
बोर्ड एग्जाम : हिंदी में सही उच्चारण के महत्व को समझें विद्यार्थी
इंदौर. बोर्ड एग्जाम में हिंदी भाषा के प्रश्न पत्र में अच्छे अंक हासिल कर पाना विद्यार्थियों के सामने एक बड़ी चुनौती होती है। वजह भाषा में छोटी-छोटी गलतियों के भी अंक काट लिए जाते हैं, जिनका ध्यान अक्सर विद्यार्थी नहीं रखते हैं। हिंदी के प्रश्न पत्र को हल करने में वाली समस्याओं का समाधान हिंदी टीचर अपूर्वा बनर्जी ने बताया।
अपूर्वा बताती है कि भाषा के साथ सबसे बड़ी समस्या होती है उच्चारण की। भाषा जैसी बोली जाती है, वैसी ही लिखी भी जाती है। बच्चे जिस तरह का उच्चारण करते हैं, उसी तरह की उनकी लेखन शैली होती है। सही उच्चारण न होने के कारण अशुद्घ भाषा का प्रयोग बच्चों के अंक कटने का सबसे बड़ा कारण है।
हिंग्लिश का प्रयोग बड़ी समस्या
वर्तमान में बच्चे हिंग्लिश का प्रयोग कर रहे हैं, जो कि एक बड़ी समस्या है। वे बताती हैं कि विद्यार्थी परीक्षा में सिर्फ गद्य और पद्य पढक़र चले जाते हैं। उसके मूलभाव को ठीक से नहीं समझते हैं। विद्यार्थियों को चाहिए कि पाठ को अच्छे से समझें, जिससे वे परीक्षा में बेहतर ढंग से प्रभावी उत्तर लिख पाएं।
व्याकरण पर पकड़ होना जरूरी
अपूर्वा बताती हैं व्याकरण की मूल अवधारणा की ठीक से जानकारी होना जरूरी है। व्याकरण की समझ नहीं होने से विद्यार्थी कई बार छोटी-छोटी गलतियां कर देते हैं। बच्चों को पत्र के प्रारूप को भी समझना चाहिए। कई बार छोटे भाई के लिए आदरणीया का संबोधन कर लेते हैं। किसके लिए क्या संबोधन होना चाहिए, इसकी जानकारी जरूरी है।
व्यर्थ का संवाद शामिल न करें संवाद लेखन में व्यर्थ का वार्तालाप शामिल नहीं करना चाहिए और विज्ञापन से जुड़े प्रश्न आने पर स्लोगन आदि लिखकर आकर्षक बनाना चाहिए।
अपठित गद्यांश के शीर्षक पर दें ध्यान
कई बार परीक्षा में अपठित गद्यांश के शीर्षक देने के सवाल पर या तो एक वाक्य में जवाब दे देते हैं या बड़े-बड़े वाक्य लिख देते हैं। गद्यांश को समझकर शीर्षक देना चाहिए जैसे परिश्रम पर आधारित हो तो परिश्रम का महत्व जैसा शीर्षक देना उचित होता है।
हिंग्लिश का प्रयोग बड़ी समस्या
वर्तमान में बच्चे हिंग्लिश का प्रयोग कर रहे हैं, जो कि एक बड़ी समस्या है। वे बताती हैं कि विद्यार्थी परीक्षा में सिर्फ गद्य और पद्य पढक़र चले जाते हैं। उसके मूलभाव को ठीक से नहीं समझते हैं। विद्यार्थियों को चाहिए कि पाठ को अच्छे से समझें, जिससे वे परीक्षा में बेहतर ढंग से प्रभावी उत्तर लिख पाएं।
व्याकरण पर पक ड़ होना जरूरी
अपूर्वा बताती हैं व्याकरण की मूल अवधारणा की ठीक से जानकारी होना जरूरी है। व्याकरण की समझ नहीं होने से विद्यार्थी कई बार छोटी-छोटी गलतियां कर देते हैं। बच्चों को पत्र के प्रारूप को भी समझना चाहिए। कई बार छोटे भाई के लिए आदरणीया का संबोधन कर लेते हैं। किसके लिए क्या संबोधन होना चाहिए, इसकी जानकारी जरूरी है।
व्यर्थ का संवाद शामिल न करें संवाद लेखन में व्यर्थ का वार्तालाप शामिल नहीं करना चाहिए और विज्ञापन से जुड़े प्रश्न आने पर स्लोगन आदि लिखकर आकर्षक बनाना चाहिए।
अपठित गद्यांश के शीर्षक पर दें ध्यान
कई बार परीक्षा में अपठित गद्यांश के शीर्षक देने के सवाल पर या तो एक वाक्य में जवाब दे देते हैं या बड़े-बड़े वाक्य लिख देते हैं। गद्यांश को समझकर शीर्षक देना चाहिए जैसे परिश्रम पर आधारित हो तो परिश्रम का महत्व जैसा शीर्षक देना उचित होता है।
Published on:
15 Feb 2019 01:07 pm
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