स्वास्थ्य विभाग का ढर्रा सुधारने की हो रही कवायद
इंदौर.पीसी सेठी अस्पताल में शुरू होने वाली इंटीग्रेटेड पीडियाट्रिक यूनिट (आईपीयू) के लिए स्वास्थ्य विभाग ने तीन नए शिशु रोग विशेषज्ञों को रखा है। ये तीन डॉक्टर आईपीयू की जिम्मेदारी संभालेंगे। लंबे समय से स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी विभाग का ढर्रा सुधारने में लगे थे। तीन दिन पहले ही अस्पताल में विभागीय मंत्री ने इसका लोकार्पण किया है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत तीन डॉक्टरों की नियुक्ति की गई है, जिसमें दो पुरुष और एक महिला डॉक्टर है। इनके आ जाने के बाद अब निजी अस्पताल की तर्ज पर स्वास्थ्य विभाग के सेठी अस्पताल में गर्भवती महिलाओं और उनके बच्चों को इलाज मिल सकेगा। उधर करोड़ों की लागत से प्रदेश सरकार ने एमटीएच महिला अस्पताल तैयार कर दिया, लेकिन इसका फायदा शहर के मरीजों को नहीं मिल पा रहा। अब तक यहां ऑक्सीजन लाइन नहीं डल पाई, न ही ओटी शुरू हो पाए हैं। सिर्फ महिलाओं के लिए यहां ओपीडी शुरू की गई है।
एमजीएम मेडिकल कॉलेज के अधीन एमटीएच महिला अस्पताल के लिए राज्य सरकार ने पांच करोड से अधिक की राशि पिछले दिनों मंजूर की थी। करीब 34 करोड़ की लागत से पांच साल में बड़ी मुश्किल से यह अस्पताल तैयार हुआ। वर्ष 2013 में इसका काम शुरू हुआ था। बनने के बाद जैसे-तैसे ओपीडी सेवाएं शुरू की गईं, लेकिन प्रसूति सेवा शुरू नहीं हो पाई। मरीजों को भर्ती भी नहीं किया जा रहा। गौरतलब है कि अभी एमवायएच के पुराने भवन में ही प्रसूति सहित अन्य काम किए जा रहे हैं। यहां स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग में करीब 200 बेड की क्षमता बताई जा रही है, जबकि एमटीएच महिला अस्पताल में महिलाओं व बच्चों के इलाज के लिए 300 बेड रहेंगे। वैसे एमटीएच महिला अस्पताल की क्षमता 450 बेड थी, लेकिन दूसरी मंजिल पर दो वार्ड तोड़कर दो नए ऑपरेशन थिएटर बना दिए गए। इस कारण अब महिलाओं और बच्चों के लिए 350 बेड रहेंगे।
ऑक्सीजन लाइन ही नहीं डाली
पांच साल बाद भी अस्पताल में ऑक्सीजन लाइन नहीं डल पाई है। एमवाय अस्पताल से अब यहां प्रसूति के बाद महिलाओं को भेजा जरूर जा रहा है, लेकिन यहां इन्हें सभी सुविधाएं नहीं मिल रहीं। हालांकि जिम्मेदारों का कहना है कि हमने यहंा बच्चों के डॉक्टरों की भी ड्यूटी लगाई है, जो यहां का राउंड लेते हैं। जबकि उधर स्वास्थ्य विभाग मेडिकल कॉलेज से आगे निकल गया है। 100 बिस्तरों के सेठी अस्पताल में पहले से महिलाओं को इलाज मिल रहा था, अब आईपीयू, एसएनसीयू शुरू हो जाने से जच्चा-बच्चा को बेहतर इलाज मिल सकेगा। खास बात है सीएमएचओ डॉ. प्रवीण जडिय़ा ने यहां महिलाओं और शिशुओं के लिए सीनियर डॉक्टरों की ड्यूटी लगाई है, जो 24 घंटे अस्पताल में रहते हैं। जिला अस्पताल की इमारत का काम चलने से वहां के डॉक्टरों को भी यहां शिफ्ट किया है। अस्पताल प्रभारी डॉ. माधव हसानी ने बताया की कुछ रिपोट्र्स आना बाकी हैं। उनके आते ही आईपीयू शुरू कर दिया जाएगा। तीन नए डॉक्टर अस्पताल को मिले हैं।