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500 रुपए में खरीदिए बुराई का प्रतीक रावण

शहर में सभी जगह नवरात्रि की धूम मची हुई है। पूरा शहर जमगम लाइटों से रोशन हो रहा है। मंदिरों में भक्तों का तांता लगा हुआ है।

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Online Indore

Oct 20, 2015

ravana1

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(रंगों की मदद से रावण में जान डालता कारीगर।)


इंदौर।
शहर में सभी जगह नवरात्रि की धूम मची हुई है। पूरा शहर जमगम लाइटों से रोशन हो रहा है। मंदिरों में भक्तों का तांता लगा हुआ है। इसी बीच कुछ लोग बुराई का प्रतीक बनाने में अपना दिन और रात का समय दे रहे हैं। यह प्रतीक है रावन के पुतले। शहर में कई कारीगर दिन रात मेहनत करके रावन दहन के लिए पुतले बना रहे हैं। कोई छोटे तो कोई बड़े। रावन के साथ उसके साथी भी तैयार किए जा रहे हैं जिनमें कुंभकरण और मेघनाथ शामिल हैं।


मान्यता के अनुसार इन नवरात्रि के बाद दशहरा आता है उस दिन भगवान राम ने रावन का वध किया था और बुराई पर अच्छाई की जीत हुई थी। इसी दिन को याद करने के लिए हम आज भी प्रतीकात्मक रावन बनाकर पुतले का दहन करते हैं। रावन को बुराई का प्रतीक माना जाता है। इसलिए यह प्रथा कई सैकड़ों सालों से चली आ रही है।


कैसे बनता है रावण


आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि रावण के पुतले को कैसे तैयार किया जाता है। रावण का पुतला मूल रूप से घास और बांस की लकड़ी से बनाया जाता है। जिसमें रंगों से सजाकर जान डाली जाती है। मखमली कपड़ों के लिवास के साथ रावण का पुतला पूरी तरह से तैयार हो जाता है। फिर इसके दहन में सभी को आनंद की अनुभूति हो इसलिए पटाखे लगाए जाते हैं। रावण के चेहरे आदि को बनाने के लिए सादे कपड़े या कागज का इस्तेमाल किया जाता है।


दुगने दाम पर बिक रहे रावण के पुतले


रावण के पुतले बनाने वाले एक करीगर ने बताया कि इस साल महंगाई इतनी बढ़ गई है कि जो रावण हम 501 रुपए में देते थे अब मजबूरीवश 1100 रुपए में देना पड़ रहा है। क्योंकि इसकी लागत में उपयोग में आने वाली सामग्री बहुत महंगी हो गई है। इन्होंने बताया कि इनके पास 500 सौ से लेकर 51 हजार तक के रावण के पुतले उपलब्ध हैं।


यहां देखिए रावण के बनने के कुछ चरण तस्वीरों के माध्यम से -










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