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मुसीबतें हजार, लेकिन हौसले की पिच पर हर दिक्कत बाउंड्री पार

मिलिए दिव्यांग क्रिकेटर अजय यादव से, ऑटो चलाते हैं, बांग्लादेश को 3-0 से किया क्लीन स्वीप

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मुसीबतें हजार, लेकिन हौसले की पिच पर हर दिक्कत बाउंड्री पार

मुसीबतें हजार, लेकिन हौसले की पिच पर हर दिक्कत बाउंड्री पार

धीरेंद्र गुप्ता

इंदौर. उठ चल तू उठ चल, मंजिल को बढ़ चल तू... खून में तेरे है चिंगारी क्या करेगी तेरी बीमारी... तू है खतरों का खिलाड़ी। कुछ ऐसे ही शब्द बाणगंगा क्षेत्र में रहने वाले इंटर नेशनल दिव्यांग क्रिकेटर अजय यादव पर फिट बैठते हैं। हौसले के दम पर शारीरिक कमी को उन्होंने बाउंड्री पार भेज दिया है। आप भी पढ़ें, अजय के अजेय होने की कहानी।अजय ने वर्ष 2019 से क्रिकेट खेलना शुरू किया। पहली बार संभाग स्तरीय प्रतियोगिता में भाग लेकर विजय प्राप्त की और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। हाल ही में टीम इंडिया का प्रतिनिधित्व करते हुए कोलकाता में बांग्लादेश को 3-0 से क्लीन स्वीप किया। इससे पहले भी वे कई टीमों के साथ क्रिकेट खेल चुके हैं। अजय ने बताया कि 10वीं तक उनकी पढ़ाई हुई। परिवार की आर्थिक िस्थति ठीक नहीं होने से आगे की पढ़ाई नहीं कर पाए। पढ़ाई के दौरान शतरंज प्रतियोगिता में रीवा में गोल्ड मेडल जीता था।

एक साल पहले लिया ऑटो रिक्शा

अजय ने बताया कि दिव्यांग कमल कंचोले ऑटो चलाते हैं और क्रिकेट भी खेलते हैं। मुझे लगा कि मैं भी दोनों काम करूं। फिर मैंने पुराना ऑटो रिक्शा खरीदा और अब क्रिकेट खेलने के साथ ऑटो चलाकर आर्थिक रूप से भी स्कोर कर रहा हूं। मैं किराए के घर में रहता हूं। मम्मी मालती यादव एक कंपनी में प्लास्टिक छांटने का काम करती हैं। पिता रमेश यादव हम्माली करते हैं। मेरी पत्नी और उनका परिवार भी मुझे हिम्मत देता है।

सोमजीत सिंह गौर की कप्तानी में जीती ट्रॉफी

इंटर नेशनल मैच खेलने से पहले अजय लखनऊ के कैंप में गए थे, जहां सोमजीत सिंह गौर ने अजय और कई खिलाडि़यों को ट्रेनिंग दी। इसके बाद टीम इंडिया की ओर से खेलने के लिए अजय और गोलू चौधरी (स्टैंड बॉय प्लेयर) का चयन किया गया। अजय ऑलराउंडर हैं।