-हाई कोर्ट में पेश किया जवाब, कार्यक्रम में 100 लोगों की थी इजाजत, 80 बसें भरकर भेजी थीं
नितेश पाल
इंदौर. कोरोना जब लोगों की जान ले रहा था और इसको लेकर बनी गाइड लाइन का पालन देश के बड़े-बड़े नेता कर रहे थे, उस समय इंदौर प्रशासन ने ही कोरोना की गाइड लाइन तोड़ी थी। कोरोना की पहली लहर के दौरान सांवेर में नर्मदा पहुंचाने के कार्यक्रम के दौरान 80 बसें भरकर भेजी थीं, जबकि उस समय कार्यक्रम में उपस्थित होने के लिए 100 लोगों की इजाजत थी। ये बात खुद हाई कोर्ट में जिला प्रशासन ने पेश किए अपने शपथ-पत्र में स्वीकारी है।
सांवेर में उपचुनावों के पहले 26 सितंबर 2020 को मुख्यमंत्री ने सांवेर में नर्मदा का पानी पहुंचाने के लिए सांवेर माइक्रो उद्वहन ङ्क्षसचाई परियोजना का शिलान्यास किया था। जिस समय ये कार्यक्रम हुआ था, कोरोना की पहली लहर चल रही थी और कई लोग अस्पतालों में भर्ती थे। वहीं इस कार्यक्रम में जनता को पहुंचाने के लिए प्रतिबंध के बाद भी स्कूल बसों को जिला प्रशासन ने अधिग्रहित किया था। इसको लेकर हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी। इस याचिका पर कोर्ट ने सरकार और प्रशासन से जवाब मांगा था। कोर्ट में प्रशासन ने जो जवाब पेश किया, उसमें इस बात को माना है कि कार्यक्रम में पहुंचाने के लिए 80 स्कूल बसों का अधिग्रहण किया गया था। प्रशासन ने इसके लिए तर्क दिया है कि चूंकि कोरोना के चलते स्कूल बंद थे, ऐसे में बसों का कोई इस्तेमाल नहीं होने के चलते उनका अधिग्रहण किया गया था।
याचिका में कोरोना गाइड लाइन को तोडऩे का भी आरोप लगा था। इस पर प्रशासन ने जानकारी दी कि कार्यक्रम के समय सरकार ने जो गाइड लाइन बनाई थी, उसमें किसी भी आयोजन में 100 लोगों के उपस्थित होने की इजाजत दी गई थी। हालांकि प्रशासन ने कोरोना गाइड लाइन का उल्लंघन करने से इंकार किया है, साथ ही कहा कि कोरोना की सभी गाइड लाइन जिनमें सोशल डिस्टेंङ्क्षसग, मास्क और सैनेटाइजेशन का उपयोग किया गया था।
नहीं आई थी वैक्सीन
जिस समय ये कार्यक्रम हुआ था, उस समय तक पूरे विश्व में कोरोना की कोई दवा ही नहीं खोजी गई थी। कोरोना की वैक्सीन भी नहीं आई थी। वैक्सीन इस कार्यक्रम के चार माह बाद आई थी। वहीं आरोप लगाया गया था कि इस कार्यक्रम के बाद बड़ी संख्या में शहर में कोरोना के मरीज सामने आए थे।