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संकेतों की अनदेखी पड़ सकती है भारी

इंदौर में हर वर्ष करीब 500 मरीज सामने आ रहे हैं। इनमें से 150 से ज्यादा मरीज सिर्फ एमवायएच पहुंच रहे हैं। दिमाग में किसी प्रकार की गठान के पनपने को ब्रेन ट्यूमर कहा जाता है। यह साधारण होने के साथ कैंसर से संबंधित भी हो सकती है।

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इंदौर

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Lavin Owhal

Jun 08, 2022

संकेतों की अनदेखी पड़ सकती है भारी

संकेतों की अनदेखी पड़ सकती है भारी

इंदौर. किसी बीमारी के पनपने से पहले मिलने वाले छोटे-मोटे संकेतों को अनदेखा करने से बीमारी घातक रूप ले लेती है। ब्रेन ट्यूमर भी इन्हीं बीमारियों में से एक है। इसके प्रति जागरुकता कम है।

इंदौर में हर वर्ष करीब 500 मरीज सामने आ रहे हैं। इनमें से 150 से ज्यादा मरीज सिर्फ एमवायएच पहुंच रहे हैं। दिमाग में किसी प्रकार की गठान के पनपने को ब्रेन ट्यूमर कहा जाता है। यह साधारण होने के साथ कैंसर से संबंधित भी हो सकती है। जब मस्तिष्क में ट्यूमर पनपने लगता है तो शरीर संकेत देता है। संकेतों को पहचान कर चिकित्सकीय परामर्श लिया जाए तो खतरा टाला जा सकता है। समय पर इलाज न मिलने पर ब्रेन ट्यूमर जानलेवा हो सकता है।

25 सौ से ज्यादा बच्चों में मस्तिष्क का कैंसर: एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया में मस्तिष्क संबंधी बीमारियों में वृद्धि के साथ, हर वर्ष 2500 से ज्यादा भारतीय बच्चे मेडुलोब्लास्टोमा (बच्चों में होने वाला मस्तिष्क कैंसर) से पीड़ित होते हैं।

50% में होता है कैंसर का ट्यूमर: न्यूरो सर्जरी विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, ब्रेन ट्यूमर के मरीजों में करीब 50 फीसदी मरीजों को कैंसर वाला ट्यूमर होता है, जिसे मलिग्नेंट ब्रेन ट्यूमर कहा जाता है।

हर ट्यूमर कैंसर का नहींडॉक्टरों का कहना है कि ट्यूमर को आमतौर पर कैंसर से जोड़कर देखा जाता है, लेकिन हर ट्यूमर कैंसर नहीं होता है। मस्तिष्क सेल्स (कोशिकाओं) से बना होता है। जब ब्रेन की सेल्स का नियंत्रण बिगड़ता है तो ये सेल्स खत्म होने लगती हैं। इससे मस्तिष्क के काम में रूकावट होने लगती है। मस्तिष्क में अनियंत्रित सेल्स के तेजी से फैलने पर ये कैंसर का रूप धारण कर लेते हैं।
ये हैं लक्षण

सिरदर्द या कभी-कभी इसके साथ उल्टी होना।

पहली बार मिर्गी का दौरा पड़ा है तो उसमें मस्तिष्क संबंधी समस्या या ब्रेन ट्यूमर की आशंका ज्यादा होती है।

नींद न आना, मूड स्विंग, हियरिंग-स्पीच प्रॉब्लम, कॉग्निटिव डेकलाइन (सीखने की क्षमता कम होना)।

(न्यूरो सर्जन डॉ. राकेश गुप्ता के अनुसार)