
स्मार्टफोन यूजर्स की ये पांच गलतियां करवा सकती हैं बड़ा नुकसान
इंदौर. स्मार्टफोन चलाने वाले लोगों के स्मार्ट नहीं होने का फायदा हैकर्स और सायबर क्रिमिनल्स उठाते हैं। बाजार में ऐसे ऐप हैं, जिनकी मदद से आप दूसरों के मोबाइल हैक कर सकते हैं। महज 1 हजार से 2 हजार रुपए फीस में किसी के भी मोबाइल की चैट फोटो सहित बैंक डिटेल चुरा सकते हैं। इसमें बैंक ओटीपी भी शामिल है। इसके लिए हैकर को आपके मोबाइल पर एक एप्लिकेशन डाउनलोड करना होती है, जो दिखाई नहीं देती है। इसके बाद वह लैपटॉप में कंपनी के सॉफ्टवेयर के जरिए आपकी डिटेल्स चुरा सकता है। इसलिए अपना फोन किसी को नहीं दें। छोटी-छोटी सावधानियों से ऐसे अपराधों से बच सकते हैं। यह जानकारी एथिकल हैकर और सायबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट अंकित फाडिय़ा ने अपनी २०वीं बुक द कैसीनो जॉब के शहर में हुए लॉन्चिंग इवेंट में कही। हैकिंग की थीम पर यह भारत की पहली थ्रिलर बुक है। अंकित ने अपनी पहली किताब 14 साल की उम्र में लिखी थी। वे डिजिटल इंडिया अभियान के ब्रांड एम्बेसडर हैं।
इन ज्वलंत मुद्दों पर रखी राय
आधार कार्ड- सरकार से ज्यादा आपके डाटा की जानकारी आइफोन और गूगल जैसी कंपनियों के पास है। आधार का सेंट्रल डाटाबेस पूरी तरह सुरक्षित होता है। समस्या वे एजेंसियां हैं, जिन्हें आप आधार कार्ड नंबर देते हैं। वे नियमानुसार नहीं चलतीं, जिससे डाटा लीक होता है। सरकार ने इसके लिए भी वर्चुअल आइडी जारी की है। यूआइएडीआइ पोर्टल पर आइडी बनाने के बाद आधार कार्ड देने की जरूरत नहीं है। आइडी 24 घंटे चलती है।
फेक न्यूज- आरोप लगे हैं कि अमरीकी चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप को फेक न्यूज का काफी फायदा मिला । इसमें रूस ने मदद की। इस्टर्न यूरोप में तो फेक न्यूज के बड़े-बड़े सेंटर चल रहे हैं, जहां हजारों स्मार्टफोन के फेक अकाउंट्स के जरिए फर्जी खबरों को वायरल किया जाता है। हमारे यहां आने वाले आम चुनाव में भी ऐसी संभावना है, इसलिए लोग जागरूक होकर इसे क्रॉस चेक जरूर करें। हर न्यूज का सोर्स जांचे तभी फैसला लें। सोशल नेटवर्किंग साइट्स को भी इसके खिलाफ कार्रवाई करनी होगी। सोशल साइट्स पर लोकेशन, प्राइवेट फोटोज शेयर नहीं करनी चाहिए। इन्हें मोबाइल से डिलीट करने के बावजूद कंपनीज के पास डाटा मौजूद रहता है।
स्मार्टफोन यूजर्स की ये पांच गलतियां करवा सकती हैं बड़ा नुकसान
1.स्मार्टफोन पर जीपीएस बंद करने के बाद भी गूगल आपकी लोकेशन ट्रेस कर सकता है। अनसेक्योर एप को सभी तरह की परमिशन नहीं देनी चाहिए।
2.फेसबुक में अनजान व्यक्तियों की फ्रेंड रिक्वेस्ट नहीं स्वीकारें।
3.चैटिंग, लिंक शेयर व क्लिक करते ही आपका कम्प्यूटर हैक हो सकता है।
4.एप इंस्टॉल करते वक्त टर्म-कंडीशन बिना पढ़े स्वीकारते हैं, जबकि गेम, चैट या डेटिंग जैसे एप को कैमरा और माइक्रोफोन की परमिशन नहीं देनी चाहिए।
5.मोबाइल की सुरक्षा के लिए कोई एंटीवायरस एप नहीं खरीदता। कई प्रतिष्ठित कंपनियां फ्री सुविधा भी देती हैं, लेकिन कोई नहीं लेता।
तीन स्तर पर काम हुए तो नहीं होंगे सायबर अपराध आम
लोग: सभी में जागरूकता होनी चाहिए। एमटीएम यूज करने के लिए पहले कार्ड स्लॉट और पिन बोर्ड अच्छे से जांच लेना चाहिए।
बैंक: बैंक की जिम्मेदारी होती है, लोगों को ज्यादा से ज्यादा जागरूक करें। गरीब और अनपढ़ लोगों तक बैंक पॉलिसीज पहुंचना चाहिए।
सरकार: सरकारों को बैंक को बताना होगा कि कमाई का कुछ प्रतिशत जागरूकता में खर्च हो। क्राइम होने पर जांच तेजी से हो।
Published on:
22 Aug 2018 12:13 pm
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