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ये हैं धरतीपुत्र, जिन्होंने धरती को लिया गोद

आज पृथ्वी दिवस है... धरती पर बोझ नहीं, धरतीपुत्र बनें... ये हैं हमारे शहर के धरती पुत्र...

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world earth day 2018

धरती के लिए घोषित एक दिन। पृथ्वी इन दिनोंं चीख रही है, चिल्ला रही है... हम यानी पृथ्वी पुत्र उसका सिर्फ और सिर्फ दोहन ही कर रहे हैं। उसका शृंगार, उसके संरक्षण के लिए कुछ नहीं कर रहे। हम धरती पर दिनोदिन बोझ बढ़ाए जा रहे हैं। उसके आंचल में फैली हरियाली का धड़ल्ले से सफाया कर रहे हैं, जंगल काट रहे हैं। पेड़-पौधों की बजाय सीमेंट-कॉन्क्रीट का जंगल खड़ा करते जा रहे हैं। जमीन से खूब पानी निकाल रहे हैं, खनन कर इसे खोखला कर डाला है। यह तस्वीर ही देखिए... इसमें जितना हिस्सा दिखाई दे रहा है, वह इंदौर के विजयनगर से लसूडिय़ा, मांगलिया तक का क्षेत्र है। बीच में बीआरटीएस नजर आ रहा है। इसे हम नया इंदौर भी कहते हैं। इसमें देखिए कितनी तेजी से जमीन पर बड़ी-बड़ी इमारतें हमने खड़ी कर दी हैं और हरियाली नाममात्र की बची है। कभी यह क्षेत्र जंगल या कृषि भूमि हुआ करता था, लहलहाता था। खूब हराभरा था... अब हरियाली साफ है। धरती मां अपने अन्न, फल, फूल, जल, वायु आदि से हमें वर्षों से पालती-पोसती आ रही है। इस धरती मां से आज हम पांच वादे करें कि कम से कम एक पौधा लगाएंगे। पॉलीथिन का इस्तेमाल नहीं करेंगे। कागज कम बर्बाद करेंगे। पानी व्यर्थ नहीं बहाएंगे और पांचवां वादा ये कि बारिश का पानी जमीन में पहुंचाएंगे... ये वादे हम पूरे करते हैं तो सच्चे धरतीपुत्र कहलाएंगे। आज हम आपको इंदौर के उन धरतीपुत्रों से मिलवाते हैं जिन्होंने धरती को गोद लिया और उसे सहेजने, संवारने और संरक्षण में जुट गए हैं।

आज विश्व पृथ्वी दिवस है। देश व दुनियाभर में पर्यावरण को सहेजने के उद्देश्य से १९७० में इसकी शुरुआत हुई थी। जैसे-जैसे शहर बढ़ रहे हैं, पर्यावरण को खतरा भी बढ़ता जा रहा है। शहर में विकास के नाम पर बड़े पैमाने पर हरियाली की बलि ली जा रही है, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिन्होंने पृथ्वी को सहेजने, संभालने का बीड़ा उठाया है। शहर के भानू पटेल और सतीश शर्मा ऐसे ही धरती पुत्रों में शुमार हैं।
संस्था ट्री-ग्रो के संस्थापक भानू पटेल व सतीश शर्मा ने शहर व आसपास ५ लाख से अधिक पेड़ लगाने का बीड़ा उठाया है। भानू पटेल ने अपने इकलौते बेटे की शादी में मेहमानों से ११ हजार १११ पौधे लगवाए थे। शादी भी पर्यावरण के हित में पेडमी स्थित गोशाला में की थी। इसे दो माह हुए हैं। सभी पौधे जिंदा हैं। भानू पटेल व सतीश शर्मा ने जुलाई २०१७ में रालामंडल में १० हजार पौधे लगाए थे। इन्हें बचाने के लिए जापानी पद्धति का प्रयोग किया और मिट्टी की नमी बनाए रखने के लिए उस पर घास डाली गई। यही तरीका पेडमी में भी अपनाया जा रहा है। रालामंडल के ९० प्रतिशत पौधे अब भी जिंदा हैं। 9 महीने में इनकी ऊंचाई मात्र ६ से ८ फीट हो गई है।

५ लाख पौधे लगाने का लक्ष्य
संस्था ट्री-ग्रो और पेडमी स्थित देवी अहिल्या गोशाला ट्रस्ट ने गोशाला की १०० एकड़ जमीन पर पांच लाख पौधे लगाने का लक्ष्य रखा है। पौधे लगाने के लिए आम लोगों को भी आमंत्रित किया जा रहा है, जिसमें वे अपने जन्मदिन, विवाह वर्षगांठ, पूर्वजों की यादों को यहां पौधारोपण के साथ मना सकते हैं। यहां फिर से ११ हजार पौधे रोपने की तैयारी शुरू हो चुकी है।

प्रकृति ने हमें सब कुछ दिया, हमने क्या दिया?
पटेल और शर्मा कहते हैं कि प्रकृति ने हमें सब कुछ दिया, लेकिन हमने उसे क्या दिया, यह सवाल हर व्यक्ति को अपने आप से करना चाहिए। विकास के नाम पर शहरों में पेड़ काटे जा रहे हैं। सीमेंट की सड़कें, ऊंची इमारतें बनाई जा रही हंै, लेकिन कोई पौधे लगाना नहीं चाहता। सिग्नल पर तेज धूप से बचने के लिए छांव ढूंढ़ते हैं, लेकिन पौधे किसी को नहीं लगाना, इसीलिए हमने संकल्प लिया है कि लाखों पौधे लगाएंगे और उन्हें सहेजेंगे। हम जो भी पौधे लगाते हैं, उन पर नियमित ध्यान देते हैं, यही कारण हैं कि हम जहां पौधे लगाते हैं, वह जगह जंगल में तब्दील हो जाती है।