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90 फीसदी अरावली खत्म होने का हो सकता है खतरा.. पर्यावरणविदों ने जताई चिंता

अरावली विवाद पर केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर गलत जानकारी फैलाई जा रही है।

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Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट। पत्रिका फाइल फोटो

Supreme Court Verdict on Aravalli Mountain Range: अरावली पर्वतमाला की नई परिभाषा को लेकर सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले उसके संरक्षण का मामला राष्ट्रीय स्तर पर गर्मा गया है। पर्यावरणविदों और आम जनता में हर जगह विरोध के स्वर गर्माने के बाद यह प्रकरण एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट जाता दिख रहा है।

पर्यावरण कार्यकर्ता और वकील हितेंद्र गांधी ने अरावली रेंज की सुरक्षा से जुड़े मामले में देश के चीफ जस्टिस (सीजेआई) और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को पत्र लिखकर अरावली के '100 मीटर टेस्ट' नियम पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है। पर्यावरणविदों ने चिंता जताई है कि 100 मीटर से ऊंची भू-आकृति और 500 मीटर के दायरे का नियम लागू किया गया तो 90 फीसदी अरावली खत्म होने का खतरा हो सकता है।

सरकार अरावली संरक्षण के पक्ष में: पर्यावरण मंत्री

अरावली विवाद को लेकर सोमवार केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर गलत जानकारी फैलाई जा रही है। उन्होंने कहा कि एनसीआर में खनन पूरी तरह प्रतिबंधित है और सरकार अरावली संरक्षण के पक्ष में है और उसके लिए काम किया जा रहा है।

विपक्ष के आरोपों और लोगों की आशंकाओं को खारिज करते हुए यादव ने कहा कि अरावली के कुल 1.44 लाख वर्ग किमी क्षेत्र में मात्र 0.19 प्रतिशत हिस्से में ही खनन हो सकता है। जहां तक अरावली पहाड़ियों को 100 मीटर या उससे ज्यादा ऊंची भू-आकृतियों के रूप में परिभाषित करने का सवाल है। इसमें यह भी तथ्य है कि 500 मीटर के दायरे में पहाड़ियों को अरावली पर्वतमाला में बांटा गया है, इसलिए बीच की घाटियां, ढलानें और छोटी पहाड़ियां भी सुरक्षित रहेंगी।