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मुनाफे के लिए नदियां कर रहे बर्बाद

इंदौर जिले का महू आलू चिप्स के लिए मशहूर है। यहां से बने चिप्स देशभर के साथ ही खाड़ी देशों तक पंसद किए जाते हैं। लेकिन स्थानीय स्तर पर सख्ती नहीं होने से कारखाने संचालित अपने मुनाफे के लिए प्रकृति को नुकसान पहुंचा रहे हैं। आलू चिप्स निर्माण के दौरान बड़ी मात्रा में स्टार्च निकालता है, जिसे बिना ट्रीट किए ही जल स्त्रोत में मिलाया जा रहा है। फरवरी से मई तक चार माह चलने वाले इन कारखानों के कारण हर साल 15 किमी के दायरे में दो नदी काली पड़ जाती है। नदी के जीव-जंतु मर जाते हैं।

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इंदौर

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Sanjay Rajak

Mar 21, 2023

मुनाफे के लिए नदियां कर रहे बर्बाद

मुनाफे के लिए नदियां कर रहे बर्बाद

डॉ. आंबेडकर नगर (महू).

फरवरी से मई तक चार माह चलने वाले इन कारखानों के कारण हर साल 15 किमी के दायरे में दो नदी काली पड़ जाती है। नदी के जीव-जंतु मर जाते हैं। बावजूद अब प्रशासन की ओर से किसी तरह का कदम नहीं उठाया गया है। कोदरिया और आस-पास के 150 से अधिक आलू़ कारखानों में आलू चिप्स बनाई जाती है। जिससे बड़ी संख्या में प्रदूषित पानी बड़ी नदी में छोड़ा जाता है। 2019-20 में पंचायत और जनपद इंजीनियर द्वारा ट्रीटमेंट प्लांट के लिए प्रोजेक्ट तैयार किया गया था। इसके लिए कारखाना संचालकों ने मिलकर 15 लाख रुपए पंचायत के Óवाइंट अकाउंट में जमा किए थे। इसके बाद प्रोजेक्ट भी तैयार नहीं हुआ। चिप्स कारखाने में होने वाले मुनाफे के चलते सांतेर नदी से लगे इलाकों में भी आलू चिप्स के कारखाने संचालित हो रहे हैं।

ऐसे होता पानी प्रदूषित

आलू कटिंग और वाशिंग के दौरान बड़ी मात्रा में स्टार्च निकलता है। 99 फीसदी कारखानों से इस स्टार्च युक्तपानी को नाले में बहा दिया जाता है। नाले के माध्यम से स्टार्च मिला पानी गंभीर नदी में पहुंचता है। जिससे पानी में बीओडी (बॉयोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड) और सीओडी (केमिकल ऑक्सीजन डिमांड) बढ़ जाती है और पानी एसिडिक हो जाता है। जिससे आस-पास दुर्गंध बढ़ जाती है। यहीं पानी कोदरिया की आकाशगंगा नदी में मिलता है। यह नदी गुजरखेड़ा के आगे जाकर सांतेर नदी में मिलती है। सांतेर नदी किशनगंज पुलिया के आगे जाकर गंभीर नदी में मिल जाती है। करीब 15 किमी के दायरे में दोनों नदीं काली पड़ गई है।

जीव-जंतु मर जाते हैं

गुजरखेड़ा के पूर्व सरंपच सत्यवीर वर्मा ने बताया कि कई वर्षों से गर्मी के मौसम में जब नदी का पानी कम हो जाता है। तब इस पानी में चिप्स कारखानों से मिलने वाले दूषित पानी मिल जाता है। जिससे नदी काली हो जाती है। नदी में रहने वाले जीव-जंतु भी मर जाते हैं। इस समस्या को लेकर हम हर साल प्रशासन से गुहार लगाते हैं, लेकिन आज तक इस बार किसी ने भी ध्यान नहीं दिया है। यहीं पानी आकाश गंगा नदी फिर सांतेर नदी और अंत में गंभीर नदी में जाकर मिल जाता है। सांतेर-किशनगंज रोड पर भी आलू चिप्स कारखाना संचालित हो रहा है। महादेव चिप्स कारखाना में हर दिन हजारों लीटर स्टार्च को सांतेर नदी में बहाया जा रहा है। जिसके चलते सांतेर नदी काली और बदबूदार होते जा रही है। इस संबंध में एसडीएम महू अक्षत जैन ने कहा, चिप्स कारखानों से निकलने वाले प्रदूषित पानी के लिए सेंट्रल इटीपी प्रोजेक्ट लगाया जाना जरूरी है।