बड़े से बड़ा दुख भी खत्म हो जाएगा शनि देव के इस मंत्र से
इंदौर. नटराज नगर मैदान अन्नपूर्णा रोड पर श्री शनि महायज्ञ का शुभारंभ शुक्रवार की सुबह वैदिक मंत्रोच्चार के साथ हुआ। पहले दिन सैकड़ों भक्तजन पहुंचे। हजारों आहुतियां शनिदेव व अग्निदेव को समर्पित की गई। 21 विद्वानों ने वैदिक रीति-नीति से अनुष्ठान का शुभारंभ शंखनाद से हुआ।
महामंडलेश्वर संत दादू महाराज के सान्निध्य में 108 कुंडीय यज्ञ का आयोजन हो रहा है। शुक्रवार सुबह इसका वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजन व वैदी में अग्नि प्रज्वलन का आयोजन हुआ। इसके बाद शनि महामंत्र समेत अन्य मंत्रों से आहुतियां समर्पित की गई। तीन दिनी हवन में लाखों आहुतियां समर्पित की जाना हैं। पहले दिन आहुतियां पं मनोज शास्त्री, राकेश महाराज, निर्देशन में 21 विद्वानों ने दिलाई।
22 हजार फीट में होंगी आहुतियां
यज्ञ स्थल पर जहां 22 हजार फीट में आहूति पूजन का इंतजाम किया है, वहीं प्रवचन के लिए खास बनाया हैं, जहां रविवार शाम शनि कथा, शनिदेव के भजन व अन्य धार्मिक प्रस्तुतियां होंगी। यज्ञ स्थल पर शनि भगवान के अस्थायी मंदिर एवं शनि शिंगणापुर की पावन ज्योत के भी बड़ी संख्या में भक्त जनों ने दर्शन किए। यह जानकारी आशीष गुप्ता ने दी।
कहते हैं शनिवार को की गई शनि उपासना का अन्य दिनों से कई गुणा प्रभावशाली असर होता है लेकिन हर रोज बोला गया एक मंत्र ? आपके जीवन में दिखाएगा कमाल। किसी भी इच्छा को पूरी करने की क्षमता रखते हैं शनि मंत्र। फिर चाहे भरनी हो तिजोरी या पानी हो मनचाही नौकरी, सौभाग्य, दौलत, सफलता या सम्मान। खुश होकर शनि बनाएंगे मालामाल। यदि आप बार-बार किसी दुर्घटना का शिकार होने से बच रहे हैं, धन आने के बावजूद तिजोरी खाली पड़ी है या बनते-बनते बिगड़ रहे हैं काम। तो शनि मंत्रों का जाप दिलाएगा आपको हर संकट से निजात। इसके अतिरिक्त कुंडली में शनि अशुभ दे रहे हों, साढ़ेसाती या ढैय्या का प्रभाव चल रहा हो तो ऐसे में भी इन शनि मंत्रों में से कोई भी 1 मंत्र कम से कम108 बार हर रोज बोलें।
वैदिक मंत्र
शं नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये। शंयोरभि स्रवन्तु न:।।
पौराणिक मंत्र
नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्
छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामी शनैश्चरम्।।
बीज मंत्र
प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:।।
सामान्य मंत्र
शं शनैश्चराय नम:।।
इसके अतिरिक्त शनिवार के दिन शनि प्रतिमा पर सरसों का तेल अर्पित करते वक्त इन मंत्रों का जाप अवश्य करें-
नीलांजन नीभाय नम:।।
नीलच्छत्राय नम:।।
ज्योतिष विद्वान मानते हैं, इन मंत्रों का जाप करने से हर तरह की समस्या का समाधान हो जाता है। शनिवार के दिन घर में तेल से बने पकवान बनाकर शनि देव को अर्पित करें। फिर उन्हें गरीबों में बांटने के उपरांत पारिवारिक सदस्यों को खिलाएं, अंत में स्वंय ग्रहण करें।
तिल, तेल और छायापात्र का दान
तिल, तेल और छायापात्र शनिदेव को अत्यन्त प्रिय माने जाते हैं। इन चीज़ों का दान शनि की शान्ति का प्रमुख उपाय है। मान्यता है कि यह दान शनि देव द्वारा दिए जाने वाले कष्टों से निजात दिलाता है। छायापात्र दान की विधि बहुत ही सरल है। मिट्टी के किसी बर्तन में सरसों का तैल लें; उसमें अपनी छाया देखकर उसे दान कर दें। यह दान शनि के आपके ऊपर पडऩे वाले दुष्प्रभावों को दूर कर उनका आशीर्वाद लाता है।
धतूरे की जड़ धारण करें
वैदिक ज्योतिष में विभिन्न जड़ों की मदद से ग्रहों की शान्ति का विधान है। कई ज्योतिषियों का मानना है कि रत्न धारण करना नुक़सान भी पहुँचा सक्ता है, लेकिन जड़ धारण करने से ऐसी आशंका नहीं रहती है। रत्न ग्रह की शक्ति बढ़ाने का काम करते हैं, वहीं जडिय़ाँ ग्रहों की ऊर्जा को सकारात्मक दिशा में मोडऩे का कार्य करती हैं। शनिदेव को ख़ुश कर उनकी कृपा पाने के लिए ग्रन्थों में धतूरे की जड़ को धारण करने की सलाह दी गई है। धतूरे की जड़ का छोटा-सा टुकड़ा गले या हाथ में बांधकर धारण किया जा सकता है। इस जड़ी को धारण करने से शनि की ऊर्जा आपको सकारात्मक रूप से मिलने लगेगी और जल्दी ही आपको ख़ुद अन्तर महसूस होगा।
सात मुखी रुद्राक्ष धारण करें
जडिय़ों की ही तरह रुद्राक्ष को भी हानि रहित उपाय की मान्यता प्राप्त है। सात मुखी रुद्राक्ष धारण करना न सिफऱ् भगवान शिव को प्रसन्न करता है, बल्कि शनिदेव का आशीर्वाद भी दिलाता है। पुराणों के अनुसार सात मुखी रुद्राक्ष धारण करने से घर में धन-धान्य की कमी नहीं रहती है और लक्ष्मी मैया की कृपा हमेशा बनी रहती है। साथ ही सेहत से जुड़ी समस्याओं में भी इसे बहुत प्रभावी माना जाता है। इस रुद्राक्ष को सोमवार या शनिवार के दिन गंगा जल से धोकर धारण करने से शनि जनित कष्टों से छुटकारा मिलता है और समृद्धि प्राप्त होती है।