स्वच्छता की हैट्रिक लगा चुका इंदौर अब इस दिशा में एक और उपलब्धि हासिल करने जा रहा है।
इंदौर. स्वच्छता की हैट्रिक लगा चुका इंदौर अब इस दिशा में एक और उपलब्धि हासिल करने जा रहा है। ट्रेंचिंग ग्राउंड से कचरे का सफाया करने के बाद अब उसी कचरे से निकली पॉलिथीन से शहर में ही पेट्रोल-डीजल तैयार किया जा रहा है। ट्रेंचिंग ग्राउंड पर इसके लिए बने विशेष प्लांट में ग्रीन अर्थ कंपनी अब तक 8 से 10 टन प्लास्टिक कचरे का उपयोग कर ईंधन बना चुकी है। इसके लिए रिवर्स पॉलिमराइजेशन प्रक्रिया का इस्तेमाल किया जा रहा है। कंपनी ने यहां से तैयार पेट्रोल-डीजल को देश की तीन प्रमुख लैब में टेस्टिंग के लिए भेजा है। ये लैंब हैं- हैदराबाद की वैम्ता लैब, देहरादून का पेट्रोलियम रिसर्च इंस्टिट्यूट और दिल्ली का श्रीराम रिसर्च इंस्टिट्यूट। हालांकि वहां से अभी तक रिपोर्ट नहीं आई है लेकिन निगम अफसरों को वहां से जो जानकारी मिली है वह किसी बड़ी उपलब्धि से कम नहीं है। उनका कहना है कि तीनों ही जगह पर यहां तैयार हुए पेट्रोल-डीजल की गुणवत्ता अच्छी पाई गई है। क्वालिटी से जुड़ी विस्तृत रिपोर्ट अगले सप्ताह तक मिलने की उम्मीद है। इसके बाद इसे पेट्रोलियम मंत्रालय भेजा जाएगा। वहां से अनुमति मिलते ही इसका इस्तेमाल किया जा सकेगा।
48 करोड़ खर्च करते हैं हर साल
यहां से हर दिन तैयार होने वाले करीब 5000 लीटर पेट्रोल-डीजल का इस्तेमाल नगर निगम अपने वाहनों में कर सकेगा। ये पेट्रोल और डीजल नगर निगम को काफी कम कीमत पर उपलब्ध होगा, जिससे नगर निगम को प्रति वर्ष लगने वाला पेट्रोल डीजल के 48 करोड़ के खर्च में कमी आ सकेगी।
रिपोर्ट सकारात्मक
हमें तीनों लैब से अभी तक जो जानकारी मिली है, वह सकारात्मक है। अगले हफ्ते तक रिपोर्ट आने के बाद हम इसके इस्तेमाल की अनुमति के लिए आवेदन करेंगे।
रजनीश कसेरा, अपर आयुक्त, नगर निगम