्यादा होगा, उसे काम दिया जाएगा। ऐसे में सूरत की एक सिक्युरिटी एजेंसी का 200 करोड़ का टर्नओवर था और इंदौर की बालाजी सिक्युरिटी सर्विसेस का 150 करोड़ रुपए। इसके बावजूद कुछ अफसर बालाजी को काम देने का मन बना रहे थे, जिसका वर्कऑर्डर ही जारी होना रह गया था। मजेदार बात ये है कि सारा खेल अंदर ही अंदर चल रहा था। इसकी भनक लगते ही प्रथम नामक सिक्युरिटी एजेंसी को लगी और उसने गंभीर शिकायत दर्ज कराई। कहना था कि वास्तव में बालाजी ठेका लेने के लिए पात्र नहीं है। सांठगांठ के चलते ठेका दिया जा रहा है। टेंडर शर्तों के हिसाब से वह अपात्र है।


मांगा शपथ-पत्र, चावड़ा ने किया तलब
टेंडर में एक शपथ-पत्र मांगा गया है, जिसमें एजेंसी को ये लिखकर देना है कि उनके खिलाफ ईएसआई, ईपीएफ व जीएसटी/ सर्विस टैक्स से संबंधित कोई भी प्रकरण न्यायालय में लंबित नहीं है और ना ही किसी संस्था आदि में प्रकरण विवादित है या चल रहा है। उस स्थिति में भी निविदा अमान्य की जावेगी। चूंकि बालाजी को मध्यप्रदेश विद्युत वितरण कंपनी ने अनियमितताओं के चलते 15 फरवरी 2021 को टर्मिनेट किया है। एजेंसी ने शपथ पत्र में ऐसा कोई उल्लेख नहीं किया। उस पर कानूनी कार्रवाई भी की जाए। जैसे ही अध्यक्ष चावड़ा को ये जानकारी लगी, उन्होंने अफसरों को तलब कर लिया। साफ कर दिया कि मेरे रहते हुए कोई गलत काम नहीं होगा। कोई गड़बड़ करेगा तो मैं कार्रवाई करने में पीछे नहीं हटूंगा। इसके बाद हड़कम्प मच गया। अब नियमानुसार सूरत की कंपनी को ठेका देने की तैयारी चल रही है।


थर्ड आई और बालाजी में कनेक्शन
गौरतलब है कि प्राधिकरण में डेढ़ दशक से थर्ड आई का ठेका चल रहा है। कोई भी अध्यक्ष आया, उसे बदल नहीं पाया। इस एजेंसी में पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ के ओएसडी रहे प्रवीण कक्कड़ सहित चार पार्टनर हैं। उनमें से एक पार्टनर की बालाजी सिक्युरिटी भी है। बताते हैं कि थर्ड आई के पास लाइसेंस नहीं है, जिसके चलते वह टेंडर में भाग नहीं ले सकती थी। इस वजह से बालाजी ने टेंडर डाला।


कैसे बढ़ेगी छोटी एजेंसी?
गौरतलब है कि आईडीए ने एक अजीब शर्त टेंडर में डाली, जिसमें कहा गया कि जिस भी एजेंसी का सालाना टर्नओवर ज्यादा होगा, उसको पात्रता होगी। ये शर्तें तो कुछ एजेंसियों को लाभ देने के हिसाब से ही बनाई गई थीं, जिससे अफसरों की मंशा भी साफ जाहिर हो रही है। एक तरफ तो प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री छोटे-छोटे कारोबारियों को आगे बढ़ाने की बात कर रहे हैं और अफसर पूंजीपति व स्थापितों को ही काम देने की प्रयास करते हैं। एक तरह से उनके अरमानों पर ही पानी फेरा जा रहा है।