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विशाल माते
इंदौर. लगभग डेढ़ साल पहले तुवर दाल के भाव 200 रुपए प्रति किलो थे तब सरकार ने व्यापारियों को दाल रखने की लिमिट तय की थी। साथ ही सरकार ने प्रयास किए थे कि अफ्रीकी देशों में भी भारतीय तुवर दाल की फसल हो, लेकिन इस साल देश में ही अच्छा उत्पादन होने से सारे समीकरण गड़बड़ा गए। पहले कम उत्पादन पर व्यापारियों ने खूब चांदी काटी और अब अच्छा उत्पादन हुआ तो मिल ही बंद कर रखी है, क्योंकि उन्हें अच्छा फायदा नहीं मिल रहा।
दालों के गिरे दाम के साथ बिक्री में आ रही लगातार कमी के कारण न केवल किसान परेशान है वहीं दाल मिलों ने अपनी उत्पादन क्षमता 60 फीसदी कम कर दी है। प्रदेश में 750 दाल मिलें है। मिलों में पहले दो शिफ्ट में कार्य होता था जो अब एक शिफ्ट में कामकाज हो रहा है। प्रदेश की प्रमुख मंडी इंदौर में जिंसो का सबसे बड़ा कामकाज होता है। यहां 175 दाल मिलें है, जिससे तुवर और चना दाल का सबसे ज्याद उत्पादन होता है। नोटबंदी के बाद जीएसटी और फिर आयात पर प्रतिबंध के साथ कीमतों में भारी कमी आने तथा बिक्री लगातार घटने से यहां की दाल मिलों की हालत खराब हो गई है। उधर दालों के रिकॉर्ड उत्पादन के कारण वर्ष 2016-17 में दलहन किसानों के लाभ मार्जिन में औसतन 16 फीसदी गिरावट आई है। चने को छोडक़र अन्य दालों में मार्जिन 30 फीसदी कम हुआ है। जहां दलहनों की बिक्री कीमत में गिरावट आ रही है, वहीं इसकी उत्पादन लागत लगातार बढ़ रही है। कृषि वर्ष (जुलाई से जून) 2016-17 में लागत 3.7 फीसदी बढ़ी है, जबकि पिछले साल लागत में 2.8 फीसदी इजाफा हुआ था। इसलिए केंद्र सरकार के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी से भी किसानों की आय में गिरावट नहीं रुक पाई।
समर्थन मूल्य से नीचे मिल रहे है दाम
केंद्र सरकार ने खरीफ दलहन की प्रमुख का समर्थन मूल्य ( एमएसपी) तो बढ़ाया है, लेकिन अभी तक दलहनों की कीमतें समर्थन मूल्य से नीचे ही चल रही है। खरीफ विपणन सीजन 2017-18 के लिए तुवर का एमएसपी 400 रुपए की बढ़ोतरी कर भाव 5450 रुपए प्रति क्विंटल (200 रुपए बोनस सहित) तय किया है जबकि मूंग के एमएसपी में 350 रुपए की बढ़ोतरी कर भाव 5575 रुपए (200 रुपए बोनस सहित) तय किया है। इसी तरह से उड़द के एमएसपी में भी 400 रुपए की बढ़ोतरी कर आगामी खरीफ विपणन सीजन 2017-18 के लिए एमएसपी 5400 रुपए प्रति क्विंटल (200 रुपए बोनस सहित) तय किया है। किसानो के तुवर का दाम 3700 से 3800, मूंग का दाम 4500 से 4700 व उड़द का दाम 4000 से 4100 रुपए क्विंटल मिल रहा है।
दालों का निर्यात प्रारंभ करने की मांग
केन्द्र सरकार से दालों के निर्यात प्रारंभ होने की मांग की जा रही है। दालों का एक्सपोर्ट बंद होने का सबसे बड़ा नुकसान भारत की दाल मिलों का एक्सपोर्ट मार्केट खत्म हो चुका है। ऑल इंडिया दाल मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल ने केन्द्र सरकार से देश के बाहर दालों का निर्यात प्रारंभ करने की मांग की है। इस संबध में संस्था ने केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु को ज्ञापन भेजकर अनुरोध किया है कि भारत से दालों का एक्सपोर्ट लगभग 10 वर्षो से बंद है। दालों का एक्सपोर्ट उस समय इसलिए बंद किया गया था, क्योंकि लोकल मार्केट में थोड़े समय के लिए भारत में दालों की कमी हो गई थी और मार्केट में दालों के भाव भी बढ़े हुए थे। उस सयम देश की में दलहन की पैदावार 150 लाख टन की होती थी और आयात भी 25-30 लाख टन का होता था। इस वर्ष 2017-18 में मानसून की स्थिति को देखते हुए, भारत के किसानों ने उड़द और मूंग के उत्पादन में काफी रूचि ली है किसानों की बुवाई के जो आंकड़े भारत सरकार ने दिए है उससे नई फसल अच्छी मात्रा में पैदा होगी।
Published on:
10 Sept 2017 05:09 pm
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