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इनके पास घर-खेती की जमीन, लेकिन मांगते हैं ​भिक्षा

प्रशासन की कार्रवाई से शहर छोड़कर भागे

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इनके पास घर-खेती की जमीन, लेकिन मांगते हैं ​भिक्षा

इनके पास घर-खेती की जमीन, लेकिन मांगते हैं ​भिक्षा

इंदौर. शहर को भिक्षुक मुक्त बनाने के अभियान ने गति पकड़ ली है। कार्रवाई के दौरान खुलासा हुआ कि इंदौर में करीब आठ हजार भिक्षुक हैं। दूसरे राज्य से आकर भी लोग यहां भिक्षा मांग रहे हैं। जब एक महिला को बच्चे के साथ पकड़ा गया तो उसने बताया कि उनका परिवार अकेला नहीं है। गांव से करीब 150 लोग यहां आकर भिक्षा मांग रहे हैं। सभी के पास अच्छे घर और खेती की जमीन है।

केंद्र सरकार ने भिक्षुक मुक्त शहर बनाने की योजना में इंदौर का भी चयन किया है। कलेक्टर आशीष सिंह ने अफसरों के साथ कुछ विभागों को भी अभियान का जिम्मा सौंपा है। ये टीमें मंदिरों, चौराहों और प्रमुख स्थानों पर कार्रवाई कर रही हैं। पहले चरण में बच्चों का रेस्क्यू किया जा रहा है तो अन्य को समझाइश दी जा रही है।

भिक्षा मांगना हमारा धंधा

संस्था प्रवेश की रुपाली जैन ने लवकुश चौराहे पर बच्चे के साथ भिक्षा मांगने वाली इंदिरा बाई को पकड़ा तो उसने बताया कि उसके अलावा पति भी दो बच्चों के साथ भिक्षा मांगते हैं। उसका परिवार अकेला नहीं है। वह राजस्थान के पारा जिले के कलमाड़ा गांव की है और वहां के 150 से अधिक लोग इंदौर में भिक्षा मांगते हैं। सभी के अच्छे घर हैं और खेती की जमीन भी है। इंदिरा बाई का कहना था कि भिक्षा मांगना हमारा धंधा है, कोई गलत काम थोड़ी कर रहे हैं। इधर, कार्रवाई की भनक लगते ही बाहर से आकर भिक्षा मांगने वाले अपने-अपने गांव चले गए हैं। वे मुहिम के शांत होने का इंतजार कर रहे हैं। जैन ने बताया कि उनकी संस्था के सर्वे के अनुसार, इंदौर में करीब 8 हजार भिक्षुक हैं। इनमें स्थानीय के साथ आसपास के जिलों और अन्य राज्यों के लोग भी शामिल हैं।

किस्से: पति वाद्य बजाते हैं, दो बेटे इलेक्ट्रिशियन

अभियान के दौरान मल्हारगंज शनि मंदिर के पास एक महिला को पकड़ा था। उसके पास दो बच्चे भी थे। उसके परिवार को बुलाया तो मालूम हुआ कि पति बैंड में वाद्य बजाते हैं तो दो बेटे इलेक्ट्रिशियन हैं। दोनों बहुएं घरेलू कर्मचारी हैं। वे अपने बच्चों को सास के पास छोड़कर जाती थीं। जब उन्हें हकीकत मालूम हुई तो वे जमकर बिफरीं। कहा कि हम तो बच्चों को दादी के पास छोड़कर जा रहे थे। वे उन्हें भिक्षुक बना रही हैं। महिला का कहना था कि वह सिर्फ मंगलवार को रणजीत हनुमान मंदिर और शनिवार को मल्हारगंज शनि मंदिर पर आती थी।