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25 बैंकों से धोखाधड़ी कर दुनियाभर में खड़ी की 485 कंपनी, पढि़ए पूरी कहानी 

2650 करोड़ का फ्रॉड करने वाला विजय चौधरी  प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट की धारा 3, 4 और 45 में बना आरोपी, कोर्ट में पेश किया गया 4500 पन्नों का कच्चा चिट्ठा

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Shruti Agrawal

Jul 01, 2017

vijay

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इंदौर. 25 से अधिक निजी और सार्वजनिक बैंकों के साथ करीब 2650 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी करने के आरोपी जूम डेवलपर्स कंपनी के कर्ताधर्ता विजय चौधरी के खिलाफ शुक्रवार को प्रवर्तन निदेशालय ने विशेष न्यायालय में पूरक चालान पेश किया।

4500 पन्नों के चालान में गवाहों के बयान व जांच से जुड़े दस्तावेज हैं। इस चालान की समरी 86 पेजों में बनाई गई है। चालान पेश करते समय विशेष लोक अभियोजक प्रसन्न प्रसाद और ईडी असिस्टेंट डायरेक्टर सुमित बिल्लौरे मौजूद थे। चालान पेश करते वक्त चौधरी को जेल से लाकर पेश किया था। कोर्ट ने चालान पेश होने के बाद 4 जुलाई को अगली सुनवाई का कहा है।

प्रवर्तन निदेशालय ने इस बीच जूम डेवलपर्स और इससे जुड़ी देश-विदेश में 130 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्तियों को अटैच किया है। यूके और स्विट्जरलैंड की सरकारों को भी पत्र लिखकर इसकी संपत्तियों की जानकारी मांगी है।

इसे किया अटैच
प्रवर्तन निदेशालय ने कैलिफोर्निया में 7 मिलियन डॉलर की 1280 एकड़ जमीन, इंदौर जिले में 9.25 करोड़ रुपए की 182 एकड़ जमीन, मुंबई अंधेरी क्षेत्र में 4.42 करोड़ रुपए का 61155 स्क्वेयर फीट का प्लॉट, विभिन्न कंपनियों के शेयर्स, बैंगलुरु, मुंबई और इंदौर में जमीनें तकरीबन 31 करोड़ रुपए की और केरल में हाईटेक पार्क में स्थित 40 एकड़ जमीन को भी अटैच किया है।

ऐसे किया खेल
विजय चौधरी ने दो ट्रस्ट/फाउंडेशन बेवरेन स्टिफंग फाउंडेशन (बीएसएफ) और विंडलिफ फाउंडेशन (डब्ल्यूएफ) बनाए। इन दो फाउंडेशन को आधार बनाकर पांच कंपनियां यूके और स्विट्जरलैंड में बनाई गई। इनमें एस्टिकोर एजी, लाइनडेनियम ट्रेडिंग जैसी कंपनियां शामिल हैं। इन कंपनियों ने एक अन्य स्वतंत्र कंपनी जूम डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड को विभिन्न प्रोजेक्ट्स, जैसे ठेके, उपठेके, इंजीनियरिंग सर्विसेस और अन्य खरीदी के लिए नियुक्त किया। इन कंपनियों के विदेशी बैंकर्स ने ठेकेदार कंपनी से भारतीय बैंकों की बैंक गारंटी की मांग की। जूम डेवलपर्स ने विदेशी बैंकर्स की मांग पर भारतीय बैंकों से बैंक गारंटी और काउंटर गारंटी मांगी। बैंकों ने यह गारंटी दे दी और जूम डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड ने कार्यशील पंूजी के लिए इस पूंजी का इस्तेमाल भी कर लिया।

कागजों में ही चलाई कंपनियां
दो फाउंडेशन ने 5 कंपनियां बनाईं और इन कंपनियों ने जूम डेवलपर्स को ठेके दिए। यह सभी ठेके वास्तविकता में कुछ भी नहीं थे, केवल कागज पर बनाए गए थे। जूम डेवलपर्स ने भारतीय बैंकों से बैंक गारंटी ली और इन कागजी ठेकों को भुगतान करना दिखा दिया। चूंकि कोई भी प्रोजेक्ट वास्तविक नहीं था, इसलिए जूम डेवलपर्स लगातार भारतीय बैंकों पर बैंक गारंटी बढ़ाने के लिए दबाव बनाता रहा। विदेशी कंपनियों के बैंकर्स ने 30 से 60 प्रतिशत कॉन्ट्रैक्ट वैल्यू की पूंजी जारी की थी, लेकिन विदेशी बैंकर्स की पूंजी सुरक्षित थी, क्योंकि उन्हें भारतीय बैंकों से बैंक गारंटी दी गई थी।


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