इंदौर. इंदौर के इस टॉकिज के सलमान खान, शाहरुख खान ही दीवाने नहीं हैं, बॉलीवुड के बड़े-बड़े वितरक भी जब सेंट्रल इंडिया में फिल्म रीलिज करने की तैयारी करते हैं तो इस सिंगल स्क्रीन सिनेमा को नहीं भूलते। बीते एक दशक में मल्टीप्लेक्स युग आने के बाद भी कोई बड़ी फिल्म ऐसी नहीं रही, जो यहां रीलिज नहीं हुई। सबने अच्छा कारोबार भी किया।
इस टॉकिज का नाम है कस्तूर। शहर के पश्चिमी हिस्से में बने 40 साल से ज्यादा पुराने इस टॉकिज की खासियत इसकी क्षमता है। टॉकिज में 1100 से ज्यादा दर्शक एक साथ फिल्म का आनंद ले सकते हैं। इसके उलट मल्टीप्लेक्स की क्षमता 200 से 400 दर्शकों की ही होती है। इस लिहाज से इस टॉकिज का एक शो मल्टीप्लेक्स के दो शो बराबर हो जाता है। एक दिन में चार या पांच शो फुल हुए कि पांच-साढ़े पांच हजार दर्शक काउंट हो जाते हैं। इससे फिल्मों का कलेक्शन अच्छा दिखता है। बस, वितरकों को यही बात खींच लाती है।
लोकेशन का फायदा भी
शहर में ज्यादातर मल्टीप्लेक्स सिनेमा पूर्वी और उत्तरी हिस्से में बने। पश्चिम शहर अब तक नए युग के इन सिनेमाघरों से वंचित है। इस वजह से धार रोड, अन्नपूर्णा रोड, सुदामानगर, फूटी कोठी, बड़ा गणपति, एयरपोर्ट रोड वाली आबादी मनोरंजन के लिए कस्तूर का रुख करती है। इसका फायदा भी टॉकिज और वितरकों को मिलता है। शहर में इसके बाद सबसे बड़ा टॉकिज ज्योति है, जिसकी क्षमता 1000 सीटों की है। हालांकि ज्योति टॉकिज संचालकों ने काफी समय से नई फिल्में लगाना बंद कर दिया है।