script3 मिनट में मिल जाता है यहां वाहनों का फिटनेस सार्टिफिकेट | Vehicle fitness certificate in 3 minutes | Patrika News

3 मिनट में मिल जाता है यहां वाहनों का फिटनेस सार्टिफिकेट

locationइंदौरPublished: Apr 06, 2022 11:18:24 am

Submitted by:

Subodh Tripathi

1.30 घंटे के दौरान 35 से ज्यादा वाहनों के फिटनेस जारी किए गए, यानी औसतन 3 मिनट में ही फिटनेस पास, सर्टिफिकेट जारी करने में घोर लापरवाही बरती जा रही है। जबकि नियम यह है कि आरटीओ अधिकारियों की देखरेख में बाबू और अन्य कर्मचारियों द्वारा फिटनेस की जांच की जाना चाहिए।

3 मिनट में मिल जाता है यहां वाहनों का फिटनेस सार्टिफिकेट

3 मिनट में मिल जाता है यहां वाहनों का फिटनेस सार्टिफिकेट

नितेश पाल/ इंदौर. आठ दिन पहले सुपर कॉरिडोर के पास हुए किड्स कॉलेज स्कूल बस हादसे ने आरटीओ के फिटनेट पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। इन्हीं सवालों को जांचने ‘पत्रिका रिपोर्टर’ ने न्यू लोहामंडी का स्टिंग किया तो चौकाने वाले खुलासे हुए। झोपड़ीनुमा चाय की दुकान में आरटीओ ऑफिस चल रहा है। फिटनेट का काम आरटीओ बाबू के 8 एवजियों के भरोसे चल रहा है। यहां न तो गंभीरता से स्पीड गवर्नर जांचे जा रहे हैं और न बस-भारी वाहनों के ब्रेक समेत अन्य मानक देख रहे हैं।

पत्रिका स्टिंग

स्टिंग में सामने आया कि आरटीओ बाबू दिनेश शर्मा के एवजी और निजी कंपनी का कर्मचारी खड़ी गाड़ी को जांचकर धड़ल्ले से फिटनेट सर्टिफिकेट बांट रहे हैं। पत्रिका संवाददाता करीब 1.30 घंटे वहां मौजूद रहा, इस दौरान 35 से ज्यादा वाहनों के फिटनेस जारी किए गए यानी औसतन 3 मिनट में ही फिटनेस पास सर्टिफिकेट जारी करने में घोर लापरवाही बरती जा रही है। जबकि नियम यह है कि आरटीओ अधिकारियों की देखरेख में बाबू और अन्य कर्मचारियों द्वारा फिटनेस की जांच की जाना चाहिए। इस लापरवाही के खुलासे के बाद भी आरटीओ अपने कर्मचारियों का बचाव करते रहे।

पांच वर्षों में दो दर्दनाक हादसे

शहर पांच वर्ष के दौरान दो बड़े स्कूल बस हादसे देख चुका है। हाल ही में सुपर कॉरिडोर के समीप जहां स्कूल बस ने दोपहिया सवार पिता पुत्र और पुत्री को रौंद दिया। वहीं 2018 में बायपास पर हुए स्कूल बस हादसे में चार स्कूली बच्चों के साथ ड्राइवर ने भी दम तोड़ दिया था

कैसी व्यवस्था- फिटनेस का काम देखने वाले बाबू के पास हैं आठ एवजी, निजी कंपनी के कर्मचारी कर रहे काम

लोहामंडी के अंदर जाने वाली सड़क से लगे खाली प्लॉट पर 10 से 18 पहियों के ट्रक खड़े थे। आगे जाकर बिजली कंपनी के दफ्तर के सामने भी सड़क पर दोनों और कुछ स्कूल बसें खड़ी थीं। इसी के कोने पर झोपड़ी में चाय की दुकान है, जिसके काउंटर पर लिखा है राधे रोड लाइंस। यहां बड़ी कुर्सी दिखी, जिस पर लंबे कद का व्यक्ति ( आरटीओ बाबू) दस्तावेजों पर दस्तखत करने में व्यस्त था। उसके आसपास 20 से ज्यादा लोग थे। इनमें से कुछ कागजात लिए थे, तो कुछ दस्तावेजों की जांच में जुटे थे।

इसी बीच मोटरसाइकल पर एक व्यक्ति आया और दुकान पर पहुंचा, उसके हाथ में कपड़े का थैला था। वह कुछ कागज यहां खड़े व्यक्ति को देता है। वह साहब की कुर्सी के पास खड़े व्यक्ति की और कागजात बढ़ा देता है, जिसमें गाडिय़ों के फिटनेट के फॉर्म थे। वहीं खड़ा व्यक्ति इशारों में कमी-पेशी बताकर रुकने का इशारा करता है। वह कुर्सी पर बैठे ‘साहब’ को कागजात देता है. वह दो जगहों पर हस्ताक्षर कर देते हैं। इसके बाद मोटरसाइकिल वाले व्यक्ति को कागजात लौटा दिए जाते हैं। इस व्यक्ति की शर्ट पर स्मार्ट चिप लिखा था। वह कागजात से गाड़ी नंबर निकालता है और टैबलेट से अपलोड करता है। यह निजी कॉलेज की बस का नंबर था, जो पीछे ही खड़ी थी।

वह व्यक्ति बस के विभिन्न जरूरी मानकों के फोटो लेता है, बोनट खुलवाकर भी फोटो अपलोड करता है। इसके बाद बस आगे बढ़ जाती है, क्योंकि उसका फिटनेट हो गया। इसके बाद यही प्रक्रिया सामने खड़े मिनी ट्रक के लिए दोहराई जाती है। झोपड़ीनुमा चाय दुकान पर आरटीओ के बाबू दिनेश शर्मा मजमा लगाए बैठे थे। इनकी जिम्मेदारी है कि गाडिय़ों का फिटनेट जांचें। उसके इंजन, ब्रेक, स्पीड गवर्नर, बॉडी सहित अन्य कलपुर्जों की जांच-परख करे। लेकिन वह अपनी कुर्सी से हिलते तक नहीं हैं, बैठे-बैठे केवल फार्मों पर हस्ताक्षर कर फिटनेस पास कर देते हैं।


आरटीओ बोले- हमारे लोग सब कर लेते हैं, कर्मचारियों का ही लेते रहे पक्ष

आमने-सामने आरटीओ और पुलिस, उठ रहे सवाल

किड्स कॉलेज स्कूल बस हादसे में वाहन के फिटनेस को लेकर आरटीओ और पुलिस आमने-सामने है। आरटीओ जितेंद्र रघुवंशी ने बस में लगे स्पीड गवर्नर को सही बताया था, वहीं पुलिस ने बेकार बताया है। शहर के जनप्रतिनिधियों ने इसे लेकर चिंता जाहिर की थी। आरटीओ की व्यवस्थाओं में सुधार के लिए कहा था।

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स्टिंग की बात सुन तिलमिला गए आरटीओ

सीधी बात: जितेंद्र रघुवंशी

प्रश्न- बंद और खड़ी गाडिय़ों का फिटनेस की जांच कैसे हो सकती है।

उत्तर- सभी गाडिय़ों को चलवाकर नहीं देख सकते. हमें जो देखना रहता है, देख लेते हैं।

प्रश्न- गाड़ी में ब्रेक लग रहे हैं या नहीं, खड़ी गाड़ी में कैसे पता लगेगा?

उत्तर-हमारे लोग सब देख लेते हैं। ब्रेक लगवाकर देख लिया जाता है।

प्रश्न- आपके कर्मचारी तो कुर्सी से उठते तक नहीं है, वे एक कुर्सी पर ही बैठे रहते हैं?
उत्तर- हमारे लोग वहां सब देखते हैं वे बैठे नहीं रहते हैं।

प्रश्न – न्यू लोहामंडी में बाबू कुर्सी पर बैठे फिटनेट दे रहा है?

-आप फोन बंद कर दीजिए, मुझे बात नहीं करना। और फोन काट दिया।

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