इंद्रपुरी स्टेशन के प्लेटफॉर्म से दूर है पटरी, बच्चों को चढऩे-उतरने में होगी दिक्कत
इंदौर. नेहरू पार्क में बच्चों की ट्रेन कल दस वर्ष बाद शुरू हुई। इसका नाम वंदे इंदौर एक्सप्रेस रखा गया है, जो कि खामियों की पटरी पर दौड़ी। नेहरू पार्क में नए बनाए गए इंद्रपुरी स्टेशन के प्लेटफॉर्म से पटरी की दूरी अधिक है। इस कारण बच्चों को चढऩे-उतरने में काफी दिक्कत होगी। साथ ही जिस पटरी पर वंदे इंदौर एक्सप्रेस चलेगी, उसका बेस सीमेंट-कांक्रीट का बनाने के साथ लकड़ी के पटियों पर पटरी बिछाई गई है। सुरक्षा की ²ष्टि से अन्य कई खामियां हैं। इनके बारे में जानने के बाद ट्रेन को हरी झंडी दिखाने पहुंचे महापौर ने भी खामियों को दूर करने के निर्देश स्मार्ट सिटी अफसरों को दिए हैं।
कल शाम 6 बजे नेहरू पार्क में बच्चों की ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर महापौर भार्गव ने रवाना किया। उनके साथ सभापति मुन्नालाल यादव, एमआइसी मेंबर अभिषेक शर्मा, नंदकिशोर पहाडिय़ा, राजेश उदावत, मनीष शर्मा, पार्षद कमल वाघेला, कंचन गिदवानी, राजीव जैन, स्मार्ट सिटी सीईओ दिव्यांक सिंह, अधीक्षण यंत्री डीआर लोधी, महेश शर्मा सहित बड़ी संख्या में बच्चे और आमजन मौजूद थे। नेहरू पार्क में शुरू हुई बच्चों की ट्रेन का नाम पहले नंदना एक्सप्रेस रखा गया था, जो कि ट्रेन चलाने वाले राजस्थान के शंकरलाल कासट की बेटी का नाम है।
ट्रेन को हरी-झंडी दिखाने से पहले महापौर भार्गव ने कार्यक्रम में मौजूद बच्चों की नाम तय करने को लेकर स्पर्धा कराई। इसमें 30 से अधिक बच्चों ने नाम बताए। विशेष शुक्ला द्वारा ट्रेन का नाम वंदे इंदौर एक्सप्रेस बताया गया। इसे महापौर भार्गव ने तय किया और शुक्ला को 2100 रुपए नकद पुरस्कार देकर सम्मानित किया। इसके बाद महापौर भार्गव द्वारा स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत नेहरू पार्क में किए जा रहे विकास कार्यों एवं सौंदर्यीकरण कार्यों का निरीक्षण किया गया। हालांकि कल पहले दिन ट्रेन चलाने पर किसी से किराया नहीं लिया गया। सभी को मुफ्त में घुमाया गया। आज से 30 रुपए किराया लगेगा।
हादसा होते-होते बचा
वंदे इंदौर एक्सप्रेस का पूजन करने के बाद महापौर भार्गव ने हरी झंडी दिखाकर ट्रेन को शुरू किया। पहले राउंड में ट्रेन में बच्चों को बैठाकर घुमाया गया। इस दौरान बीच पटरी पर नेहरू पार्क में काम करने वाले मजदूरों ने सीढ़ी रख दी थी। यह देख ट्रेन चालक ने तत्परता दिखाई और चलती ट्रेन से उतरकर सीढ़ी को हटाया, वरना बच्चों से भरी ट्रेन पलट सकती थी। दूसरे राउंड में महापौर भार्गव, एमआइसी मेंबर और पार्षद सहित बच्चों के पालक घूमे। तीसरे राउंड में ट्रेन जब इंद्रपुरी स्टेशन पर पहुंचती, उसके पहले निगम का ठेकेदार मूर्ति इलेक्ट्रिक का कर्मचारी लोडिंग रिक्शा लेकर पटरी तक पहुंच गया। यह देख ट्रेन संचालक ने दौड़ लगाई और हाथ से ट्रेन को रोका, वरना ट्रेन लोडिंग रिक्शा से टकराती और हादसा हो जााता।
खामियों को करेंगे दूर
महापौर भार्गव का कहना है कि इंद्रपुरी स्टेशन के प्लेटफॉर्म से पटरी की दूरी अधिक है। इस कारण बच्चों को चढऩे-उतरने में काफी दिक्कत होगी। इस खामी के साथ अन्य खामियों को दूर करने के लिए स्मार्ट सिटी कंपनी के अफसरों से कहा है। इधर, सीमेंट-कांक्रीट के बनाए गए बेस पर लकड़ी के पटियों पर पटरी बिछाने और मामूली नट-बोल्ट से कसने को लेकर खड़े हुए सवाल पर स्मार्ट सिटी अधीक्षण यंत्री डीआर लोधी ने मेट्रो रेल के सेफ्टी इंजीनियर से निरीक्षण कराने की बात कही है। इसको लेकर उन्होंने मेट्रो में बात भी की है। हालांकि ट्रेन चलाने वाले ठेकेदार शंकरलाल कासट ने 10 वर्ष तक ट्रेन और पटरी को कुछ नहीं होने का दावा किया है।