
बोला रावण- दिनोदिन क्यों बढ़ता जा रहा मेरा कद?
एक मुलाकात दशानन के साथ
- लोकेन्द्र सिंह चौहान
'सिरमौर स्वच्छता का, इंदौर लगाएगा... स्वच्छता का, इंदौर लगाएगा...!' दशहरा मैदान पर अलसुबह वॉक करते-करते कचरा संग्रहण गाड़ी पर बजनेवाला यह गीत सुन मैं रुक गया। आसपास देखा तो रावण के विशालकाय पुतले के अलावा मैदान में कोई न था। मैं आगे बढ़ गया।
'अरे रुको मित्र, इधर-उधर क्या देख रहे हो? इतना बड़ा एक सौ ग्यारह फीट का आदमी दिखाई नहीं दे रहा?' पीछे से आवाज आई।
'कौन..?' मैंने चौंकते हुए कहा।
'मैं लंकेश बोल रहा हूं!'
'अरे तुम! फिर से... कैसे हो?' मैंने हाल-चाल जानना चाहे।
' फिर से आना तो है, हर साल तुम लोग जलाते जो हो। मेरा हाल तो देख ही रहे हो... चाल शाम को देख लेना जब मेरा दहन किया जाएगा।' उसने निराश भाव से कहा।
'तुम ये स्वच्छता..... गाना क्यों गुनगुना रहे थे? हमारा शहर तो six लगा चुका। लगातार अव्वल आ रहे हैं हम।' मैंने उसे बताना चाहा।
'हां, पता है पर ये गीत कई दिनों से सुन-सुनकर जुबां पर चढ़ गया है, सो गुनगुना रहा था।' उसने सफाई दी।
'वैसे तुम्हारा इंदौर लगातार तरक्की कर रहा है। सेवन स्टार हो गया है। तेजी से महानगरों की कतार में आ रहा है। पर्यटन में भी पुरस्कार ले आए तुम। six लगने पर प्रधानमंत्री-मुख्यमंत्री ने भी तुम इंदौरियों पर गर्व जताया है... बधाई।' उसने खुशी जताई।
'हां, हम इंदौरी ऐसे ही हैं। जो ठान लेते हैं, करके रहते हैं।' मैंने सीना फुलाते हुए जवाब दिया।
'...और तो और अब यहां नाइट कल्चर की शुरुआत भी हो गई है यानी अब इंदौर में सूरज नहीं डूबेगा। सातों दिन-चौबीस घंटे चालू...!'
'बिल्कुल। अभी प्रयोग बतौर बीआरटीएस के आसपास सौ मीटर क्षेत्र में ऐसा किया जा रहा है। सफल रहे तो शहर खुलेगा।' मैंने समझाया।
'मुझे इसमें संदेह है भाई।' उसने आशंका जताई।
'क्यों? क्या संदेह है?' मैंने पूछा।
' वो इसलिए कि तुम्हारे शहर में पुलिस कमिश्नरी सिस्टम लागू हुए ग्यारह माह हो गए लेकिन इसका कोई असर दिखाई नहीं दे रहा। एनसीबी के आंकड़े देख लो। अपराधों का ग्राफ घटने की बजाय बढ़ा ही है। गुंडे-बदमाश बेखौफ वारदात कर रहे हैं। सरेराह दिनदहाड़े हत्या, चोरी, छेड़छाड़, बलात्कार, चेन-फोन लूट आदि हो रही हैं। महिलाएं चेन पहनकर नहीं निकल सकतीं, फोन पर बात करते नहीं घूम सकतीं। आम आदमी आज भी खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर रहा। ऐसे में चौबीस घंटे खुलने वाली बात हजम नहीं होती। जब दिन में ही अमन-चैन नहीं है तो रात में..!तुम्हारा शहर सफाई में तो अव्वल है, लेकिन कब ये देश का सबसे सुरक्षित शहर बनेगा? रहने लायक बनेगा?' उसने अपनी आशंका पर मुहर लगाते हुए बात रखी।
'हां, तुम्हारी बात तो सही है।' मैंने सहमति में सिर हिलाया।
'पुलिस नाकाम है और नगर निगम पूरे शहर को कैमरों की जद में लाने पर तुली है। अब कह रहे हैं हर कॉलोनी, गली-मोहल्ले, सड़क पर कैमरे लगवाना अनिवार्य होगा। सब कुछ क्या कैमरे के भरोसे ही होगा? देशभक्ति-जनसेवा को ताक पर पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी रहेगी। सीसीटीवी फुटेज से ही धरपकड़ करेगी..!' उसने बड़ी-बड़ी आंखें दिखाते हुए कहा।
'ऐसा नहीं है, वो ईमानदारी से अपनी ड्यूटी कर रही है।' मैं बोला।
'मुझे पता है उनकी ईमानदारी! पिछले दिनों ब्लैकमेलिंग कांड का जो ऑडियो वायरल हुआ था, लाखों का खेल करते धराए थे तुम्हारे ये ईमानदार। मेरा मुंह मत खुलवाओ। थानों में नाम के कैमरे लगे हैं। जहां उनकी जद नहीं, वहां मामले निपटाते हैं। जेब भारी करते हैं। जो नहीं देता, वो चक्कर पे चक्कर काटता रहता है। उसकी रिपोर्ट तक दर्ज नहीं होती। जेब भारी कर दे तो फरियादी को भी आरोपी बना दे और आरोपी को फरियादी... गजब काम है इनका।' उसने वर्दीवालों की पोल खोल के रख दी।
'सो तो है।' मैंने उसकी बात पर हामी भरी।
'खैर छोड़ो। सीसीटीवी कैमरों से याद आया कि ढाई साल बाद तुम्हारे शहर को महापौर और पार्षद मिल गए हैं।
कैसा काम कर रहे हैं वकील साब?'
'हां, ढाई साल से अफसरों के हवाले था शहर। अब जाकर जनप्रतिनिधियों ने कमान संभाली है। अभी तो आगाज है, आगे-आगे देखिए होता है क्या। फिलहाल तो ठीक चल रहे हैं वकील साब और उनके वजीर। काम समझने में थोड़ा समय लगेगा, फिर भी कुछ अच्छे फैसले लिए हैं।' मैंने उनका पक्ष लिया।
'फिर झूठ... एमआईसी की पहली बैठक तो 'नाम' की भेंट ही चढ़ गई। काम की बात नहीं हुई, सिर्फ इसका नाम बदलकर ये कर दो, उसका नाम बदलकर वो... यही फैसले तो लिए हैं। मुझे पता है एमआईसी मेंबर्स चयन में किस तरह की उठापटक-टांगखिंचाई हुई थी, इतनी तो टिकट वितरण में भी नहीं हुई थी। वैसे बता दूं दो नंबरियों से दब गए तुम्हारे 'मित्र'।' वो बोला।
'ऐसा नहीं है। उनको फ्री हैंड है। शपथ लेते ही उन्होंने साफ कर दिया था कि निगम में सही काम रुकेगा नहीं, गलत कोई करवा नहीं सकता... और अभी देखो कैसे दिल्ली से स्वच्छता का अवार्ड लेकर आए हैं। फूले नहीं समा रहे। आगे भी ऐेसे ही उत्साह से शहर हित में काम करेंगे।' मैंने थोड़ा सख्त लहजे में वकील साब की तरफ से जिरह करते कहा।
'ठीक है भाई, नाराज क्यों होते हो? चलो छोड़ो, कुछ बात गीत-संगीत की कर लें। मुझे वीणा वादन बहुत पसंद है। मैं इसमें पारंगत हूं मित्र। पिछले दिनों देशभर में सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर का जन्मदिन मनाया गया। उप्र की योगी सरकार ने उनके नाम पर चौक ही कर दिया और विराट वीणा चौराहे पर लगा दी। इंदौर उनकी जन्मभूमि है, वो इस मामले में पिछड़ कैसे गया?' उसने वाजिब सवाल उठाया।
'बिल्कुल नहीं? हम भी उनकी प्रतिमा लगाने जा रहे हैं। उनके नाम पर संगीत अकादमी और संग्रहालय बनेगा। लताजी के जन्मदिन पर हमारे मुख्यमंत्री इसकी घोषणा कर चुके हैं।' मैंने अपना व शहर का बचाव करते हुए कहा।
'पता है, प्रतिमा लगाएंगे पर कहां? स्थान को लेकर तो मतभेद चल रहे हैं। कोई यहां तो कोई वहां लगाने की कह रहा है।'
'ऐसा नहीं है। नगर सरकार ने लताजी की प्रतिमा गांधी हॉल में लगाने का ऐलान किया है, वहीं कुछ लोग उनकी जन्मस्थली सिख मोहल्ला में लगाने की मांग कर रहे हैं। सबके अपने-अपने तर्क हैं।' मैंने समझाना चाहा।
'जो सही हो, वही हो... खैर। ढाई साल बाद नगर निगम में सरकार से याद आया कि शहर कांग्रेस भी तो ढाई साल से भंग पड़ी है। कार्यकारिणी की सूची गांधी भवन में धूल खा रही है, क्यों?'
'क्यों? क्या... शहर कांग्रेस का भी वही हाल है, जो राष्ट्रीय कांग्रेस का। वहां ही शांति नहीं है तो यहां कैसे रहेगी भला।' मैंने सफाई दी।
'...और शहर भाजपा में क्या चल रहा है?' वो बोला।
'फॉग चल रहा है।' मैंने खीजते हुए कहा।
'तुम भले ही मत बताओ, मेरे भी सोर्स हैं। निगम चुनाव तो जैसे-तैसे पार्षद प्रत्याशियों के दावेदारों को समझा-बुझाकर हो गए, विधानसभा में भारी उठापटक तय है। एक नंबर से लेकर दो, तीन, चार, पांच, महू, देपालपुर तक अबकी बार भारी मगजमारी होनी है। मेरी बात लिख कर रख लो मित्र।' उसने दावा करते हुए कमलवालों की अंदरूनी कलह उजागर करनी चाही।
'देखते हैं, अभी चुनाव में समय है। अच्छा अब मैं चलता हूं।' मैंने कहा।
'रुको, एक बात बताते जाओ... दिनोदिन मेरा कद घटने की बजाय बढ़ता क्यों जा रहा है? क्यों राम कम, रावण ज्यादा पैदा हो रहे हैं? क्यों महिलाओं-युवतियों से छेड़छाड़, चीरहरण-बलात्कार हो रहा है और उनकी अस्मत बचाने कोई राम नहीं आ रहा? क्यों समाज में व्यभिचार बढ़ता जा रहा है? क्यों बुजुर्ग माता-पिता को घर में मान-सम्मान नहीं मिल रहा, उन्हें वृद्धाश्रम दिखाया जा रहा है? क्यों कोरोना का शिकार माता-पिता का आखरी बार मुंह देखने कोई मातृ-पितृभक्त राम नहीं पहुंचा? क्यों उन्हें सफाईकर्मियों के हवाले कर दिया? क्यों मुझे ही हर साल जलाते हो? ऐसे कई क्यों हैं, जिनका मुझे तुमसे जवाब चाहिए।'कहते-कहते उसकी आंखों से शोले बरसने लगे।
लंका नरेश के इतने 'क्यों' का मेरे पास कोई जवाब नहीं था। मैं नि:शब्द हो वहां से उल्टे पैर चल दिया... क्या आपके पास हैं दशानन के इन सवालों के जवाब, हों तो प्लीज मुझे बताएं!
Published on:
05 Oct 2022 11:54 am
बड़ी खबरें
View Allइंदौर
मध्य प्रदेश न्यूज़
ट्रेंडिंग
